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आजादी की पहली चिंगारी : क्रांतिकारी खुदीराम बोस जी -







आजादी की पहली चिंगारी : क्रांतिकारी खुदीराम बोस जी - 
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देश को आजादी बिना खड़ग बिना ढ़ाल नहीं मिली इसके लिये भारतमाता के अनेकों सपूतों ने अपनी जवानियों की आहूतियां दीं हैं, तो कहीं कालापानी में नर्क जैसी भयानक यातनाएं सही हैं तो कभी हँसते-हँसते फांसी के फंदो को चूँमते हुए अपनी जानें नौछावर की हैं, शहादत दीं हैं और यह भी सच है कि आप विश्व का इतिहास उठाकर देख लीजिए भारतवर्ष जैसे दमदार युवाओं की वीरगाथाओं जैसा प्रतिभाशाली और महान गौरवशाली इतिहास कहीं का भी नहीं है। 

     आज 11 अगस्‍त को हम याद कर रहे हैं, जब 111वर्ष पहले आज ही के दिन मात्र 18 साल की छोटी सी उम्र में भारतमाता को आजाद कराने की दिल में आग लिये आँखों में श्मशान लिए भारत के पहले युवा देशभक्त खुदीराम बोस जी जो जननी जन्मभूमि के सम्मान की रक्षाहेतु हँसते-हँसते फाँसी पर झूल गये थे, हाँ यह वही उम्र थी जिस उम्र में हम वोट करने के लिये बालिग, तैयार होते हैं और सिर्फ़ अपने भविष्य के बारे में सोचते हैं, उस समय खुदी राम बोस जी ने अखंड भारतवर्ष के उज्ज्वल भविष्य के बारे में सोचा और ब्रिटिश सरकार को जोरदार पटखनी देने में पहला बेजोड़ धमाकेदार कदम उठाया था। उन्होंने बेखौफ बुलंद आवाज में कहा था -


  • ब्रिटिश साम्राज्यवाद मुर्दाबाद 


आज 11 अगस्‍त खुदीराम बोस जी के बलिदान दिवस पर भारत माता के इस सच्चे सपूत महान देशभक्त को शत् शत् नमन। 
वंदेमातरम्। 
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