डमी कंडीडेट की हकीकत जानो!
डमी कंडीडेट की हकीकत जानो -
पत्रकार - अब तो चेयरमैन के चुनाव टल गये तो अब?
प्रत्याशी - टल गये तो बाद में होगें पर चैयरमैन हम ही रहेगें।
पत्रकार - आप जनरल हैं पर सीट तो एससी, ओबेसी..
प्रत्याशी - देखो! पहली पत्नी जनरल है, दूसरी पत्नी एससी, भैया की पत्नी ओबीसी और बेटा की पत्नी मुसलमान, सासूअम्मा विकलांग और उते देखो! वह झाड़ू लगा रहा, मैं उसे ही डमी कंडीडेट में उतार सकता हूं, उसे चाहिये बोतल और राशन सो उसे देत रहेगें। और सुनो! पत्रकार मैडम
कोई भी सीट हो जीतेगें हम हीं... पीेछे से आवाज़ों का शोर था.. फलाने बाहूबलीभैयाराज करेगें। जिंदाबाद! जिंदाबाद!
लोकतंत्र के डमी कंडीडेट सोच की हकीकत
_ब्लॉगर आकांक्षा सक्सेना
11/01/2023 20/01/2023
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हर वक्त इंसान काल की नज़र में है
फिर भी वह पाप करता चला रहा है।
यह जानकर भी कि समय की सजा से
बचना असम्भव है।
याद रखो "भ्रष्टों" पंच तत्व भी हिसाब लेगें।
_ब्लॉगर आकांक्षा सक्सेना
3:24 20/01/2023
#पंच_तत्व #प्रकृति_का_अनावश्यक_दोहन
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न्याय कोई क्रय-विक्रय की वस्तु नहीं। यह एक महिला मानवाधिकार है। इसलिये - किसी भी शासक के शासन में तत्काल, निष्पक्ष, स्वच्छ, सम्पूर्ण, नि:शुल्क, पारदर्शी व मानवीय न्याय पाने की गारंटीड इच्छा न करें॥
_ब्लॉगर आकांक्षा सक्सेना
#न्याय #यौनउत्पीड़न #मीलॉर्ड #कलयुग
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