Breaking News

मंदी- मंदी न चिल्लायें... देश के विकास में सहयोगी बनें।



पूरी सोसलमीडिया में मंदी, मंदी कहकर बहुत बड़ा भ्रम फैलाया जा रहा है... आपको बता दूं कि भारत अभी बहुत अच्छी हालत में है... विश्वास रखें.. धैर्य न खोयें.. 


जब अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर वस्तुओं और सेवाओ के उत्पादन में निरन्तर गिरावट हो रही हो और सकल घरेलू उत्पाद कम से कम तीन महीने डाउन ग्रोथ में हो तो इस स्थिति को विश्व आर्थिक मन्दी कहते हैं।सकल घरेलू उत्पाद या जीडीपी या सकल घरेलू आय, एक अर्थव्यवस्था के आर्थिक प्रदर्शन का एक बुनियादी माप है, यह एक वर्ष में एक राष्ट्र की सीमा के भीतर सभी अंतिम माल और सेवाओ का बाजार मूल्य है। अब बात आती है GDP की.. तोGDP (सकल घरेलू उत्पाद) के मापन और मात्र निर्धारण का सबसे आम तरीका है खर्च या व्यय विधि (expenditure method):

GDP (सकल घरेलू उत्पाद) = उपभोग + सकल निवेश + सरकारी खर्च + (निर्यात - आयात), या,
GDP = C + I + G + (X − M).
"सकल" का अर्थ है सकल घरेलू उत्पाद में से पूंजी शेयर के मूल्यह्रास को घटाया नहीं गया है। यदि शुद्ध निवेश (जो सकल निवेश माइनस मूल्यह्रास है) को उपर्युक्त समीकरण में सकल निवेश के स्थान पर लगाया जाए, तो शुद्ध घरेलू उत्पाद का सूत्र प्राप्त होता है।

_____________


मंदी और आर्थिक सुस्ती में है बड़ा अंतर-




मंदी (Recession) और आर्थिक सुस्ती (Economic Slodown) अर्थव्यवस्था से जुड़ी ऐसी दो अवस्थाएं हैं, जिन्हें संकट के रूप में देखा जाता है. इन दोनों के मायने अलग-अलग हैं. मंदी का मतलब ऐसी अवस्था से है, जब अर्थव्यवस्था की वृद्धि दर निगेटिव हो जाती है. लगातार दो तिमाही आर्थिक वृद्धि दर निगेटिव रहने पर अर्थव्यवस्था में मंदी मानी जाती है अगर अर्थव्यवस्था की ग्रोथ रेट लगातार घट रही है, लेकिन ग्रोथ बनी हुई है तो इस अवस्था को आर्थिक सुस्ती कहा जाता है।निर्यात में कमजोरी, निवेश की रकम गिरी, रेलवे की आमदनी पर असर, सोने-चांदी का आयात गिरा, रियल एस्टेट की मंदी, ट्रेड वार से मुश्किलें, ऑटो सेक्टर पर मंदी, कर्ज में आई कमी, निवेश पर रिटर्न नहीं.. इन कारणों के चलते आर्थिक सुस्ती देखी जा रही है। 

 भारतीय अर्थव्यवस्था में सब से बड़ा संकट 1991 में आया था जब आयात के लिए देश का विदेशी मुद्रा रिज़र्व घट कर 28 अरब डॉलर रह गया था. आज ये राशि 491 अरब डॉलर है। साल 2008-09 में वैश्विक मंदी आयी थी।उस समय भारत की अर्थव्यवस्था 3.1 प्रतिशत के दर से बढ़ी थी जो उसके पहले के सालों की तुलना में कम थी लेकिन अर्थशास्त्रियों के  अनुसार भारत उस समय भी मंदी का शिकार नहीं हुआ था। यह सुस्ती थी। 

मंदी और आर्थिक सुस्ती के बीच के फर्क को हम एक उदाहरण की मदद से समझ सकते हैं. मान लीजिए किसी कंपनी को अपने कर्मचारियों की सैलरी में इंक्रीमेंट का फैसला लेना है. कंपनी को अपना मुनाफा घट जाने से यह फैसला करने में दिक्कत आ रही है. स्थित के मुताबिक वह दो तरह का फैसला कर सकती है. पहला, वह इंक्रीमेंट दे सकती है, लेकिन यह एक साल पहले के मुकाबले कम (फीसदी में) होगा. दूसरा, वह आगे कठिन हालात को देखते हुए कर्मचारियों की सैलरी थोड़ा घटाने का फैसला करती है. मंदी और आर्थिक सुस्ती के साथ भी यही बात है. मंदी में जीडीपी ग्रोथ निगेटिव में चली जाती है, जबकि स्लोडाउन में यह पिछली तिमाही के मुकाबले घट जाती है.


भारत बहुत समृद्धिशाली है...... 

(यह सुस्ती बहुत जल्द तेजी में बदलेगी) 




भारतीय अर्थव्यवस्था की ग्रोथ पिछली कई तिमाही से लगातार घट रही है. ताजा आंकड़ें इस साल जून तिमाही के हैं। जून तिमाही में जीडीपी ग्रोथ घटकर 5 फीसदी रह गई।दरअसल, पिछले वित्त वर्ष से ही तिमाही आधार पर घरेलू अर्थव्यवस्था की ग्रोथ घट रही है पिछले वित्त वर्ष की जून तिमाही में जीडीपी ग्रोथ 8 फीसदी थी।सितंबर तिमाही में यह घटकर 7 फीसदी पर आ गई. दिसंबर तिमाही में यह 6.6 फीसदी रही. मार्च तिमाही यानी पिछले वित्त वर्ष की अंतिम तिमाही में यह 5.8 फीसदी रही।


उपर्युक्त आंकड़ों से यह स्पष्ट है कि देश की आर्थिक वृद्धि दर लगातार घट रही है लेकिन, अब तक यह निगेटिव में नहीं गई है।इसका मतलब यह है कि जीडीपी बढ़ रहा है. लेकिन इसके बढ़ने की रफ्तार सुस्त पड़ी है। इस पैमाने पर देखें तो अभी यह कहना गलत होगा कि भारतीय अर्थव्यवस्था में मंदी आ गई है दरअसल, भारतीय अर्थव्यवस्था सुस्ती के दौर में है। हां, यह सही है कि कंपनियों की बिक्री लगातार घट रही है. सबसे ज्यादा चिंता ऑटो सेल्स में गिरावट है।


 वित्तमंत्री निर्मला सीतारमण ने इस ग्रोथ को बढ़ाने के लिए कई एलान किए हैं।सरकार ने कोल माइनिंग में 100 फीसदी एफडीआई की मंजूरी दे दी है। इससे अलावा कोयले से जुड़ी दूसरी गतिविधियों से जुड़े क्षेत्र में भी 100 फीसदी एफडीआई की मंजूरी दी गई है। सरकार ने कॉन्ट्रैक्ट मैन्यूफैक्चरिंग के क्षेत्र में भी 100 फीसदी एफडीआई की मंजूरी दी है. सिंगल ब्रांड रिटेल में भी एफडीआई के नियमों की ढील दी गई है. इसके अलावा डिजिटल मीडिया के क्षेत्र में भी 26 फीसदी एफडीआई की मंजूरी दी गई है। सरकार ने 60 लाख टन चीनी के निर्यात को मंजूरी दी है।इस पर सरकार 6268 करोड़ रुपये का निर्यात सब्सिडी देगी।सरकार ऐसी व्यवस्था करेगी, जिससे निर्यात से हासिल रकम किसानों के खाते में जाएगी।इससे किसानों के हाथ में पैसा आएगा, जिससे मांग बढ़ाने में मदद मिलेगी। वित्तमंत्री ने लॉन्ग टर्म और शॉर्ट टर्म कैपिटल गेंस पर सरचार्ज में बढ़ोतरी का फैसला वापस ले लिया है. वित्तमंत्री ने विदेशी फंडों (FPI) पर भी सरचार्ज में बढ़ोतरी के फैसले को वापस ले लिया। उन्होंने कहा कि घरेलू निवेशकों के मामले में भी सरचार्ज के मामले में बजट से पहले जैसी स्थिति जारी रहेगी. इन फैसलों के बाद शेयर बाजारों में मजबूती दिखी है। 


अब बात आती है अर्थव्यवस्था गिर गयी..कुछ तथाकथित लोग चारों तरफ़ देश का मजाक बना रहे हैं, उन सब से यही कहूंगी कि देश में करोड़ों के रॉफेल आने को हैं, देश में करोड़ों के अपाचे हैलीकॉप्टर आ चुके हैं, देश में हर तरफ बाढ़ आयी हुई थी जिसमें सरकार को काफी आर्थिक छति होती, कामधंधे ठप पड़ जाते हैं उल्टे राहत बचाव में सरकारी मदद जाती है,फिर आये दिन चुनाव होते हैं जिसके प्रचार प्रसार में बहुत बड़ी राशि खर्च होती है... देश में कश्मीर में शांति बनाये रहने में वहां सरकारी पैसा खर्च हो रहा, पुल बन रहे, सड़कें बन रहीं, इसरो ने मंगल भेजा था अब चन्द्रयान - 2भेजा है.. उसमें भी सरकारी बड़ा बजट लगा है... आये दिन देश को मजबूत बनाने हेतु विदेशों से कई बड़े समझौते हेतु आये दिन उन्हें विदेशी यात्राएं करनी पड़ रही हैं.. ये बड़ा बजट भी सरकारी खजाने से ही जाता है.. ऊपर से कुछ भगोड़े देश का करोड़ों रूपया बैंक से लेकर विदेश भाग जाते हैं... वहीं कुछ भ्रष्ट मंत्री हजारों करोड़ रूपया स्विस बैंक में ले जा चुके हैं.. उससे भी देश की मजबूती में भारी सैंध यानि नकब लगती है। एक कड़वा सच यह भी है कि देश की भयंकर बेरोजगारी भी देश के विकास में बड़ा रोड़ा है, दूसरी तरफ़ कभी रेलदुर्घटनाएं, पुलवामा जैसी आतंकी घटना होती है.. सरकार को जान माल हर तरह का झटका लगता है, इसीलिए सरकार सेना को बेहद आधुनिक और सशक्त बना रही है.. बुलेटप्रूफ जैकेट, गोली, बारूद, आधुनिक हथियार सब विदेशों से बड़ी मात्रा में खरीदे जा रहे हैं, इतना बड़ा देश है कहीं न कहीं बड़ी दुर्घटनाएं होती हैं वहां सरकारी सम्पति नष्ट होती है ऊपर से सरकारी मुआवजा में भी दिया जाता है... ये सब पैसा सरकारी खजाने से ही तो देश हित में हम सबके हित में लग रहा... वहीं दूसरी ओर सोसलमीडिया पर नया मोटर व्हीकल एक्ट लागू होने के बाद से वाहन का रजिस्ट्रेशन सर्टीफिकेट (आरसी), इंश्योरेंस सर्टीफिकेट, पॉल्यूशन अंडर कंट्रोल सर्टिफिकेट, ड्राइविंग लाइसेंस और परमिट सर्टिफिकेट, हेलमेट ना लगा होने पर ताबड़तोड़ चालान काटने की खबरों को आर्थिक मंदी से जोड़ा जा रहा है कि सरकार कमा रही है..आप यह क्यों नहीं सोचते कि हेलमेट आपकी और आपके परिवार के जीवन की रक्षा के लिए है कि आप सुरक्षित रहें। हम लोग तब तक सरकारी नियमों को नहीं मानते जब तक जुर्माने नहीं लग जाता.. आप पचास हजार की गाड़ी चला सकते हो, दस हजार का मोबाइल चला सकते हो, मंहगे कपडे पहन सकते हो पर हजार रूपए का हेलमेट नहीं ले सकते... आप पूरे कागज रखें.. नहीं तो मोबाईल में फोटो रखें.. आप जिम्मेदार नागरिक बनिये.. देश अपने आप खुशहाल होगा। हाँ ये भी सच है कि गरीब आदमी इतना बड़ा चालान कैसे भरे? 

अब, सरकार को भी आम गरीब जनता के दर्द को समझना होगा कि प्रशासन गरीब के प्रति थोड़ी नरमी बरतें। जब एक तरफ आप कहते हैं कि हमाार देश मजबूत विकसित देश बने..आज  जब देश मजबूत हो रहा तो आप आर्थिक मंदी का रोना रो रहे हो... 2022 तक देखना हमारा भारत आर्थिक तौर पर महाशक्ति बनकर उभरने वाला है.... अपने देश का मजाक उड़ाने से अच्छा है सब लोग मिलकर काम करें, विकास की राह में सरकार के सहयोगी बने..विश्वास रखिए! भारत बेहद समृद्धिशाली देश है यहां उस तरह की मंदी नहीं है.. जिस तरह लोग गलत प्रचार कर रहे हैं.. यह सुस्ती है... जो जल्द ही तेजी में बदलने वाली है। और अपने देश पर गर्व करें। आइये! ESRO के सभी महान वैज्ञानिकों के लम्बे संघर्ष से जो आज सफलता मिलने वाली है...







हम सब भारतीयों का सिर विश्व भर में ऊँचा होने वाला है.. एक महान इतिहास बनने को है.. . आइये! हम सब मिलकर उसका जश्न मनाये.. क्योंकि यह सचमुच गर्व का पल है.. जब आज पूरा विश्व भारत का लोहा मानने को विवश होगा। 


#Salute #ESRO 🇮🇳

वंदेमातरम् 🇮🇳🙏💐

-ब्लॉगर आकांक्षा सक्सेना



No comments