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सोसलमीडिया पर न सुने गाली करें साईबर क्राईम कम्प्लेन करें-


सोसलमीडिया पर कोई गाली तो ऐसे करें साईबर कम्प्लेन

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[सोसलमीडिया मीडिया पर ना करें आधारकार्ड/ पैन कार्ड/पासपोर्ट /बैंक डिटेल का आदान - प्रदान] [Please do not exchange Aadhaar Card / PAN Card / Passport / Bank details on social media.  Stay alert and be safe.]


_ब्लॉगर आकांक्षा सक्सेना 


इंटनेट का प्रयोग दिनों दिन बढ़ता ही जा रहा है, आने वाले समय मे सब कुछ ऑनलाइन ही होने वाला है | जैसे जैसे इंटरनेट का इस्तेमाल बढ़ रहा है ठीक उसी तरह इंटरनेट की दुनिया मे अपराध भी बड़ी तेजी से बढ़ रहे है, जिसे साइबर क्राइम के नाम से जाना जाता है। साइबर अपराध को लेकर इंडिया मे बहुत कडा कानून बनाया गया हैं, हर अपराध की तरह साइबर क्राइम करने पर अपराधी को सजा दी जाती है। जानकारी के अभाव से लोग को ये नही पता होता की Cyber Crime ki Shikayat  कैसे और कहाँ करें।दिक्क यह आती है कि उदाहरण स्वरूप अगर कोई अमेरिका का निवासी आपको परेशान कर रहा है तो उसके दस्तावेज सहित यहां  ऑनलाइन कम्पलेन दर्ज करा सकते हैं। जिस में ReportH1BAbuse@uscis.dhs.gov या ReportH2BAbuse@uscis.dhs.gov पर ईमेल के जरिए शिकायत दर्ज करा करा सकते हैं। इसमें वो वीजा नियमों के कथित उल्लंघन, मनी ल१ंड्रिग, सोसलमीडिया पर पैसे मांगने के आरोप, महिला पुरूष को गंदी गाली और संभावित धोखाधड़ी या दुर्व्यवहार के बारे में अन्य प्रासंगिक जानकारियां साझा कर सकते हैं। यह विदेशी फर्जी संगठन बनाकर महिलाओं को ज्यादा से ज्यादा जोड़ कर उनसे जरूरी जानकारी लेकर उन्हें ब्लैकमेल करने लग जाते हैं एक रिपोर्ट की माने तो इंटरनेट इस्तेमाल करने वाली लगभग एक तिहाई महिलाएं किसी-न-किसी तरह के साइबर अपराध का शिकार होती हैं।लेकिन उनमे केवल 35 फीसदी महिलाओं ने ही अपने खिलाफ हुए साइबर अपराध की शिकायत की। वहीं साइबर अपराध से पीड़ित लगभग 46.7 फीसदी महिलाओं ने किसी तरह की कोई शिकायत नहीं की। 18.3 फीसदी महिलाओं को तो अंदाजा ही नहीं था कि वे साइबर अपराध का शिकार हो रही हैं।अगर इंटरनेट के प्लेटफार्म पर आपके आत्मसम्मान को, आपकी प्रतिष्ठा को चोट पहुंचाने जैसी भी कोई बात हुई है तो यह सब साइबर क्राइम के अंतर्गत आता है। इससे निपटने के लिए भारत में बकायदा कानून भी हैं तो भारत सरकार द्वारा इसके लिए एक डेडिकेटेड वेबसाइट cybercrime.gov.in शुरू की गई है। आप डरें नहीं व्यक्ति भारत का हो या अमेरिका, लंदन का अगर वह आपको परेशान कर रहा है या फेक ऑर्गेनााइजेशन चला कर देेश के लोगों की जानकाारियां चीन आदि देशों  को बेच रहा है तो आप कम्प्लेन में उसके सारे सबूत उसकी वेेवसाईट के लिंक उसके सभी कांंड के सबूूत उसका फोन नम्बर पता पासपोर्ट व सभी अभद्र टिप्पणी सहित आप उसके देश की वेवसाईट पर साईबर क्राईम कम्प्लेन कर दें ।वह लोग उसपर सारी जिंदगी निगरानी रखेगें और अपराधी बच नहीं सकेगा। ((क्योंकि अगर कोई आपको सोसलमीडिया पर मां की गाली देता है तो आप भी उसे उसकी मातृभूमि के साईबर क्राईम वाले कानून कायदे से याद दिला दें।)) कुछ भी बुरा हो तो चुप न रहे।अगर कुछ बेशर्मी की हद पार कर चुके फेक लोग जो खुद को लेफ्टिनेंट जनरल डॉ प्रोफेसर या जज या पुलिस, लिख कर लोगों को बेवकूफ़ बना न सिर्फ़ लूट रहे बल्कि घमका रहे तो ऐसे लोगों को बता दो कि लेफ्टिनेंट जनरल जी सेना की शान होते हैं और जो लोग फेक तरह से अपने नाम के आगें लेफ्टिनेंट जनरल लिख रहे हैं यह अंतर्राष्ट्रीय अपराध है जिसमें अंतराष्ट्रीय न्यायालय तक में वह फेक आदमी बच नहीं सकता। ऐसे लोग फेक जिंदगी जीते हैं। दुनिया को गुमराह करते हैं। यह लोग भारत के लोगों को परेशान करते हैं क्योंकि भारतीय सीधे सरल होते हैं। यही लोग जिस देश के नागरिक हैं उसी देश के लोग से बचते हैं। यह जिस देश के नागरिक हैं उस देश के लोगों को अपने संगठन में नहीं जोड़ते और न ही उन्हें नुकसान पहुंचाने के विषय में सोचते हैं। इनका निशाना भारतीय ही क्यों? तो इसका जवाब है कि हम रिपोर्ट करने से डर जाते हैं यही कारण है कि अपराधी बढ़ जाते हैं और जो गद्दार इन जैसों का साथ देते हैं। वह मातृभूमि से गद्दारी कर रहे हैं। यह बुरे लोग भले ही दिमाग चलाकर दुनिया की अदालतों से बच जायें पर भगवान की अदालत से कभी नहीं बच सकते। इनका सिर्फ एक ही धर्म है वो है धोखा देना। लोगों की भावनाओं से खेलकर अपना मतलब हल करना। 

 ऐसे लोगों से डरें नहीं बल्कि आप डायरेक्ट भारतीय आर्मी की ऑफिशियल वेवसाईट या ट्विटर पर जाकर जिस देश का वह नागरिक है उसी देश की आर्मी की वेवसाईट पर जाकर ऑनलाइन साईबर कम्प्लेन दर्ज कर दें।

साईबर क्राइम की उपरोक्त वेबसाइट एक बेहद सटीक और उपयोगी वेबसाइट है, जिसके माध्यम से आप अपनी कंप्लेन भारत सरकार तक आसानी से पहुंचा सकते हैं। फेक मीडिया संगठनों द्वारा दिये जा रहे  बिना रजिस्ट्रेशन,बिना आरएनआई के फेक मीडिया कार्ड की भी आप सायबर क्राईम के तहत कम्प्लेन दर्ज करा सकते हैं और भारतीय सूचना व प्रसारण मंत्रालय भारत सरकार की वेवसाईट व वह व्यक्ति अन्य देश का है तो उसके देश की मीडिया वेवसाईट व सूचना प्रसारण मंत्रालय की ऑफिशियल वेवसाईट पर जाकर कम्प्लेन दर्ज की जा सकती है। तथा आपकी पहचान गुप्त रखकर भी आप उसके देश में उसकी हरकत की शिकायत दर्ज कर सकते हैं। इसके लिए cybercrime.gov.in वेबसाइट पर आपको जाकर अपनी कंप्लेन फाइल करने हेतु अपनी सहमति देनी होती है। उसके बाद अपना प्रदेश सिलेक्ट करने के पश्चात, अपना नाम व अपना मोबाइल नंबर एंटर करेंगे तो आपके पास एक ओटीपी आएगा, उसके पश्चात ही आप आगे बढ़ सकेंगे। फिर वहां अपने साथ हुई क्राइम के संबंध में दी गई जानकारियों को फिल करके अपने खिलाफ साइबर क्राइम की रिपोर्ट दर्ज कर सकते हैं।यहाँ से आपको एक शिकायत नंबर मिलेगा, जिसके आधार पर बाद में आप इसे ट्रैक कर सकते हैं।कानूनी दृष्टि से अगर बात करें तो सूचना तकनीक कानून 2000 के अंतर्गत से जैसे अगर कंप्यूटर संसाधनों से छेड़छाड़ की कोशिश होती है, तो इसमें धारा 65 प्रयुक्त होती है। इसी प्रकार डाटा के साथ छेड़छाड़ और हैक करने की अगर कोशिश की गई है तो धारा 66 अप्लाई होती है।  66a में अगर आप रिस्ट्रिक्टेड इनफॉरमेशन कहीं भेजते हैं, तो यह धारा एप्लीकेबल होती है, जबकि धारा 66b किसी इलेक्ट्रॉनिक गैजेट के माध्यम से सूचनाओं को चोरी करने पर प्रयुक्त होती है।इसी प्रकार अगर किसी की आईडेंटिटी थेफ्ट होती है, तो 66c लगती है। वहीं, अपनी पहचान छुपा कर किसी दूसरे की पर्सनल इंफॉर्मेशन तक पहुंच बनाने पर लगती है 66d लगती है। किसी की प्राइवेसी भंग होने पर 66e एवं साइबर टेररिज्म के खिलाफ 66 एप्लीकेबल होती है।इसी प्रकार के अलग-अलग अपराधों के लिए धारा 67, 70, 71 और इसकी उपधाराएं प्रयोग में लाई जाती हैं।ना केवल सूचना तकनीक कानून 2000, बल्कि इंडियन पीनल कोड यानी भारतीय दंड संहिता में भी साइबर अपराधों के संबंध में जिन धाराओं का वर्णन किया गया है, उसका वर्णन कुछ यूं है।इसमें अगर ईमेल के माध्यम से कोई थ्रेट देता है तो धारा 503 का इस्तेमाल किया जाता है, जबकि ईमेल के माध्यम से अगर किसी की मानहानि की जाती है तो धारा 499 एप्लीकेबल होती है। फर्जी इलेक्ट्रॉनिक्स रिकार्ड के इस्तेमाल करने पर धारा 463 प्रयोग में लाई जाती है तो फर्जी वेबसाइट या साइबर फ्रॉड के लिए 420 एप्लीकेबल है।और भी कई धाराएं साइबर क्राइम्स के लिए उपयोग में लाई जाती है।आज के समय में हर किसी को बेहद अलर्ट रहने की जरूरत है। और खुद की इनफॉरमेशन को प्रोटेक्ट करने की उतनी ही आवश्यकता है। आज के समय में लोगों की बैंकिंग इनफार्मेशन से लेकर मेल, सोशल मीडिया डिटेल्स और दूसरी तमाम सेंसेटिव इनफॉरमेशन कंप्यूटर पर और मोबाइल पर उपलब्ध होती है, इसीलिए जरूरी है कि सभी के पासवर्ड सुरक्षित रहें एवं जहाँ संभव हो टू फैक्टर ऑथेंटिकेशन एक्टिव रहे। अगर आपके साथ सोसलमीडिया पर अन्याय हो रहा है तो आपको बता दें कि भारत सरकार द्वारा शुरू किए गए इस पोर्टल का उद्देश्य पीड़ितों / शिकायतकर्ताओं को साइबर क्राइम की शिकायतों की ऑनलाइन रिपोर्ट करना है। कोई भी व्यक्ति पहचान प्रकट किए बिना या अपना नाम, राज्य और मोबाइल नंबर प्रदान करके रिपोर्ट कर सकता है। शिकायतकर्ता इस विभाग के टोल फ्री नंबर 155260 के जरिए भी संपर्क कर सकते हैं। कृपया सोसलमीडिया पर किसी को भी पैसे मत दें और आधार कार्ड, पैन कार्ड व बैंक डिटेल किसी को मत देना, भले सोसलमीडिया पर आपके जीजा ही क्यों न मांग रहे हों कहना इसी बहाने घर घूम जाओ सेवा का अवसर हम सबको दें। यह हंसी की बात है पर आजकल  फेक आईडी पर जीजा बनकर भी लोग लूट का शिकार हुए हैं। कृपया सोसलमीडिया पर अनजान व्यक्ति पर बिल्कुल भरोसा न करें। कृपया सतर्क रहें और सुरक्षित रहें। 🙏💐

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