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कविता : यादों की रानी

                       

                  यादों की रानी


वो यादों की रानी है यादों में उतरती है
कभी आँखो से बरसती है कभी जामों में झलकती है
मेरी दिल की सीड़ी पर वो चढ़ती उतरती है 
वो यादों की रानी है यादों में उतरती है...

मैने करली थी ये जिद्द सोचूँ न कभी उसको
वो,आँखो के सामने से हर वक्त गुजरती है
आँखे बन्द करता हूँ तो सपना बन जाती है
आँखों को जो मैं खोलूँ सामने खड़ी मुस्काती है
मेरा मन ही मुझको यारों पागल ठहराता है
मुझे समझ नही आता मुझे क्या हो जाता है

भूल के भी उसको यारों मैं भूल न पाता हूँ
यादों में आकर के वो कुछ एेसे लिपटती है
दिन,दोपेहर,रात का अब असर नहीं मुझपर
हर पहर से निकल के वो मेरी रात बन जाती है
मेरी यादों की दुनिया की वो अबूझ पहेली है
कभी फूलों में उतरती है कभी तारों में चमकती है
फिर,ज़ालिम ओस बनके वो मुझपे बरसती है

मेरे दिल को तड़पा के वो आँसू में उतरती है
तस्वीर में हँसती है तस्वीर में सजती है
यादों में उसकी ही हुकूमत चलती है
कभी गर्म हवा बनकर मुझको छू जाती है
कभी शर्द हवा बन कर मुझको तड़पाती है

मैने ढूँढना चाहा तो मिलती है यादों में
पुकारता हूँ उसको आती है ख्वाबों में
उसकी डांट मेरा हर ख्वाब टुड़ाती है
फिर,सामने धूप बनकर वो मुझको जगाती है

मेरी जॉन तेरी मुझको बहुत याद सताती है
आजा कहीं से तू अब जॉन ये जाती है
तू मेरी कहानी है तू मेरी ज़ुबानी है
तेरी याद में मेरी जॉन इक उम्र गुज़ारी है

मॉफ करदे मुझे मेरी जाँ बस इतनी गुज़ारिस है
ले ले मेरी ये जॉन ये जॉन तुम्हारी है
अब आजा कहीं से तू लगजा मेरे सीने से
मर जाऊंगा तेरे बिना तू हर श्वांस की रानी है

          तू मेरे दिल की रानी है
          मेरी रूह में उतरती है
          तू मेरे दिल की रानी है
          दिन रात धड़कती है

                                       
 

                                 
                                                                                                             आकांक्षा सक्सेना                                                         Saturday
                                        8:45am
                                        8/10/2011



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