आजादी के मायने
........................
दोस्तों, यह आजादी शब्द हम सभी ने सुना है और क्यों न इस शब्द की हकीकत को जाने इसके मायने को समझने की कोशिस करें कि जब बहुत सारे पंक्षी पंख फैलाये नीले आकाश में उड़ते चले जाते हैं तो वह दृर्श्य बहुत मनोरम होता हैं क्योंकि प्रकृति का प्राकृतिक स्वभाव बहुत ही सुन्दर और प्यारा और मोहक है क्योंकि प्रकृति प्रेम देती बंधन नहीं | जैसे कोई शेर जब जंगल में रहता है तो वह जंगल का राजा कहलाता है और जब वही शेर पिंजड़े में रहता है तो केवल एक सामान्य आश्रित पालतू पशु ही उसकी पहिचान बन जाती है | उसकी आजादी उसके जंगल के प्राकृतिक जीवन में है न कि पिजड़े में आश्रित अप्राकृतिक जीवन में |
दोस्तों! गुलामी, प्रेम तथा विकास व विराटता के मार्ग को अवरूद्ध कर देती है | इसीलिये सभी इंसान, जीव व प्राणी जगत को आजादी प्रिय है | आजादी हमें खुलकर जीना सिखाती है | हमें पंख रूपी जज्बा देती है पर इसका यह मतलब कतई नही कि हम हमारे निजीहित में किसी दूसरे के पंख ही काट दें | हम हमारी ऊर्जा अपने साथी को गिराने व तोड़ने में लगा रहे हैं| हम जलन त्यागें और व्यक्ति के भरोसे को न तोड़े बल्कि हम अपनी काबीलियत से उसके बनाये रिकार्ड को तोड़ें और एक नया रिकॉर्ड बनाने में अपनी ऊर्जा लगा दें | आजादी हमें सपनों में उड़ने के साथ-साथ सपनों को हकीकत बनाने में योग्यदान देती है| आजादी स्वभिमान की पोषक होती है |आजादी का मतलब यही है कि स्वंय की आत्मा की आवाज का पालन कर उस रास्ते पर चल देना| जिस रास्ते की मंजिल पर हम स्वंय के साथ सभी का विकास कर पाये और देश का नाम गर्व के साथ पूरी दुनिया तक पहुंचा पायें | परन्तु आज आजादी के मायने यह हैं कि हम इतने सिकुड़ कर जी रहे हैं कि पड़ोसी के भी दर्द से भी बेखबर हैं और पड़ोसी तो दूर अपने घर के बुजुर्गों का चश्मा बनवाने की फुर्सत नही है | यहां तक कि उनसे सीधे मुंह बात करना भी हम भूल चुके हैं | हमने कंजूसी की सारी हदें पार कर दी कि दो प्रेम के बोल और एक मुस्कॉन भी हमें किसी को देना गंवारा नही जबकि इसमें धन खर्च नही होता | हमारी जीभ को जिस कदर मीठा पसंद है, काश! कि उतना ही मीठा बोलना भी आ जाये तो काफी कुछ टूटने- बिखरने से बच जाये | आज हम कुछ इस तरह से आजाद हैं कि केवल अपने लिये ही जी रहे हैं जबकि यह जीवन प्रकृति से मिला है और प्रकृति तो देना जानती है और हम 'देना' शब्द ही भूल गये | दोस्तों, हम अपने अजीब बेढ़गें स्वभाव के गुलाम हो गये और दुर्भाग्य यह है कि हम इस स्वार्थी और खुदगर्ज रवैये रूपी पिजड़े से खुद को आजाद करना ही नही चाहते और आजादी की बात करते हैं | यही बुजदिल, खुदगर्ज रवैया आज हमारी नीति व नियति बन चुका है जोकि इंसानियत के लिये घातक हथियार से कम नही है
दोस्तों हम कहाँ आजाद हैं बोलो ! जब तक देश का एक भी बच्चा-बच्ची, महिला, वृद्ध भूखे व असुरक्षित सड़कों पर बदहाल सोने पर विवश हैं और एक भी युवा दुखी व बेरोजगार है जब तक दहेज के कारण देश की एक भी बेटी शोषिक व मारी जाती रहेगी और जब तक लोगों की सोच में घुल चुका नशा और छुआ-छूत का जहर खत्म नही हो जाता तथा जबतक देश में गौ, गंगा और कन्या व प्रकृति के प्रति हमारा संवेदनहीन रवैया नही सुधरता तथा समाज की हर समय बेटियों को दबाने की दकिसानूसी मानसिकता में सुधार नहीं आता तब तक हमें खुद को आजाद कहने का कोई हक नही है क्योंकि हम दकियानूसी संकीर्ण सोच व विकृत मानसिकता के आज भी आदी व गुलाम बने हुये हैं | जब तक हम हमारे दिल, दिमाग और मन में न्यायिक, समदर्शी, पारदर्शी व इंसानियत से ओत-प्रोत सोच को स्थापित नही करेगें तब तक हम सही मायनों में इंसान भी कहलाने के लायक नही है |जब तक हमारे अंदर बुराईयों की दीवारें नही गिरेगीं तब तक यह भेद-भाव की खाइयां नहीं पटेगीं |
दोस्तों हम कहाँ आजाद हैं बोलो ! जब तक देश का एक भी बच्चा-बच्ची, महिला, वृद्ध भूखे व असुरक्षित सड़कों पर बदहाल सोने पर विवश हैं और एक भी युवा दुखी व बेरोजगार है जब तक दहेज के कारण देश की एक भी बेटी शोषिक व मारी जाती रहेगी और जब तक लोगों की सोच में घुल चुका नशा और छुआ-छूत का जहर खत्म नही हो जाता तथा जबतक देश में गौ, गंगा और कन्या व प्रकृति के प्रति हमारा संवेदनहीन रवैया नही सुधरता तथा समाज की हर समय बेटियों को दबाने की दकिसानूसी मानसिकता में सुधार नहीं आता तब तक हमें खुद को आजाद कहने का कोई हक नही है क्योंकि हम दकियानूसी संकीर्ण सोच व विकृत मानसिकता के आज भी आदी व गुलाम बने हुये हैं | जब तक हम हमारे दिल, दिमाग और मन में न्यायिक, समदर्शी, पारदर्शी व इंसानियत से ओत-प्रोत सोच को स्थापित नही करेगें तब तक हम सही मायनों में इंसान भी कहलाने के लायक नही है |जब तक हमारे अंदर बुराईयों की दीवारें नही गिरेगीं तब तक यह भेद-भाव की खाइयां नहीं पटेगीं |
जब तक हमारे अंदर की तासीर नही बदलेगी
तब तक देश की तस्वीर व तकदीर भी नही निखरेगी |
इंसान का भोलापन आज उसका खोखलापन बन चुका है कि इंसान जानता सब है पर मानता नही |
विडम्बना यह है दोस्तों, कि हम हमारे पड़ोसी को बदलना चाहते हैं यकीनन देश को बदलना चाहते हैं पर खुद को बदलना नहीं चाहते | कहीं पर भी पहुंचने के लिये कदम तो स्वंय को ही बढ़ाने होगें | हम दोस्ती चाहते हैं तो हाथ हमको ही बढ़ाना होगा और सहृदय, ससम्मान मिलाना होगा | आजादी के मायने यही है कि इंसान में इंसानियत जीवित रहे | हम खुद भी जागें और लोगों को भी जगाये | हम खुद भी आगें बढ़े और लोगों को भी आगें बढ़ायें | हमेशा सर्वजनहितकारी, सम्मानकारी, समदर्शी व पारदर्शी प्राकृतिक स्वभाव अपनाये | अपने तन- मन और वाणी से अपने स्थान, गांव, शहर और देश को स्वच्छ और पारदर्शी सोच से स्वच्छ, स्वस्थ व सुन्दर बनाये रखें|
!! इंसानियत जिंदाबाद !!
!! जय हिन्द जय भारत !!
दोस्तों आप सभी को देश के राष्ट्रीय पर्व गणतंत्र दिवस की अग्रिम बधाई और ढ़ेरसारी शुभकामनायें | हमें अपने महान देश जो अपने में महानतम् प्रतिभाशाली, गौरवशाली इतिहास को समेटे, विश्वगुरू, पवित्र, सर्वधार्मिक सौहार्द को कायम रखे, दिव्य तेजोमय वीरों की तपोभूमि भारतभूमि को शीश नवाकर सहृदय ससम्मान शत् शत् नमन करती हूँ |
..............!! वंदेमातरम् !!.............
आजादी के मायने :
Reviewed by Akanksha Saxena
on
January 19, 2017
Rating: 5
No comments