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बेबसी - ब्लॉगर आकांक्षा सक्सेना /"कुर्सी ....कुर्सी ......कुर्सी का नशा ......


आग बेबसी की... 
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 बेबसी
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ये कैसी बरसात है दोस्त 
ना पानी हैं ना ओले है 
बरस रही ये आग सभी पर 
ये कैसे छलों के अँधेरे हैं... 


ये कैसे अधिकार हैं दोस्त 
जनता मरे तो चुप्पी सधे 
शहादत हो तो सवाल नहीं
जब नेता मरे तो शोक मने... 


ये कैसी आंधी है दोस्त 
न पत्ते उड़े न धूल उड़े 
ज़िस्मों से चुस  रहा 
लहू सभी का,
ये कैसे पिशाच लुटेरे हैं... 


यह कैसी अंधी दौड़ है दोस्त
ना आवाज़ आये ना शोर मचे
चुपचाप धन स्विसबैंक पहुंचे
प्रजा यहां बिन मौत मरे....

ये कैसी बिजली चमकी दोस्त 
न कड़कना न गिरना जाने 
इस हरक़त से मन, 
त्रस्त सभी का 
ये कैसे कुर्सी को घेरे हैं... 


-ब्लॉगर आकांक्षा सक्सेना 






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