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सैल्यूट करो तो सही से करो वरना फोटोबाजी मत करो...

धिक्कार 

कल एक किसी चिरकुट नेता कि फोटो फेसबुक पर मिली जिसे देखकर मेरा खून खौल गया,इस बेवकूफ़ को ना तो छाती चौड़ी करके गर्दन सीधे रखकर, थोड़ी ऊँची रखकर आँखों पर अमर बलदानियों के कुर्बानियों का एहसास भरकर शरीर में जोश भरकर बुलंद इरादों से माथे को टच करते हुए,दोनों पांव के बीच में थोड़ी जगह रखते हुए सैल्यूट तक करना नहीं आता। जरा बात करो इन जैसों से तो आप देखेगें कि  ना तो इन्हें राष्ट्रगान और राष्ट्रगीत की जानकारी होती है और चले आते हैं नेता बनकर फोटो खिंचाने और जो इन महाशय की फुल फोटो ले रहा उस मूर्ख को ये नहीं दिख रहा कि तिंरगा पांव के नीचे है और महान क्रांतिकारी की फोटो जमीन पर है, इन दुष्टों को ये नहीं पता कि क्रांतिकारियों का सम्मान कैसे करते हैं, तिंरगें को सैल्यूट कैसे करते हैं?ये तो अपने माथे पर मानो अपने करम ठोककर हाय हाय करके केवल खानापूर्ति कर रहे हैं.. इनको ये नहीं पता कि वीर अमर बलदानियों की फोटो जमीन पर पांवों के पास रखना पाप है अपराध है... ऊपर से जमीन पर रखी आजादी के महानायक नेताजी श्री सुभाषचंद्र बोस जी के फोटो पर माला नहीं, एक पर माला दूसरे पर माला नहीं। ये कौन सी घटिया मानसिकता है... ऊपर से इस दो कोड़ी के घटिया नेता ने भारत की आन-बान-शान तिंरगें पर पांव रख रखा है... अबे! फालतू इंसान तेरे इस फोटो खिचानें का नशा दो मिनट में उतर जायेगा... इतनी गालियाँ निकलतीं हैं ऐसे टचपुंजी लोगों पर... इन जैसों को गालियाँ देकर मानो गाली की बेइज्जती हो जाती है। तुम जैसे जाहिल...अरे! चुनाव जीते हो तो कुछ भी करोगे क्या? अब आगें से कभी देश की धड़कन तिरंगें को, वीर बलदानियों को,गलत तरीके से सैल्यूट करने, देश को अपमानित करने वाला फोटो अपलोड किया तो तुम जो भी कोई हो, मुझसे गालियाँ विकट खाओगे... समझे..! 
अब आईंदा ऐसी हरकत करके फोटो मत खिंचाना तुम्हें देश का वास्ता... 

जानिए कि  सैल्यूट के मायने क्या हैं.. 






     देखिए! सैल्यूट वैसे तो किसी भी शख्स द्वारा दूसरे शख्स को सम्मान से सलाम करना, अभिनन्दन करना और अभिवादन करना है लेकिन सेना के अलग-अलग  सेवाओं जैसे थल, जल और नभ में इसके अलग-अलग मायने हैं। 




आपको सेना के अलग-अलग सेवाओं में किए जाने वाले सैल्यूट एक ही लगते हों लेकिन सच यह है कि उनमें काफी फर्क होता है। आप महान भारतीय सेनाओं द्वारा इस्तेमाल किए जाने वाले सैल्यूट के तौरतरीकों को जान कर बेहद आचंभित और गर्वान्वित महसूस करेगें। 

ऐसे सैल्यूट करते है #थलसैनिक - इंडियन आर्मी - खुले पंजों से सामने वाले को सैल्यूट करना। 




सेना में सैल्यूट की परंपरा के पीछे कई अवधारणाएं हैं। जब कोई सैनिक अपने से किसी वरिष्ठ को सैल्यूट करता है तो दाएं हाथ की खुली हथेली सीधी रखते हुए उसे सलाम करता है। इसका संकेत यह है कि उसके हाथ में कोई हथियार छुपा हुआ नहीं है और उसके इरादे नेक हैं। यह परंपरा पराजित सैनिक द्वारा विजेता सैनिक के सम्मान में शुरू हुई थी। 

नौसैनिकों की हथेली रहती है नीचे - इंडियन नेवी - खुली हथेली जो जमीन की ओर इंगित होती है। 




थलसेना के सैनिक हथेली सामने की ओर खोल कर सलामी देते हैं वहीं नौसैनिकों की  हथेली और जमीन के बीच 90 डिग्री का कोण बनाते हुए होती है। 
    इसका कारण यह है कि जहाज पर तेल व गंदगी के कारण नौसैनिकों के हाथ मैले होते थे, पूरी हथेली सामने रख सैल्यूट करने पर गंदे हाथ दिखाने से अगले अधिकारी के सम्मान में कमी झलक सकती है। इसका ध्यान रखते हुए हथेली को नीचे की तरफ रखा जाता है।

आसमान की ओर उठती है वायुसैनिकों की हथेली -इंडियन एयर फोर्स - खुली हथेली जो जमीन से 45 डिग्री को कोण बनाती है। 




थल व नौ सेना के बीच का तरीका अपना #वायुसैनिक सैल्यूट करते है। उनकी हथेली धरती से आसमान की तरफ 45 डिग्री का कोण बनाते हुए रहती है। हथेली की दिशा दर्शाती है कि वे जमीन से आसमान की तरफ बढ़ रहे है।

यह है सैल्यूट करने के मायने और कुछ तथाकथित लोग मंच पर चढ़कर बकवास झाड़ते है पर सैल्यूट करने तक की तमीज नहीं होती।

आइये! जानिए कि जिस #तिरंगे को हल्के में लेते हो पांव तले रोंदने वालों जानवरों.. पढ़ों कि तिंरगा का महत्व क्या है..... 

. भारत में बेंगलुरू से 420 किमी स्थित हुबली एक मात्र लाइसेंस प्राप्त संस्थान हैं जो झंडा बनाने का और सप्लाई करने का काम करता है। 

. संसद भवन देश का एकमात्र ऐसा भवन हैं जिस पर एक साथ 3 तिरंगे फहराए जाते हैं।

. रांची का पहाड़ी मंदिर भारत का अकेला ऐसा मंदिर हैं जहां तिरंगा फहराया जाता हैं 493 मीटर की ऊंचाई पर देश का सबसे ऊंचा झंडा भी रांची में ही फहराया गया है। 

. झंडे पर कुछ भी बनाना या लिखना गैरकानूनी है।किसी भी गाड़ी के पीछे, बोट या प्लेन में तिरंगा नहीं लगाया जा सकता और न ही इसका प्रयोग किसी बिल्डिंग को ढ़कने किया जा सकता है। 
किसी भी स्थिति में तिरंगा जमीन पर टच नहीं होना चाहिए। यह अपराध है। 

. देश के लिए प्राणों की आहुति देने वाले शहीदों और देश की महान शख्सियतों को तिरंगे में लपेटा जाता है।इस दौरान केसरिया पट्टी सिर की तरफ और हरी पट्टी पैरों की तरफ होनी चाहिए।शव को जलाने या दफनाने के बाद उसे बेहद गोपनीय तरीके विधिविधान से सम्मान के साथ जला दिया जाता है या फिर वजन बांधकर पवित्र नदी में जल समाधि दे दी जाती हैं।

. देश में 'फ्लैग कोड ऑफ इंडिया' (भारतीय ध्वज संहिता) नाम का एक कानून है, जिसमें तिरंगे को फहराने के नियम निर्धारित किए गए हैं। इन नियमों का उल्लंघन करने वालों को जेल भी हो सकती है।इसलिए फोटो खिंचवाने के कुछ तथाकथित शौकीन नेताओं व लोगों को विचार करना चाहिए कि जिस तिरंगे यानि राष्ट्रीय ध्वज को महत्वपूर्ण अवसरों जैसे स्वाधीनता दिवस व गणतंत्र दिवस समारोहों में 21 तोपों की सलामी दी जाती है।




 सोचिए! हमारे तिंरगे का महत्व कितना विराट है। मेरी हाथ जोड़कर विनती है, कृपया ऐसा कुछ ना करें जिससे देश का नाम खराब हो। 

-ब्लॉगर आकांक्षा सक्सेना 

वंदेमातरम् 🇮🇳
भारतमाता की जय🙏
हिंद की सेना जिंदाबाद🙏

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