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अंतरराष्ट्रीय उपभोक्ता दिवस और उपभोक्ता विवस क्यों ?





उपभोक्ता का ही हो रहा उपभोग :

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पता नहीं क्यों हर अच्छे कार्य और दिवस की शुरूवात आंदोलन से ही हुई, चाहे वो महिला दिवस हो या आज उपभोक्ता दिवस | सबसे पहले उपभोक्ता आंदोलन की शुरूवात अमेरिका के रल्प नाडेर के नेत्रत्व में हुई और तब  1862 को अमेरिकी कांग्रेस में जॉन एफ कॉनेडी द्वारा उपभेक्ता संरक्षण पर विधेयक पास हुआ और इसके फलस्वरूप  15 मार्च को अंतरराष्ट्रीय उपभोक्ता दिवस की शुरूवात हुई | इसी कड़ी में अपने हिन्दुस्तान में उपभोक्ता के हितों के रक्षा हेतु श्री गोविन्ददास जी की अध्यक्षता में उपभोक्ता संरक्षण विधेयक का मसौदा अखिल भारतीय ग्राहक पंचायत ने तैयार किया जिसका उद्देश्य था उपभोक्ता के हितों की रक्षा व उन्हें शोषण से बचाना और उनको अपने अधिकारों और जिम्मेदारी हेतु जागरूक बनाना |इसी कड़ी में बी एम जोशी द्वारा एक स्वंयसेवी संगठन के रूप में 1974 पुणे में  ग्राहक पंचायत की स्थापना की जिसके प्रभावस्वरूप उपभोक्ता कल्याण परिषद का गठन हुआ जिसके परिणामस्वरूप 9 दिसम्बर 1896 उपभोक्ता संरक्षण विधेयक पारित हुआ |अत: आम उपभोक्ता के लिये सरल और सुगम बनाने हेतु संरक्षण नियम को 1987 में संशोधित किया गया और 5 मार्च 2004 को अधिसूचित किया गया | फलस्वरूप भारत सरकार ने 24 दिसम्बर को राष्ट्रीय उपभोक्ता दिवस घोषित किया गया और अंतरराष्ट्रीय उपभोक्ता दिवस सन् 2000 में पूरे भारत में पहली बार मनाया गया | आज भी प्रतिवर्ष 15 मार्च के दिन को हम सभी लोग विश्व उपभोक्ता दिवस के रूप मनाते हैं पर सच पूछो तो हम आज भी सावधानी नहीं बरतते |जब भी सोने के आभूषण खरीदो तो आभूषणों की हॉलमार्किंग, उत्पादों पर भारतीय मानक, आई एस आई का निशान और खरीददारी करते समय उत्पाद का अधिकतम खुदरा मूल्य, एम आर पी और उत्पाद की समाप्ती की तारीख भी देखें और सम्भव हो तो दुकानदार को भी जागरूक करें कि दोषी पाये जाने पर एक माह से तीन माह तक की कैद और 10,000 तक का जुर्माना भी हो सकता है और यहाँ तक ही नहीं धारा 27 के तहत कारावास और धारा 25 के तहत कुर्की भी हो सकती है |देश में इतने मजबूत कानून के बावजूद भी उपभोक्ता रोज छले जाने पर विवश है | देश में लगाये गये बिजली के इलेक्ट्रोनिक मीटर इतना तेज भाग रहें हैं कि बन्द पड़े घर में बिजली का बिल केवल इण्डीकेटर जलने के कारण दो हजार आया |सरकार को इस ओर ध्यान देना चाहिये कि उपभोक्ता बहुत मेहनत से कमा रहा है जब ऐसा हो तो वो क्या करे | आज दुकानों पर खुले जो आचार बिक रहे उनमें इतना प्रिजर्वेटिव होता है कि लोगों को भयाभय अलसर हो रहा है | इन सभी चीजों की जाँच क्यों नहीं होती ? आज अरहर की दाल 200 रूपये मंहगी होने के बावजूद शूद्ध नहीं उसमें चटरी और मटरी की दाल मिला दी जाती है जो स्वास्थ्य की दृस्टि से ठीक नही, चने की दाल के बेसन में मटर की दाल का बेसन खूब बिक रहा, पिस्ता में हरे रंग से रंगी मंगफली, शक्कर में छोटावाला साबूदाना मिला और दूध से क्रीम गायब और आरारोड मिला हुआ, सब्जी में परवल धोओ तो हरा रंग निकलता, पालक उबालों तो बगबूदार झाग बनता और साबुन लेने जाओ तो झाग ही नहीं निकलता, हद तो अब हो गयी जब सरसों का तेल डालडे की तरह जम रहा और रिफाईण्ड से बनाओ तो सब्जी में वो स्वाद नहीं |अब दवाई लेने जाओ तो पूछते हैं कि एक रूपये वाली गोली दूँ या पाँच वाली, नकली दवाओं का बाजार भरा पड़ा है, खाँसी का सीरफ लेने जाओ तो वह किसी नशे से कम नहीं आदमी को आदत हो जाती है, पेट दर्द कब्ज और भूख बढ़ाने वाले ना जाने कितने ही नकली उत्पाद हमको दीमक की तरह चट रहें हैं |देखो,  कितने ही लम्बाई बढ़ाने वाले, मोटापा कम करने वाले प्रोडक्ट बाजार में हैं जो केवल उपभोक्ता को भंयकर बीमारियों की चपेट में ले रहें हैं और ले चुके हैं | आपने देखा होगा दोस्तों, ट्रेन में जो चाय बिकती है और जो खुले बाल्टियों में चने बिकते हैं बताईये वो कितने स्वच्छ और सुरक्षित हैं | गली, चौराहे और नुक्कड पर जो हाँथ डोब- डोब कर स्टील की प्लेट में जो पानी पूरी मिलती है, आरारोड में लिपटी आलू की टिक्की मिलती है बोलो कितनी शुद्ध होती है | खाने - पीने की वस्तुयें खुले आम खुली बिक रहीं चाहे गुड़ हो चाहे टोस्ट हों चाहे कटे फल हों क्या ये सब बीमारी के दूत नहीं हैं बोलो |आज जमाखोरी, मिलावटखोरी, हरहाल में  जल्दी अमीर बनने  लालसा ने  उपभोक्ता का ही उपभोक्ता करना शुरू कर दिया है, और विड्म्ना यह है कि हम विवश है | हम ये नहीं कह रहे कि गरीब ठेले वाले पर उचित प्रबंध हो तो वो ठेला ही क्यों लगाये | हम बस इतना चाहते हैं कि ठेलों पर जो भी खाने- पीने की वस्तुयें बिकती हैं उन पर ना जाने कितना प्रदूषण रूपी कार्बन जमा होता है, यह सोचते हुए वो पर्यावरण की दृष्टि से पारदर्शी कागज की बड़ी सी सीट से ढ़क कर ही बेचें जो सरकार की तरफ से निशुल्क मिलें और जो बिक रहा ऊपर उसका नाम लिखा हो जिससे उपभोक्ता सुरक्षित हो सके और देश के महान प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी जी का स्वच्छ और सुरक्षित भारत का सपना पूरा हो सके |हम सरकार से इतना निवेदन करते हैं कि यह स्कूलों और कॉलेजों की किताबों में इस एक पाठ या विषय के तौर पर जोड़ दिया जाये ताकि देश का हर बच्चा अपने अधिकारें के प्रति जागरूक हो सके |ये भी निवेदन करते हैं कि देश का राष्ट्रीय खाद्य जाँच विभाग हर दिन सजग सचेत और क्रियाशील हो जिससे हलवाई गाजर के हलवे में पुरानी सड़ी और मक्खी बैठीं मिठाई को मिलावट करने में सौ बार सोचे जिससे उपभोक्ता के मेहनत की कमाई मूल्यहीन साबित ना हो और जिससे हम और हम खाद्य पदार्थों के रूप में बीमारियाँ घर ना ला सकें और अपने परिवार की मुस्कुराहट से समझोता न करना पड़ सके |पूरे देश में उपभोक्ताहित के लिये टोल फ्री नम्बर 1800-11-14000 डायल कर प्रत्येक उपभोक्ता अपनी समस्या का उचित समाधान पा सकता है |अत: दोस्तों इस अंतरराष्ट्रीय उपभोक्ता दिवस तभी सफल माना जायेगा, जब हम भी देश के प्रति अपनी जिम्मेदारी निभायें आइये खुद भी जागरूक बने और लोगों को भी जागरूक बनायें |


ब्लागिस्ट
आकांक्षा सक्सेना 
जिला - औरैया 
उत्तर प्रदेश





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