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कृपया जीवन को चुनें, युद्ध को नहीं

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Please Think Positive! The biggest nuclear weapon can kill millions of humans, but do we humans have any such research, any machine that can revive even a single dead person. Violence cannot be called development.

   _Blogger Akanksha Saxena

अगर किसी की जिंदगी बचती हो तो पराजय को स्वीकार कर लो।

 किसी की जान के बदले में अगर पराजय मिलती हो तो यह सर्वशक्तिमान द्वारा मिला एक अनमोल उपहार है। क्योंकि पराजय का मतलब हमेशा पराजय नहीं होता। यह हमारी विचारधारा पर निर्भर करता है। यह जीवन के प्रति हमारी भावनाओं और संवेदनाओं पर निर्भर करता है। 

विश्वास रखो! वह पराजय, जीत से बेहतर होगी।जो लोगों को युद्ध के भय और तनाव से मुक्त करेगी। 

 

रूस और यूक्रेन के राष्ट्राध्यक्षों से मैं इंसानियत के नाते विनम्र अपील करतीं हूँ कि वह अपने देशों की निर्दोष जनता के लिए अपनी आकाश चीरती महत्वाकांक्षाओं पर लगाम लगायें।


राष्ट्राध्यक्षों को याद रखना चाहिए कि यदि आप की हिंसक विचारधारा से आने वाली पीढ़ियों की नैतिक विचारधारा अनैतिक रूप में प्रभावित होती है तो यह मानवता की एक बहुत बड़ी हानि होगी। एक बहुत बड़ी त्रासदी होगी। जिसकी भरपाई करने में युग बीत जायेगें।  नफरत और हिंसा जैसी विध्वंसक शक्तियों को जीतने मत दो। यह पृथ्वी की सुख शांति को बिखेर देगीं। संयम से काम लें। परमात्मा ने आपको करोड़ों जीवन के रक्षा की जिम्मेदारी दी है। यह आपका सौभाग्य है। आप महान हैं। आप योद्धा हैं और एक सच्चा योद्धा जीवन बचाता है। 


  इस भयंकर युद्ध से दोनों देशों की अनमोल संस्कृति उजड़ रही है और जनता काफी तनाव में है। आखिर! विश्व शांति और मानवता की मुखर आवाज वाले देश इस अशांति पर मौन क्यों हैं? क्या विश्व शांति और मानवता की बातें सिर्फ़ मंच और मीटिंग्स का आकर्षण मात्र है। कृपया अपनी माता समान पृथ्वी और पिता समान अंतरिक्ष को इंसानों की हिंसक अंहकारी  विचारधारा से बचाओ। वरना इंसान के  क्रूरतापूर्ण स्वभाव का बदला प्रकृति अपने भयंकर कोप से देगी। 

हम मुट्ठी भर हिंसक महत्वाकांक्षी लोगों के कारण पूरी पृथ्वी को मौत के ब्लैक होल में नही झोंक सकते। कृपया दोनों देश मिलकर अपने नागरिकों के सुंदर भविष्य के लिए यह युद्ध रोक दें।
अब यह युद्ध रोक दो! जीवन के लिए! अपने अंहकार को परास्त कर दो! जीवन को गले लगाओ। अपने अंहकार के सीमेंट से बनी महत्वाकांक्षाओं की दीवारों को दोनों मिलकर खण्डित कर दो। युद्ध अपने अन्यायी अंहकार से करो। 

अनगिनत लाशों के ऊपर मिली जीत को भला कोई कैसे जीत शब्द से परिभाषित कर सकेगा। सोचिए! सबसे बड़ा यूक्लियर हथियार लाखों - करोड़ों इंसानों की जान ले सकता है परन्तु क्या हम इंसानों के पास ऐसा कोई अनुसंधान ऐसी कोई मशीन है जो किसी एक भी मृत व्यक्ति को पुनर्जीवित कर सके। लाखों लोगों की हत्या करने को विकास नहीं कहा जा सकता। हिंसा को विकास नहीं कहा जा सकता। 
विकास तो वह है जो किसी का जीवन बचाये। लोगों के जीवन को आनंद से भर दे। लाखों लोगों की हत्या के बाद मिली जीत को मानवता की कसौटी पर कभी भी सही नहीं ठहराया जा सकता।
याद रखो! हृदय खोलो! कि निर्दोषों की हत्याओं की नींव पर कभी भी सुखद विकास की इमारत खड़ी नहीं की जा सकती।
युद्ध से भरी सोच रखने वाले राजा को  सर्वशक्तिमान की अदालत में क्षमा और दया की भीख नहीं मिलती। सबसे बड़ा न्याय, सर्वशक्तिमान की बंद मुट्ठी में बंद है। वह मुठ्ठी एक दिन जरूर खुलेगी। याद रखो! सम्पूर्ण मानव इतिहास गवाह है कि प्रकृति कुछ भी भूलती नहीं है।

 

अभी इंसान पानी नहीं बना पाया। खून नही बना पाया। प्रकृति के अनंत राज अभी इंसान से परे हैं। हमें उन रहस्यमयी राज पर करना होगा। युद्ध से हम इंसान अपने विकास के लक्ष्य से पिछड़ जायेगें। मेरी विश्व के समस्त देशों से विनम्र अपील है कि विश्व शांति के लिए मुखर आवाज उठायें। हम सब मिलकल पृथ्वी और अंतरिक्ष की शांति को भंग होने से बचायें। मानवता के मामले में चुप न रहें। जीवन के लिए प्रार्थनाएं करें। 

जो दूसरों के जीवन को बचाने के लिए स्व: हार स्वीकार कर जाते हैं वह लोग महान कहलाते हैं।इतिहास में उनका अमर हो जाता है।आगें आने वाली पीढ़ियां उनके मानवीय कर्मों का अनुसरण करती है। हे! सुन्दर देशों,तुम करूण हृदय की पुकार को अनसुना मत करना। सत्य है कि शांति में ही उन्नति का निवास है। जो व्यक्ति शांति और जीवन की रक्षा को प्राथमिकता देता है वह पूरी दुनिया सहित सर्वशक्तिमान का प्रेम और आशीर्वाद पाता हैं। दूरदृष्टा बनकर जीवन की महत्ता पर विचार करो! प्रत्येक जीवन अनमोल है।

  ईश्वर की अदालत में भी आप सम्मान पाओगे।


  _ब्लॉगर आकांक्षा सक्सेना

  1:09 21/01/2023


                   Thank You! 🙏

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