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कलेक्टर आशीष सक्सेना जी ने दहेज दापा कुप्रथा कर दी समाप्त -







छाबुआ म. प्र. में कलेक्टर रहे आशीष सक्सेना जी ने वर्षों पुरानी दहेज दापा (बच्चियों की बिक्री) नामक कुप्रथा को दो वर्षों में जड़ मूल से किया खत्म.... 



मध्यप्रदेश के आदिवासी बाहुल्य क्षेत्र में अशिक्षा और गरीबी के चलते वधुमूल्य यानि लड़कियों की ब्रिकी का चलन आम था जिसमें लड़का पक्ष अधिक राशि देकर वधुपक्ष से शादी के नाम पर उनकी कम उम्र तक की लड़की खरीद लेता था। जिसमें दहेज दापा की राशि 5-7लाख होती थी। दोनों पक्ष के लालच में नाबालिग बच्चियां फंस जातीं थीं और शादी के बाद वर पक्ष अपना कर्ज उतरवाने के लिए उस बच्ची से मजदूरी व गलत कार्य तक करवाता लेता था फिर जब कमजोर कोख में बच्चा पलता तो निसंदेह कुपोषित ही पैदा होता था। उन बच्चियों की जिंदगी वैश्यावृत्ति के समान बर्बादी की कगार पर थी क्योंकि उसे प्रयोग की वस्तु मान लिया गया था। जब आशीष सक्सेना 2016-18 तक छाबुआ में कलेक्टर रहे तो उन्होंने इस अमानवीय कुप्रथा को काबू करने का प्रण लिया था। इस वर्ष की सरकारी रिपोर्ट में कहा गया है कि कलेक्टर आशीष सक्सेना के कार्यकाल में जिले में 3580 शादियां हुईं और उन्हीं के अथक प्रयासों से वहां 324 शादियां बिना दहेज और 2302 शादियां बेटियों की सही उम्र में बिल्कुल न्यूनतम खर्च पर सम्पन्न हो सकीं और आज वर्ष 2019 में उनके प्रयास में रिकॉर्ड तोड़ इजाफा हुआ है क्योंकि अब छाबुआ में यह कुप्रथा समाप्त हो चुकी है और उन्होंने अपने प्रण के अनुसार उन्होंने दो वर्ष में इस प्रथा को जड़ मूल्य से खत्म करवा कर ही दम भी लिया। आशीष सक्सेना वर्तमान में अपर आयुक्त, नगरीय प्रशासन व विकास संचानालय, भोपाल में सदस्य हैं। छाबुआ में उन्होंने भील पंचायत से सीधी सीधी टक्कर ली, कई सर्वेे करवाये व दिन - रात स्थानीय लोगों से सम्पर्क साधा और कठिन मेहनत से वे उनका विश्वास जीत सके और फिर अपने 28 महीनों के अथक प्रयासों से ओतप्रोत अपने कार्यकाल में उन्होंने दहेज दापा (लड़कियों की ब्रिकी) नामक कुप्रथा पर पूरी तरह अंकुश लगाकर हजारों बेटियों को इस कलंकित कुप्रथा से मुक्ति दिलाकर उन्हें भी पढ़ने व आगें बढ़ने की दिशा में महिला सशक्तीकरण की दिशा में यह सराहनीय काम करके समाज और देश में सच्चाई और अच्छाई की मिशाल कायम की है। सच ही है अगर ईरादे मजबूत हों तो समाज की कोई भी कुप्रथा समाप्त की जा सकती है और जिससे हजारों जिंदगियां बचायीं जा सकती हैं। 

सर,उन सभी बच्चियों का वर्षों से खोया सम्मान लौटाने के लिए आपका किन शब्दों में शुक्रिया करूं समझ नहीं आ रहा .. ..ये पोस्ट आपको समर्पित करके ससम्मान सैल्यूट करतीं हूँ। 

सैल्यूट सर
🙏🙏🙏💐

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