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बुढ़वा मंगल उत्सव पर्व कथा-


बुढ़वा मंगल उत्सव पर्व और हिंदी दिवस की  हार्दिक बधाई और अनंत शुभकामनाएं -

यह पर्व प्रभु हनुमान जी के वृद्ध / बूढ़े रूप को समर्पित है। यह उत्सव भाद्रपद / भादौं माह के अंतिम मंगलवार को आयोजित किया जाता है, जिसे प्रचलित भाषा में बुढ़वा मंगल के नाम से भी जाना जाता है

बुढ़वा मंगल कथा -




                                          
वो आज ही का दिन था जब महाभारत काल में हजारों हाथियों के बल को धारण किए भीम को अपने शक्तिशाली होने पर बड़ा अभिमान और घमंड हो गया था। भीम के घमंड को तोड़ने के लिए रूद्र अवतार भगवान हनुमान ने एक बूढ़े बंदर का भेष धारण कर उनका घमंड चूर-चूर कियाआगे यही दिन आगे चलकर बुढ़वा मंगल कहलाने लगा।

एक अन्य मत के अनुसार आज ही के दिन रामायण काल में भाद्रपद महीने के आखिरी मंगलवार को माता सीता की खोज में लंका पहुंचे हनुमान जी की पूंछ में रावण ने आग लगा दी थी। हनुमान जी ने अपने विराट स्वरूप को धारण कर लंका को जलाकर रावण का घमंड चूर किया।


वेदों उपनिषदों पुराणों की दिव्य वाणी है कि भगवान श्रीराम भक्त हनुमान जी जो भगवान शिव के ही अंशावतार हैं। उन्हें देवी-देवताओं ने वरदान स्वरूप अनेकों शक्तियां प्रदान की हैं। अकेले देवी सीता ने उन्हें अष्ठ सिद्धियां नवनिधि का वरदान दिया है और माता सीता और भगवान श्री राम जी के आशीर्वाद से हनुमानजी अमर हैं। इंद्र और सूर्य जैसे देवों ने भी उन्हें प्रसन्न हो कर कई शक्तियों का वरदान दिया है। ब्रह्मदेव ने हनुमान जी को तीन वरदान दिए थे, जिनमें एक वरदान ऐसा भी था, जिसमें ब्रह्मास्त्र  का असर भी उन पर नहीं होना शामिल है। हनुमान जी के पास ऐसी चमत्कारिक शक्तियां हैं कि वे मच्छर से छोटा और हिमालय से भी बड़ा रूप धारण कर सकते हैं। यही कारण है कि हनुमान जी को रहस्यमयी भी माना गया है और वो अपने सच्चे भक्तों द्वारा चढ़ाया गया नैवेद्य अवश्य स्वीकार करते हैं और दर्शन भी अवश्य देते हैं। इतनी शक्तियों के होते हुये न वो स्वंय अहंकारी हैं और न हि उन्हें अहंकारी व्यक्ति पसंद है। कोई भी नकारात्मक ऊर्जा हनुमान जी के सामने टिक नहीं सकती। पुराणों में वर्णित है कि -

भगवान राम से पहले जन्मे थे हनुमान जी : हनुमान जी का जन्म कर्नाटक के कोपल जिले में स्थित हम्पी के निकट बसे हुए गांव में हुआ था। मतंग ऋषि के आश्रम में ही हनुमान जी का जन्म हुआ था। भगवान श्रीराम के जन्म से पहले हनुमान जी का जन्म हुआ था। हनुमान जी चैत्र मास की शुक्ल पूर्णमा के दिन जन्मे थे।

हनुमान जी के पसीने का रहस्य : हनुमान जी के पसीने का रहस्य बहुत ही आश्चर्यजनक है। उनके पसीने से उनका एक पुत्र हुआ था। दरअसल हनुमान जी पूरी लंका को भस्म कर समुद्र में अपनी पूंछ की आग बुझाने और अपने शरीर के ताप को कम करने के लिए विश्राम कर रहे थे तब उनके शरीर से टपका पसीना एक मादा मगरमच्छ ने निगल लिया। उनके पसीने की शक्ति से उनका एक पुत्र हुआ मकरध्वज।


माता जगदम्बा के सेवक है हनुमानजी : हनुमानजी भगवान श्रीराम के साथ ही माता जगदम्बा के सेवक माने गए हैं और जब माता चलती हैं, तो आगे हनुमान जी चलते हैं और उनके पीछे भैरव बाबा। यही कारण है कि जहां भी देवी का मंदिर होता है, वहां हनुमानजी और भैरव जी के मंदिर जरूर होते हैं।

सर्वप्रथम हनुमान जी ने लिखी थी रामायण : हनुमान जी ने हिमालय पर्वत पर रामायण अपने नाखूनों से उकेर कर लिखा था, लेकिन जब तुलसीदास अपनी रामायण हनुमान जी को दिखाने वहां पहुंचे तो उनकी रामायण देख वह दुखी हो गए, क्योंकि वह रामायण बहुत ही सुंदर लिखी गई थी और उनकी रामायण उसके आगे फीकी लगी। हनुमान जी ने जब तुलसीदास के मन की बात जानी तो वह अपनी लिखी रामायण को तुरंत ही मिटा दिया था।


कल्प के अंत तक शरीर में रहेंगे हनुमान :  हनुमान जी को इंद्रदेव से इच्छा मृत्यु का वरदान मिला है, लेकिन भगवान श्रीराम के निर्देशानुसार उन्हें कलयुग के अंत तक रहना ही है। भगवान राम के वरदान अनुसार कल्प का अंत होने पर उन्हें उनके सायुज्य की प्राप्ति होगी। सीता माता के वरदान के अनुसार वे चिरजीवी रहेंगे। रघुवीर श्रीमद्भागवत के अनुसार हनुमान जी कलियुग में गंधमादन पर्वत पर निवास करते हैं।

हनुमान जी के 108 नाम :  हनुमान जी के 108 नाम है। संस्कृत में हर  एक नाम का मतबल उनके जीवन के अध्यायों का सार बताता है। यही कारण है कि उनके नाम का जाप करने भर से हनुमत कृपा प्राप्त होती है। जो भी भक्त हनुमानजी का पूजन सच्चे मन से करते हैं तो उनपर भगवान श्री राम और माता जानकी की भी कृपा सदैव बनी रहती है और भगवान भोलेनाथ और मां गौरी जी का भी आशीर्वाद प्राप्त होता है व सभी तरह की नकारात्मक ऊर्जा का अस्तित्व समाप्त हो जाता है।

अष्ट सिद्धि और नवनिधि के दाता प्रभु हनुमानजी आपकी सपरिवार रक्षा करें और समस्त मनोकामनाएं पूर्ण करें।जय सियाराम जी, जय हनुमान जी, जय हिंदी जय हिंद🙏💐

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