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वोट और चोट एक साथ नहीं चल सकते - ब्लॉगर आकांक्षा सक्सेना



वोट की चोट
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जब वोट चाहिये होगा तब यह 1.36 अरब
की जनसंख्या भी कम पड़ती है साहिब लोगों को? जब बेरोजगारी की मांग करें तो जनसंख्या नियंत्रण याद आता है। बेरोजगारी के नाम पर सिर्फ लीपापोती ही हुई है....! चिल्लाने से अच्छा है वो काम कर दीजिए। जनता अब भाषण का नाटक नहीं बल्कि पापी पेट के लिए रोजगार का फाटक खुलता देखना चाहती है। साहिब! बोलो मत क्रियान्वयन करो! जनता का दिल जीतने का सिर्फ़ एक ही मार्ग शेष बचा है वो है हर हाथ को 'रोजगार देना' ।साहिब! भर्तियां कोर्ट में फंसी हैं उनको मुक्त करवाइये। बंद पड़ी कम्पनियों को पुनर्जीवित करवाया जाये। एक 'राष्ट्रीय बेरोजगार संसद' प्रोग्राम के तहत पूरे देश के बेरोजगारों से वीडियोकॉंप्रेसिंग के जरिये उनके बुरे हालातों की खबर ली जाये॥और सबसे प्रमुख की देश में पारदर्शिता से 'बेरोजगार गणना' करवायी जाये और हर हाथ को काम मिल सके ऐसी भव्य योजनाओं का लोकार्पण करवाया जाये। साहिब! देश आपका परिवार है और यह परिवार आपकी तरफ बड़ी ही उम्मीद से देख रहा है और इस परिवार को आप पर पूर्ण विश्वास है। कृपया आप इस विश्वास पर खरे उतर जाइये साहिब! यही विनम्र प्रार्थना है ।

आज 3मई अंतर्राष्ट्रीय पत्रकारिता स्‍वतंत्रता दिवस की आप सभी शुभचिंतकों को हार्दिक बधाई और शुभकामनाएं 🙏💐

_ब्लॉगर आकांक्षा सक्सेना (आम जनता की आवाज़)

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