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भं_गी का मतलब क्या होता है?





करीब आठ साल पुरानी बात है एक बार मैं प्राईमरी स्कूल में पहुंची।मैंने देखा! दो बहुत छोटे बच्चे टाटपट्टी पर अन्य बच्चों से दूर बैठे थे।मैं उन बच्चों की तरफ़ बढ़ी।तभी वहां बैठे अन्य बच्चे बोले कि अरे! मैडम वे तो भं_गी हैं। मैंने देखा कि वह दोनों बच्चे स्लैट पर कुछ लिख रहे थे। जब उन्होंने मुझे देखा तो उन्होंने स्लैट की तरफ़ इशारा किया। जिस पर लिखा था भं_गी का मतलब क्या होता है? यह सवाल पढ़कर मैं मन ही मन रो पड़ी थी। मैंने तुरंत उन बच्चों को अपने गले से लगा लिया। हाँ, वो बच्चे गूंगे थे पर बहरे नहीं । जब मैं उठी तो उन्होंने पीछे से मेरी शॉल खींचते हुए इशारा किया कि बताओ? तो मैंने उन बच्चों से सामने सूर्य भगवान की तरफ़ इशारा किया। मैंने कहा इस शब्द का मतलब है सूर्य भगवान । जो पूरी पृथ्वी की सेवा करते हैं और सदा चमकते हैं। पूरी दुनिया इन्हें भगवान सूर्य कहती है। पूजा करती है। यह सुनकर वो दोनों बच्चे मुस्कुराये और मेरे गले से लग गये। बाद में हुआ यह है कि मेरी सहेली ने यह घटना मेरी मकान-मालकिन को बता दी और उन्होंने मुझे भंगिन बोलकर, डांटते हुए कहा कि पहले नहाओ और तुरंत यह रूम खाली कर दो। यह सुनकर मैंने कहा, "रूम ढूंढने का तो समय दीजिए दो तीन दिन? तो बोलीं," मेरे तखत को स्पर्श मत करना, कोई चीज को टच न करना। मैंने कहा, आंटीजी! जनवरी की सर्दी है तखत को न स्पर्श करूं, तो जमीन पर सोना पडेगा। वह बोलीं, "तुम भंगियों के घर में तखत पर जाकर सो जाओ।" तब पीछे से अंकल जी आ गये और उन्हें देखकर, वह बोलीं कि सिर्फ़ दो दिन में रूम खाली कर दो। दो दिन बाद में जब मैं रूम छोड़कर जा रही थी तो आंटीजी पूरा घर इस तरह धो रही थीं मानों अर्थी के जाने बाद की धुलाई चल रही हो। 

_ब्लॉगर आकांक्षा सक्सेना



हिंदू एकता की बात करते हो..... 


#जात-पात, #छुआ-छूत, #ऊँच-नीच, #अस्पृश्यता 

#भेदभाव अब भी जारी है। लोग उनसे हाथ में पैसे नहीं लेते । कहते हैं जमीन पर रखो, उधर रखो। फिर बाद में जेब में आते ही जैसे पवित्र हो जाते हैं। शदियों से वाल्मीकि समाज की महिलाओं ने सिर पर मानव मल ढ़ोया है । #पोस्टमार्टम हाउस में #मुर्दे ढ़ोये, मरे जानवर उठाये, #श्मशान घाट में सेवा की, सड़कें, सीवर, सब साफ किये। और इस सेवा के बदले में समाज ने उन्हें #अछूत, #शूद्र, #दलित, नीच की उपाधि थी, सनद दी.. वाह! रे समाज तू तो धन्य है। कुत्ते बैडरूम में और उस इंसान से मित्रता तक नहीं। साथ में अलाव में बैठकर तापने तक से दिक्कत है। माला के इस मोती से इतनी नफ़रत देख कर बहुत दु:ख होता है कि ऐसे कैसे होगी हिंदू एकता मजबूत ...? 


आमतौर पर किस-किस का पक्का दोस्त #वाल्मीकि है?


क्योंकि माला के इस मोती को हमेशा दूरी-दुत्कार मिली।सबकी सेवा करने वाले को समाज ने सिर्फ़ घृणा दी,उपेक्षा दी।पर राजनीति ने बहुत कुछ बदला,लोग उनके पांव छूने लगे..#वाल्मीकि


साथियों! जब तक जातिगत शोषण,भेदभाव, ऊँच-नीच,अमीर-गरीब वाली सोच बरकरार रहेगी तब तक सामाजिक प्रेम की माला बिखरी रहेगी..यह सभी जातियों के सामंजस्य की माला हम आपको मिलकर ही पिरोनी होगी।वो भी बड़ा दिल रखकर। इस प्रेम और विश्वास से कि प्रत्येक मोती अनमोल है। 


_ब्लॉगर आकांक्षा सक्सेना 11:32, 17/01 /2023










नारी पूजा करने वाले देश में #वाल्मीकि जी जैसे महान ऋषि जिन्होंने माता सीता और लव-कुश को ससम्मान अपने आश्रम में रखा। 
जिन्होंने रामायण जैसा महाग्रंथ लिखा

ताज्जुब देखिये!

उसी समाज की वाल्मीकि महिलाओं ने पूरे समाज का मल अपने सिर पर ढ़ोया

पर ठेकेदारों को तरस नहीं आया कभी?
#शक्ति

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