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फाईल बंद, बंदा आजाद - ब्लॉगर आकांक्षा सक्सेना






सरकार क्यों बेन 🚫 नहीं करतीं ऐसी पत्रिकाएं? 
क्यों नहीं होता सामाजिक बहिष्कार? 
पत्र - पत्रिकाओं में नग्नता छापना कहां तक जायज? 
पेपर देखा, पढ़ा कोने में रख दिया... 
हम आपकी यह चुप्पी कब तक? 

[जब आप ऐसी पत्रिकाओं को दुकानों पर टंगा देखते हैं तब साईड होकर निकल जाते हो. ... नहीं बोलते कि यह क्यों बेचते हो? नहीं पूछते हो, कि कौन है इस पत्रिका का मालिक? पर हमने यह फेसबुक पर लगाकर इनका पर्दाफाश किया तो आपको लग रहा कि यह पिक मैंने क्यों लगायी.. ना लगाते तो आप कैसे विश्वास करते... कैसे महसूस करते कि यह सब देखकर बच्चों की क्या मनोदशा होती है और कैसे काले कारोबारी हमारी इसी मनोदशा का फायदा उठाकर कैसे बड़ा मुनाफा कमाते हैं और बड़े-बड़े मंचों पर सम्मानित तक होते हैं.....] 


कल कड़वे घूँट पोस्ट लिखी... लोगों ने कहा... समाज में महिलाओं से दुष्कर्म आखिर! लगातार हो क्यों रहे हैं? उसका जवाब यह है जो आप तस्वीरें में देख रहे..कि पूरे भारत में कुछ तथाकथित लोगों की अंतरिक्ष चीरती महत्वाकांक्षा और रातों - रात धन कुबेर बनने की लालसा पूर्ति हेतु वह अपनी विभिन्न नामी गिरामी पत्र पत्रिकाओं में जबर्दस्त तरीके से बिना किसी डर के खुलेआम  अश्लीलता परोसते जा रहे हैं... आप सुनकर हैरान हो जायेगें कि यह अश्लीलता का एक बहुत बड़ा बाजार है जोकि अरबों - खरबों का कारोबार है और सरस सलिल और अब तो इंडिया टूडे ने भी कवर पर अश्लीलता परोसने के सारे रिकॉर्ड ही तोड़ दिए हैं..अनेकों फालतू बुक एमाजोन पर धडल्ले से बिक रहीं हैं, अनेकों वेवसाईट पर अश्लील कहानियों की बाढ़ ने मोटा मुनाफे का सौदा बना रखा है, वहीं इन अश्लील पत्र - पत्रिकाओं का करोड़ों की संख्या में बहुत बड़ा पाठक वर्ग है... उसी तरह अश्लील वेवसाईट को.. और भी युवाओं को पथभ्रष्ट करने के लिए इसके अतिरिक्त इनके तरकश में पता नहीं कितने तीर होगें....यह सब वर्षों से परोसा जा रहा...जो आज बहुत बड़ी आबादी की नशे से बड़ी, गंदी लत बन चुका है... जिनका इन मैग्जीनों को सिर्फ़ देखकर पढ़कर खुद पर संयम रख पाना सम्भव नही हो पाता तो यही अश्लील कहानियाँ पूरी ट्रैनिंग भी देती हैं कि कैसे जाल बिछाओ लडकी फंसाओ और रेप करो.... जान से मारो... और सबूत मिटा दो... और ऊपर से देश की लचर प्रणाली ही कुछ ऐसी है कि सबूत नहीं तो कुछ भी नहीं..फिर फाईल बंद... बंदा आजाद....

अब तय आपको करना है कि हमें कैसा समाज और कैसा देश बनाना है। यह तो काले दिल के उन अमीरों का काला धंधा है.. यह बिकतीं थीं और बिकतीं रहेगीं... लोग पढ़ते थे और पढ़ते रहेगें....

सच तो यह है कि रेप के जितने दोषी ये रेपिस्ट हैं तो निश्चित ही उतने ही दोषी यह अश्लीलता के कारोबारी भी हैं जिन्होंने लोगों के मन पर मस्तिष्क पर इस गंदगी को जबरन थोप कर उनकी आदत में सुमार कर दिया है और ताज्जुब तो यह है पूरे देश में अश्लीलता का इतना बड़ा कारोबार चल रहा और सत्ताशीनों, सम्बंधित अधिकारियों, न्यायमूर्तियों की कभी नज़र तक नहीं पड़ती.... वहीं रही बची कसर कुछ तथाकथित नेताओं के शर्मनाक बयान पूरी कर देते हैं.... 

कि रेप तो होते ही रहते हैं..लड़कियां छोटे कपड़े पहनती लडकों का बेकाबू होना लाजमी, लड़कों से गल्ती हो जाती हैं...वहीं कानून, छोटी बच्ची के रेप पर अलग, बड़ी के रेप पर अलग, बृद्ध के रेप पर अलग सजा का प्रावधान है ... हद है - रेप तो रेप हैं ना.. इसमें ना पीड़िता की उम्र देखी जानी चाहिए और ना ही उस अपराधी जानवर की उम्र... जब तक रेपिस्टों को सरेआम समाज के सामने बेइज्जत करके फांसी नहीं दी जायेगी..तब तक अपराधियों को भय नहीं होगा.. और जब तक डर-भय नहीं होगा.. क्राईम भी खत्म नहीं हो सकता। 

इस फोटो को पोस्ट करने के लिए आप सब के सामने क्षमाप्रार्थी हूँ 🙏पर विश्वास कीजिए मेरा मनतव्य समाज और राष्ट्रहित है । 


!! बने स्वच्छ समाज, स्वस्थ्य मानसिकता 

यही हमारी  हो प्राथमिकता !! 

वंदेमातरम् 🇮🇳


-ब्लॉगर आकांक्षा सक्सेना 

   समाज और हम

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