दर्द मेरा हमसफर
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दर्द मेरा इश्क
दर्द मेरा मरहम
दर्द मेरा हमदम
दर्द मेरा हमदम
दर्द मेरा लवर
दर्द मेरा हमसफर
आज के रिश्ते
धन के
आज के नाते
तन के
आज की दोस्ती
झूठी
आज की हवा
प्रदूषित
आज की प्रेमयात्रा
शुरू होती दोस्ती से
तलाशती प्रेम की मंजिल
पर ठहर जाती वासना पर
आज का प्रेम मुसाफिर
थका हारा उदाशीन
ऐसी यात्रा क्या करनी
जिसकी मंजिल है धोखे
हजार इल्जाम लगाकर
दिलों ने दिल को तोड़ा
जब विश्वास है मरता
कोई न सामने दिखता
पास आते हैं आँसू
दर्द सीने से लगाता
खुशियां हैं खुशफहमी
रिश्तों में हेराफेरी
पैसे की चमक में
लुट रही हसरत सबकी
हार के जब मुँह देखे
दुनिया ने भी मुँह मोड़े
छोड़ के जातें सब जब
साथ देता यही दर्द
कि देता हौंसला-हिम्मत
पोछ देता हर आँसू
दिलाता याद तुझे तू
कर सकता है कुछ भी
तब याद आता हुनर
टूट जाते हैं रिकॉर्ड
पहुंचते फिर मंजिल से आगें
कहीं बजती हैं तालियां
कहीं सुलग उठतें हैं अरमां
मुलाकात खुद से
करा देता है यही दर्द
तुझे इंसान बना
देता है यही दर्द
दर्द मेरा जुनून है
दर्द मेरा गुरूर
दर्द मेरा लवर है
दर्द मेरा हमसफर
दर्द जिंदगी की मोहब्बत
दर्द जिंदगी की इबादत
दर्द एक महान शिक्षक
दर्द एक कड़वी दवा
दर्द की एक मुस्कान
तेरी ही जीत है इंसा
दर्द है माँ की गोद
दर्द है माँ की लोरी
दर्द एक सच्चा आशिक
दर्द है हजार दुआ सा
दर्द का प्रेम अजब है
दर्द का रूप गजब है
दर्द मैं को मिटाता
दर्द स्व: को जगाता
दर्द पहिचान दिलाता
दर्द दुनिया से मिलाता
दर्द की मैं जानेमन
दर्द है दिलवर मेरा
दर्द मेरा लवर है
दर्द मेरा जिगर है
आकांक्षा की यही
आकांक्षा
जीवन में बस जा मेरे
कभी दूर न मुझसे होना
तुझसे बस यही इल्तिज़ा
बड़ी हस्ती न बनाना
मुझे मासूम ही रखना
ओ! मेरे हमदम दर्द
नाम जोड़ना बस खुद से
कि, तू मेरा रब है
तू मेरा सब है
तू मेरी आख़री ख्वाहिश
तू मेरी अंतिम हद है
दर्द मेरा लवर है
दर्द मेरा हमसफर ....
..... घन्यवाद......
कविता: दर्द मेरा हमसफर
Reviewed by Akanksha Saxena
on
January 21, 2018
Rating: 5
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