Breaking News

मोटा अनाज बहुत जरूरी

 



मोटा अनाज बहुत जरूरी 
[मोटा खाओ, मजबूती पाओ] 

_ आकांक्षा सक्सेना, न्यूज एडीटर 

साथियों! हम आप के गांवों में जिसे चना - चबेना कहा जाता है और आदिवासी लोग जिसे भूंजा कहते हैं। हाँ! वही जिसे हम लोग की दादी - नानी अंगीठी पर रेत में भूनकर बरसात के मौसम में लकड़ी की डलिया में हमें पकड़ा देती थीं। जिसे हम सब कुटुक-कुटुक करके खाया करते थे। हाँ! हम उसी सौंधे मोटे भुने - कुरकुरे बचपन वाले अनाज की बात कर रहे हैं.... 
 
एक समय था जब मोटा अनाज हमारी मुस्कुराहट का पर्यावाची हुआ करता था परन्तु जब से चायनीज फूड मार्केट में आये तब से यह हमारा चना-चबेना, भूंजा सब हाशिये पर चला गया। जिसे फिर से भोजन का हिस्सा बनाने के लिए मोदी सरकार ने कई वर्षों से इस ओर ध्यान देना शुरू कर दिया था। परिणामस्वरूप आज मोटा अनाज वैश्विक चर्चा का विषय बन गया। बता दें कि मोटा अनाज मतलब मिलेट्स यानि सुपरफूड। जिसे "गरीबों का अनाज" कहा जाता था। उस अनाज की खूबियों से यूएन को अवगत करा के 72 देशों के समर्थन के बाद प्रधानमंत्री मोदी जी ने इस 2023 वर्ष को ही "मोटा अनाज वर्ष - 2023" यानि "अंतर्राष्ट्रीय पोषक अनाज वर्ष 2023" घोषित करवा लिया। और मिटा दिया मोटे अनाज पर लगा "गरीबों के अनाज" का "अपमानित स्टीकर"। प्रधानमंत्री मोदी यहां भी नहीं रूके उन्होंने घोषणा की हम मोटे अनाज के बारे में जन-जागरुकता हेतु इसे जी-20 सम्मेलन का महत्वपूर्ण अंग बनायेंगे। जिससे वैश्विक स्तर पर समस्त जन मानस "मोटा खायें और मजबूत रहें" । जब शरीर मजबूत होगा तो रोगों से बचेगें और हम सब मिलकल एक "उन्नत भारत, उन्नत विश्व" का निर्माण करेगें।जहां स्वास्थ्य धन, शांति धन और उन्नति धन से विश्व चकाचौंध होगा। सच कहूँ तो शांति ही सबसे बड़ी उन्नति होती है। 

गौरतलब है कि मोटा अनाज वर्ष को सफल बनाने के लिए केंद्र सरकार ने अनेकों महत्वपूर्ण योजनाएं प्रस्तावित की हैं। वह राशन प्रणाली के तहत मोटे अनाजों को घर-घर पहुंचाने पर जोर दे रही है। आंगनबाड़ी और मध्याह्न भोजन योजना में भी मोटे अनाजों को प्राथमिकता से शामिल कर लिया गया है। प्रधानमंत्री 'मन की बात' कार्यक्रम में मोटे अनाजों से बने व्यंजनों का उल्लेख करते रहते हैं। यह मोटा अनाज पोषण का सर्वश्रेष्ठ आहार कहा जाता है। मोटे अनाज में 7 से 12 प्रतिशत प्रोटीन, 65 से 75 प्रतिशत कार्बोहाइड्रेट और 15 से 20 प्रतिशत फाइबर तथा 5 प्रतिशत तक वसा उपलब्ध रहती है जिसके कारण यह "कुपोषण से लड़ने में सक्षम योद्धा अनाज" माना जाता है। मोटे अनाज को समस्त चिकित्सा पद्धतियों आयुर्वेद, यूनानी, अंग्रेजी सभी में महत्वपूर्ण माना गया है।

भारत में सिंधु घाटी सभ्यता के समय से ही मोटे अनाज की खेती के प्रमाण मिलते हैं तथा विश्व के 131 देशों में इनकी खेती होती है। मोटे अनाज के वैश्विक उत्पादन में भारत की हिस्सेदारी 20 प्रतिशत और एशिया में 80 प्रतिशत है। ज्वार के उत्पादन में भारत विश्व में प्रथम स्थान पर है। भारत में ज्वार का सर्वाधिक उत्पादन महाराष्ट्र, कर्नाटक, राजस्थान, तमिलनाडु, आंध्र प्रदेश, उत्तर प्रदेश, तेलंगाना और मध्य प्रदेश में होता है। बाजरे के उत्पादन में राजस्थान, उत्तर प्रदेश, हरियाणा, गुजरात, मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र और कर्नाटक आगे हैं।

गौरतलब है कि भारत, मोटे अनाज का दुनिया में सबसे बड़ा उत्पादक देश है परन्तु निर्यात के मामले में भारत पांचवें स्थान पर है। जी20 के आयोजन के जरिए भारत सरकार दुनिया में मोटे अनाज के कारोबार को त्वरित गति से बढ़ावा देने पर गम्भीर है संकल्पबद्ध है। जिसपर पीएम मोदी कह चुके हैं कि जी20 सम्मेलन के दौरान भी मोटे अनाज से बने व्यंजनों को परोसा जाएगा । वहीं दिसंबर 2022 में न्यूयॉर्क में संयुक्त राष्ट्र महासभा की बैठक में विदेश मंत्री एस जयशंकर ने दुनियाभर के राजदूतों को मोटे अनाज से बने व्यंजनों की दावत दी थी। और अभी शीतकालीन सत्र के दौरान संसद में सभी जनप्रतिनिधियों को  बाजरे का केक, रोटियां आदी कई पकवान  परोसकर एक "स्वस्थ संदेश" विश्व को दिया गया था । 

बता दें कि "मोटा अनाज पोषण की बैंक" है। बाकी अनाजों की अपेक्षा काफी सस्ता होता है। इसमें फाइबर की मात्रा अच्छी होती है । यह "कुपोषण से बचाव का राम वाण" है। तथा मोटे अनाज को उगाना काफी आसान है। इसे अधिक गर्मी व कम पानी में उगाया जा सकता है। पहले चिंता यह थी कि बाजरे के आटे को कड़वा होने से कैसे बचायें? पर देश (हरियाणा) के वैज्ञानिक ने इसका भी हल निकाल दिया  । उन्होंने कहा कि यदि बाजरे को 30 सेकेंड तक उबलते पानी में डालकर फिर सुखाया जाए और इसके बाद पिसवाया जाए तो यह आटा कई माह तक खराब नहीं होगा। अब लोगों का सवाल कि भारत में गर्मी ज्यादा पड़ती है तो बाजरे का सेवन सिर्फ़ सर्दियों में ही सफल है जैसे कि तिल का सेवन। पूर्वजों ने कहा है कि हर चीज की अति बुरी है वरना कोई चीज किसी मौसम में नुकसान नहीं करती यदि मात्रा उचित हो। गरम तो चॉकलेट, कॉफी भी होती है जिसे लोग हर मौसम में पीते हैं और ठण्डा मट्ठा, कोल्ड-ड्रिंक लोग सर्दियों में भी पीते हैं। 

बता दें कि मोटा अनाज वर्ष को सफल बनाने के लिए केंद्र सरकार कई योजनाएं लेकर आई है। राशन प्रणाली के तहत मोटे अनाजों के वितरण पर जोर दिया जा रहा है। आंगनबाड़ी और मध्याह्न भोजन योजना में भी मोटे अनाजों को शामिल कर लिया गया है। बता दें कि मोटा अनाज के तहत क्रमशः यह अनाज आते हैं - ज्वार, बाजरा, जुंडी, चेना, कंगनी, कुट्टू, कुटकी, कोदो जिसे केद्रव भी कहते हैं और रागी जिसकी 100 ग्राम रागी में 36.4 ग्राम कैल्शियम पाया जाता है। और मजबूत हड्डियों के लिए कैल्शियम बहुत जरूरी होता है। तथा मोटा अनाज कई गंभीर बीमारियों जैसे मधुमेह, हृदय संबंधी बीमारियों, गठिया, एनीमिया व कैंसर के मरीजों के लिए लाभदायक साबित होता है। मोटे अनाज की खासियत है कि अगर ये फसल खराब हो जाए तो फसलों के अवशेष पशुओं के चारे के तौर पर काम आते है। इन्हें पराली की तरह जलाने की जरुरत नहीं होती है। इन फसलों में कीटनाशकों का उपयोग भी बहुत कम होता है। 

सबसे बड़ी बात यह कि "मोटा अनाज" "बंजर जमीन" पर भी आसानी से "उगाया" जा सकता है। इसमें रेशा, प्रोटीन, विटामिन, जिंक, आयरन, कैल्शियम जैसे कई पोषक तत्व होते है।पीएम मोदी कह चुके हैं कि जी20 सम्मेलन के दौरान भी मोटे अनाज से बने व्यंजनों को परोसा जाएगा।

आइये! बात करते हैं मोटे अनाज के इतिहास की प्रमाण की तो बता दें कि भारत में सिंधु घाटी सभ्यता के समय से ही मोटे अनाज की खेती के पुख़्ता प्रमाण मिले हैं तथा विश्व के 131 देशों में इनकी खेती होती है। मोटे अनाज के वैश्विक उत्पादन में भारत की हिस्सेदारी 20 प्रतिशत और एशिया में 80 प्रतिशत है। ज्वार के उत्पादन में भारत विश्व में प्रथम स्थान पर है। भारत में ज्वार का सर्वाधिक उत्पादन महाराष्ट्र, कर्नाटक, राजस्थान, तमिलनाडु, आंध्र प्रदेश, उत्तर प्रदेश, तेलंगाना और मध्य प्रदेश में होता है। बाजरे के उत्पादन में राजस्थान, उत्तर प्रदेश, हरियाणा, गुजरात, मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र और कर्नाटक आगे हैं।

बता दें कि पीएम मोदी देश के स्वास्थ्य के प्रति बेहद गम्भीर हैं। वह देख रहे हैं कि पैकिट वाले महीन आटा जो आंतों में चिपक कर व्यक्ति को बीमार बना देता है। इसके लिए हमें अपने भोजन में मोटे अनाज को शामिल करना होगा। प्रधानमंत्री मोदी ने सभी किसानों को मोटे अनाज उत्पादन में रूचि बढ़ाने को कहा है जिनसे भविष्य में बिस्किट, नमकीन अन्य स्वादिष्ठ नाश्ते सर्वसुलभ हो सकेंगे। भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान की ओर से पहल शुरू हो चुकी है। बस अब हम सबको मिलकर इस ओर विशेष जागरूकता अभियान चलाने की जरूरत है जोकि सबके साथ से ही सम्भव हो सकेगा। 










No comments