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उच्चशिक्षा की गुणवत्ता : टॉयलेट में अभद्र लेखनी बंद हो - ब्लॉगर आकांक्षा सक्सेना
उच्चशिक्षा की गुणवत्ता : टॉयलेट में अभद्र लेखनी बंद हो - ब्लॉगर आकांक्षा सक्सेना
#उच्चशिक्षाकीगुणवत्ता और #टॉयलेट पर अभद्र लेखनी बंद कराने की कृपा करें ।
हमेशा प्राईमरी के शिक्षकों पर ही क्यों भृकुटी तनी रहती है आप सबकी?
जनहित में -
Stop Writing!!
इस टॉयलेट का प्रयोग आपकी बहनें भी करेगीं।
सरकार और मीडिया हमेशा #प्राईमरशिक्षकों के पीछे नहा - धोकर पड़ी रहती है.. कभी देश के इंटर कॉलेजों और डिग्री कॉलेजों का भी शिक्षण तापमान चेक कर लिया करें..साहिब! जहाँ टॉयलेट की दीवारों पर कितने फिजिक्स नहीं फजिक्स, कैमिस्ट्री , बायोलॉजी के प्रेक्टिकल धुंआधार चल रहे हैं.....!!
... #फिजिक्स को #फजिक्स करके रखा है आप सबकी जीतोड़ लापरवाही और धनउगाही ने... प्रोफ़ेसरों के बच्चे अमेरिका, इंग्लैंड, लंदन में पढ़ रहे हैं.. और यहां के इंटर कॉलेजों, डिग्री कॉलेजों के बच्चे फिजिक्स को फजिक्स बोल रहे हैं... वो भी इन्हीं #ट्यूशनखोर,#बसूलीबाज शिक्षा की दुर्दशा करने वाले #माफिया #कोचिंगखोर #भ्रष्ट #लेक्चरॉर और #प्रोफेसरों द्वारा अपनी ऊपरी कमाई के चक्कर में..इनकी अंतरिक्ष चीरती महत्वाकांक्षा ने शिक्षा के स्तर को इतना गिरा रखा है.. कि पूछो ही मत। ये मानिए कि उच्च शिक्षा प्रणाली को पूरी तरह ध्वस्त कर रखा है...कि बच्चों से फाइलों में ही सारे प्रेक्टिकल बतौर बसूली कम्प्लीट करवा लिये जाते हैं.... .फिर स्टूडेंट्स क्या करें कालेजों में..? आप मोबाईल पर मैच में बिजी रहोगे... क्लास लेनी नहीं आपको.. .वो क्या कर रहे इसकी सुध लेनी नहीं आपको... स्टूडेंट्स के टॉयलेट में जाकर वहां की दुर्व्यवस्था देखना है नहीं आपको....
तो सीधी सी बात है स्टूडेंट्स भी मुक्त हैं, खाली दिमाग टॉयलेट में जाकर अमर्यादित शारीरिक अंग बनाकर शायरी ही लिखेगें ना....!!
मुझे ऐसी कई महिला पीचडी स्टूडेंट्स मिलीं जिन्होंने कहा कि उन्होंने अपनी पीएचडी बीच में ही छोड़ दी क्योंकि पीचडी कराने वाला प्रोफेसर लड़कियों और लड़को दोनों का आर्थिक, मानसिक शोषण तो करते ही हैं साथ में शारीरिक शोषण करने का पूरा प्रयास करते वरना कहते हैं घर जाओ...
इससे ना सरकार को कोई मतलब नहीं कि उच्चशिक्षा को स्टूडेंट्स बीच में ही क्यों छोड़ रहे हैं....?
दूसरा यह कि सारे शोध अंग्रेजी में और ग्रामीण क्षेत्रों से आये बुद्धिमान बच्चे जो अंग्रेजी में माहिर ना होने के कारण चुप रह जाते हैं और उनकी इसी कमजोरी का लाभ कुछ गंदी मानसिकता के प्रोफेसर भरपूर मात्रा में उठा रहे हैं...सरकार को चाहिए वह हिन्दी और अंग्रेजी दोनों माध्यम में शोध को गति दे.. जिससे विकास के मार्ग में भाषा बाधा ना बन सके.. बड़ी मात्रा में शोध से जुड़ी किताबों का हिन्दी अनुवाद करा के शोधार्थियों को मुहैया करायी जायें...आज हम रूस अमेरिका से हवाई जहाज खरीद रहे हैं, आखिर वह टेक्नोलॉजी हम क्यों विकसित नहीं कर पा रहे? क्यों युवाओं को अंग्रेजी का भोकाल दिखा कर पीछे फेंक दिया जाता है... शिक्षा को इतना मंहगा कर रखा कि आम लोगों की पहुंच से परे... ऊपर से कुछ लालची भ्रष्ट प्रोफेसरों ने रही बची कसर पूरी कर दी है....
पर आपको सिर्फ़ और सिर्फ़ वोटनीति ही सूझ रही है.. गधे रहो और हमारी रैलियों में आकर हमारी जिन्दाबाद करो... और ज्यादा बुद्धिमान हो तो हम आपको सुविधायें ही नहीं देगें नवीन खोज के लिए चाहे कितनी ही प्रतिभायें विदेशों में पलायन कर जायें..... कब जागोगे साहिब... और कब जागने और बढ़ने दोगे....?
आज सरकार, मीडिया सबका फोकस सिर्फ़ प्राईमरी के मास्टर पर है उतना उच्चशिक्षा पर नहीं... आप प्राईमरी जूनियर सबपर फोकस कीजिए परन्तु उच्चशिक्षा की दुर्दशा को इग्नोर मत कीजिए.. थोड़ी गाज यहां भी गिरनी चाहिए साहिब...साहिब आपकी चुप्पी से हजारों शोधकर्ताओं का भविष्य अंधकार में है जो देश के विकास के लिए बुरी खबर से कम नहीं...
पर, इससे प्रोफ़ेसरों की सेहत पर कोई असर नहीं... होगा भी क्यों? ... बच्चे तो ग्रामीण क्षेत्रों में मजदूरों और किसानों, आम जनता के हैं... प्रोफ़ेसरों के तो विदेश हैं...चिंता कैसी? ऊपर से कुछ तथाकथित चैनलों की भ्रष्ट मीडिया जिनका कैमरा सपनों में भी यहां नहीं घूमता.... शिक्षाप्रद चीजों से #टीआरपीखोरों की कमाई तो होती नहीं.... जो प्रोफेसर गरीबों के बच्चों का खून पीकर करोड़पति हो रहे... उनकी कोचिंग का भ्रष्टाचार नहीं दिखायेगें आप सब... जिनके गगनचुंबी लालच की इमारतों ने बच्चों को सभ्य नहीं वरन असभ्य व्यक्ति बनाकर ही दम लिया....!!
हे!भ्रष्ट लेक्चरों और प्रोफेसरों ईमान को जगाओ और गरीबों के बच्चों पर रहम करो.. ये ट्यूशन का गोरखधंधा बंद करो और सीरियस मेहनत कर लो.. आप गुरू हैं जो भगवान समान होता है.. हजारों बच्चों को पथभ्रष्ट होने से रोक कर रिटिन को प्रेक्टिकल, प्रोजेक्ट, विज्ञान प्रदर्शनी, भ्रमण आदि से जोड़ दो।
मुझे दुख होता है कि आज पूरी दुनिया एलियन परग्रही को ढूंढ रही है पहुंच रही है और हम हिन्दू मुस्लिम राजनीति करके लड़ रहे हैं.... क्योंकि लड़वाने में ही कुछ तथाकथित लोगों का फायदा है कि देश का युवा लड़ता रहे जेलें काटें... देश कमजोर होता जाये....
साहिब! आप सब की गाज भी गिरेगी तो सिर्फ़ सरकारी प्राईमरी के मास्टरों पर....!! जरा सोचिए! उच्चशिक्षा के क्षेत्र में आपने देश के भविष्य को आज कहां लाकर खड़ा कर दिया है...!!
बेहद शर्मनाक..!!
-ब्लॉगर आकांक्षा सक्सेना
उच्चशिक्षा की गुणवत्ता : टॉयलेट में अभद्र लेखनी बंद हो - ब्लॉगर आकांक्षा सक्सेना
Reviewed by Akanksha Saxena
on
July 18, 2019
Rating: 5
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