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राधा नाम की महिमा अनंत




एक बार श्री राधा की अष्ट सखियों ने श्री राधा से कहा कि वो देखो! सभी रसिक राधे राधे नाम का जाप कर रहे हैं और तुम आँख बंद किये मुस्कुरा रही हो।

उन संतों को स्वप्न में प्रेरणा दो कि वह श्री कृष्ण नाम का जाप करें.. तुम भी तो श्री कृष्ण नाम का जाप करती हो न फिर.... अपने नाम से इतना मोह क्यों? यह गलत है राधा... यह कैसा कृष्ण प्रेम यह कैसी भक्ति? क्या तुम्हें अपनी भक्ति, कृष्ण की भक्ति से ज्यादा प्रिय है?


श्री राधा ने अपने सुन्दर कमल नयन खोले और कहा कि अरी! सखियों....मुझे तो बस इतना ही चाहिये कि मेरे कृष्ण को अगर मेरे नाम से खुशी मिलती है, सुकून, तसल्ली मिलती है। मेरे नाम से उसके चेहरे पर जो एक मुस्कान आती है, मेरे लिए उससे बढ़ भला क्या हो सकता है। यह संसार अगर मुझे आत्ममुग्ध और स्वनामप्रिया कहकर मोहयुक्त अहंकारी कह कर मेरा अपमान या उपहास भी उड़ाये तो हे! साखियों मुझे वो भी सहर्ष स्वीकार है। क्योंकि जो मेरा है वो कृष्ण का है और जो कृष्ण का है वह मेरा अत्यंत प्रिय है।


सखियों! ने श्री राधे के कान में आकर कहा राधे राधे


और श्री राधे....जोर से हँस पड़ीं। फिर श्री राधे के हँसते ही भगवान श्री कृष्ण वहां प्रकट हो गये और बोले, अरी! सखियों अकेले - अकेले ही राधा नाम जप रही हो। मैंने सोचा मैं भी नामरस धारा का पान करूं। यह देखकर सभी सखियों ने कहा, "हाँ, आज हमें राधा नाम की महिमा का प्रत्यक्ष प्रमाण मिल गया।

क्योंकि श्री राधा जी का एक मात्र लक्ष्य है कृष्ण के चित्त और हृदय को आनन्दित देखना। वह यह कहतीं है कि राधा नाम जाप से यदि मेरे कृष्ण को आनंद मिलता है तो यही मेरी शांति है। यह राधा नाम जाप अथवा कृष्ण नाम जाप कोई प्रतियोगिता नहीं है। भक्ति में कोई प्रतियोगिता नहीं होती।

इसीलिए कहा गया है कि श्री राधा का प्रेम अनंत है अथाह है और सभी किन्तु परन्तु से परे है.... उनके लिए श्री कृष्ण का सुख ही सर्वोपरि है। 

सभी ग्रंथ, सभी पुराण, सभी संत, महंत, रसिकों ने भगवान के नाम जाप रस कीर्तन की महिमा गायी है।

राधे राधे हरे कृष्ण जय श्री राधेकृष्ण 💐🙏

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