Breaking News

ब्लॉग समाज और हम की तरफ से आप सभी शुभचिंतकों को बसंत पंचमी की हार्दिक बधाई और अनंत शुभकामनाएं 🙏


ज्ञान की देवी माता भगवती सरस्वती मां और ज्ञान के साथ साहस प्रदान करने वाली माता नील सरस्वती की आराधना का महापर्व है आज 'बसंत पंचमी' -
_________



बसंत पंचमी की पौराणिक कथा - 

हिंदु पौराणिक कथाओं में प्रचलित एक कथा के अनुसार, भगवान ब्रह्मा ने संसार की रचना की। उन्होंने पेड़-पौधे, जीव-जन्तु और मनुष्य बनाए, लेकिन उन्हें लगा कि उनकी रचना में कुछ कमी रह गई। इसीलिए ब्रह्मा जी ने अपने कमंडल से जल छिड़का, जिससे चार हाथों वाली एक सुंदर स्त्री प्रकट हुई। उस स्त्री के एक हाथ में वीणा, दूसरे में पुस्तक, तीसरे में माला और चौथा हाथ वर मुद्रा में था। ब्रह्मा जी ने इस सुंदर देवी से वीणा बजाने को कहा। जैसे वीणा बजी ब्रह्मा जी की बनाई हर चीज़ में स्वर आ गया। तभी ब्रह्मा जी ने उस देवी को वाणी की देवी सरस्वती नाम दिया। वह दिन वसंत पंचमी का था। इसी वजह से हर साल वसंत पंचमी के दिन देवी सरस्वती का जन्मदिन मनाया जाने लगा और उनकी समस्त ब्रह्मांड में पूजा-अर्चना की जाने लगी।



माघ महीने की पंचमी तिथि को वसंत पंचमी का त्योहार मनाया जाता है। सर्वप्रथम मां की पीले वस्त्र पीले फूल पीले नैवेद्य द्वारा स्तुति की उनका आवाह्न किया जाता है 
या कुन्देन्दुतुषारहारधवला या शुभ्रवस्त्रावृता।
या वीणावरदण्डमण्डितकरा या श्वेतपद्मासना॥
या ब्रह्माच्युत शंकरप्रभृतिभिर्देवैः सदा वन्दिता।
सा मां पातु सरस्वती भगवती निःशेषजाड्यापहा॥1॥
अर्थ : जो विद्या की देवी भगवती सरस्वती कुन्द के फूल, चंद्रमा, हिमराशि और मोती के हार की तरह धवल वर्ण की हैं और जो श्वेत वस्त्र धारण करती हैं, जिनके हाथ में वीणा-दण्ड शोभायमान है, जिन्होंने श्वेत कमलों पर आसन ग्रहण किया है तथा ब्रह्मा, विष्णु एवं शंकर आदि देवताओं द्वारा जो सदा पूजित हैं, वही संपूर्ण जड़ता और अज्ञान को दूर कर देने वाली मां सरस्वती हमारी रक्षा करें। 

शुक्लां ब्रह्मविचार सार परमाम् आद्यां जगद्व्यापिनीम्।
वीणा-पुस्तक-धारिणीमभयदां जाड्यान्धकारापहाम्‌॥
हस्ते स्फटिकमालिकां विदधतीम् पद्मासने संस्थिताम्‌।
वन्दे तां परमेश्वरीं भगवतीं बुद्धिप्रदां शारदाम्‌॥2॥
अर्थ : जिनका रूप श्वेत है, जो ब्रह्मविचार की परम तत्व हैं, जो सब संसार में फैले रही हैं, जो हाथों में वीणा और पुस्तक धारण किये रहती हैं, अभय देती हैं, मूर्खतारूपी अन्धकार को दूर करती हैं, हाथ में स्फटिकमणि की माला लिए रहती हैं, कमल के आसन पर विराजमान होती हैं और बुद्धि देनेवाली हैं, उन आद्या परमेश्वरी भगवती सरस्वती की मैं वन्दना करती हूँ या करता हूं ।

इस दिन जपे गये माता सरस्वती जी के मंत्रों का हजार गुना अधिक फल माता प्रदान करतीं हैं। 

जिसमें ॐ ऐं क्लीं सरस्वते नम:
ॐ वाग्देवी वागीश्वरी नम:

माता नील सरस्वती स्त्रोत 
_________________



आज बसंत पंचमी के दिन मां सरस्वती के एक स्वरूप जिसे नील सरस्वती भी कहा जाता है, की पूजा भी की जाती है। इस दिन नील सरस्वती की पूजा करने का भी विशेष महत्व है। हालांकि, यह बहुत ही कम लोग जानते हैं कि इस दिन मां नील-सरस्वती की पूजा करना बेहद फलदायी माना जाता है। नील सरस्वती देवी अपने भक्तों को धन, सुख, समृद्धि देती हैं। पुराणों के अनुसार, सरस्वती मां के नील स्वरूप को अगर सच्चे मन और पूरे विधि-विधान के साथ पूजा जाए व्यक्ति शत्रुओं को पराजित कर सकता है। 
 
घोररूपे महारावे सर्वशत्रुभयङ्करि 
भक्तेभ्यो वरदे देवि त्राहि मां शरणागतम् I१I

ॐ सुरासुरार्चिते देवि सिद्धगन्धर्वसेविते I
जाड्यपापहरे देवि त्राहि मां शरणागतम् I२I

जटाजूटसमायुक्ते लोलजिह्वान्तकारिणि I
द्रुतबुद्धिकरे देवि त्राहि मां शरणागतम् I३I

सौम्यक्रोधधरे रूपे चण्डरूपे नमोSस्तु ते I
सृष्टिरूपे नमस्तुभ्यं त्राहि मां शरणागतम् I४I

जडानां जडतां हन्ति भक्तानां भक्तवत्सला I
मूढतां हर मे देवि त्राहि मां शरणागतम् I५I

वं ह्रूं ह्रूं कामये देवि बलिहोमप्रिये नमः I
उग्रतारे नमो नित्यं त्राहि मां शरणागतम् I ६I

बुद्धिं देहि यशो देहि कवित्वं देहि देहि मे I
मूढत्वं च हरेद्देवि त्राहि मां शरणागतम् I७I

इन्द्रादिविलसद्द्वन्द्ववन्दिते करुणामयि I
तारे ताराधिनाथास्ये त्राहि मां शरणागतम् I८I

अष्टम्यां च चतुर्दश्यां नवम्यां यः पठेन्नरः I
षण्मासैः सिद्धिमाप्नोति नात्र कार्या विचारणा I९I

मोक्षार्थी लभते मोक्षं धनार्थी लभते धनम् I
विद्यार्थी लभते विद्यां तर्कव्याकरणादिकम् I१०I

इदं स्तोत्रं पठेद्यस्तु सततं श्रद्धयाSन्वितः I
तस्य शत्रुः क्षयं याति महाप्रज्ञा प्रजायते I११I

पीडायां वापि संग्रामे जाड्ये दाने तथा भये I
य इदं पठति स्तोत्रं शुभं तस्य न संशयः I१२I

इति प्रणम्य स्तुत्वा च योनिमुद्रां प्रदर्शयेत् I१३I
ऐं ह्रीं श्रीं अंतरिक्ष सरस्वती परम रक्षिणी।
मम सर्व विघ्न बाधा निवारय निवारय स्वाहा।।
ओम ऐं सरस्वत्यै ऐं नमः।

नील सरस्वती का पूजा मंत्र:

ऐं ह्रीं श्रीं नील सरस्वत्यै नम:

__हे! ज्ञान विवेक विज्ञान की अधिष्ठात्री देवी माता सरस्वती मां आप सकल विश्व का कल्याण करें। आप सभी शुभचिंतकों को बसंत पंचमी यानि सरस्वती पूजन महापर्व की हार्दिक बधाई और अनंत शुभकामनाएं
💐💐💐💐💐💐🙏🙏🙏

No comments