नेताजी श्री सुभाष चंद्र बोस जी की मिशन
परमहंस श्री रामकृष्ण दास जी के शिष्य राजर्षि स्वामी विवेकानंद जी के शिष्य भारत के पूर्वनिर्धारित न्यायप्रिय व लोकप्रिय जनप्रतिनिधि अनुशासक आईसीएस ऑफीसर नेताजी श्री सुभाष चंद्र बोस जी ने अपनी आजाद हिंद फौज के साथ भारतीय स्वाधीनता का तिरंगा सिंगापुर में 15 अगस्त सन् 1942 को लहरा दिया था। वह भारत में शासन नही बल्कि अनुशासन चाहते थे। वह विश्व शांति व मानवता को स्थापित, क्रियान्वित व संचालित करवाना चाहते थे। इस वास्ते वह भारत में भारत की पूर्व निर्धारित व पूर्व प्रचलित लोकतांत्रिक भारतीय उपन्यायपालिका की उपसंघात्मक व राष्ट्रीय न्यायपालिका की संघात्मक कार्य प्रणाली स्थापित, क्रियान्वित व संचालित करवाना चाहते थे। वह इस वास्ते न्याय पालिका के सभी समर्थित भारतीय मतदाताओं को न्याय दिलवाने वाले माननीय भारतीय सर्वोच्च मुख्य प्रतिभाशाली विद्वान अधिवक्ता प्रस्तुतकार सााहब को व भारत के न्याय देने वाले माननीय राष्ट्रीय सर्वोच्च मुख्य मर्यादाशाली स्वविवेकवान न्यायााधीश जी को हासिल करवाना चाहते थे। वह समस्त भारतीय मतदाताओं को भारतीय नागरिक सिद्ध होने की पहचान का भारतीय नागरिकता का प्रमाणपत्र व पहचानपत्र हासिल करवाना चाहते थे। जिससे कि समस्त भारतीय नागरिक अपने इस आईडीप्रूफ के द्वारा भारत के सम्बंधित न्यायालय से अपना तत्काल, निष्पक्ष, स्वच्छ, सम्पूर्ण व निशुल्क न्याय हासिल कर सके। वह भारतीय जनजीवन व जनजीविका, निर्बाधित अपराधमुक्त, समृद्धिशाली व अनुशासित तथा निर्विवादित न्याययुक्त वैभवशाली व सुरक्षित चाहते थे। वह भारत को अत्याधुनिक विश्वविजयी सैन्य शक्तिशाली विश्वमान्य विश्वगुरू हिंसा व दुष्कर्म से दूर रहने वाला अखंड भारतवर्ष तथा भारत को विश्व की सर्वोच्च नम्बर एक स्वाधीन व सुरक्षित अर्थव्यवस्था बनाना चाहते थे। उन्होंने अपना श्री चित्र गुप्त करने से पूर्व यह कहा था कि मेरे प्यारे देश वासियों कोई भी शासक निजिस्वार्थ में स्वेच्छा से अपने आधीनों को स्वाधीनता देता नहीं है। आधीनों को अपनी स्वाधीनता स्वंय ही हासिल करनी होती है। अपनी स्वाधीनता को हासिल करने की जंग जारी रखना। मैं इस जंग को अपने आखरी दम तक लड़ता रहूंगा। अब भारत को कोई भी शासक और अधिक समय तक अपने आधीन नहीं रख पायेगा। भारत स्वाधीन होकर रहेगा। अपने मूल गुण तथा परिवर्तित रंगरूप, आकार प्रकार, नाम व काम के साथ हम फिर मिलेगें। हमें अपनी चिंता नहीं, यदि हमारे मित्र देशों की फौजें, हमारे देश की फौज में शामिल हो जायें और हमारी फौज स्वंय में अत्याधुनिक विश्वविजयी सैन्य शक्तिशाली न हुई और यदि भविष्य में तीसरा विश्व युद्ध हुआ तो यह युद्ध जीतना तो दूर, इस युद्ध को हमारे देश की फौज लड़ भी नहीं पायेगी और यदि ऐसा हुआ तो फिर हमारे भारत का क्या होगा? मेरी चिंता सिर्फ़ यही है। अपने उद्देश्य को पूरा किये बिना मैं संसार त्यागने वाला नहीं। मेरी इच्छा के बिना मेरी मृत्यु को सत्यापित व प्रमाणित घोषित करने वाला कोई नहीं। मेरे उद्देश्य का बाधक इस संसार में मेरे जीते जी नहीं रहेगा। कितनी दुख की बात है एक सच्चा देशभक्त कुछ गद्दारों के आंखों की किरकिरी बन गया और कहीं बोसजी अचानक प्रकट न हो जायें। इस डर से देश के गद्दार आजीवन भयभीत होकर नेताजी श्री सुभाष चंद्र बोस जी की पहचान मिटाने में लगे रहे पर सच कहूं तो गद्दार, नेताजी का बालबांका नहीं कर सके और अपने मकसद में कभी कामयाब नहीं हो सके। पर उन निम्नकोटि के गद्दारों को यह नहीं पता कि फानूस बनकर जिसकी चिन्गारी जो रोशन जहां करें, वो शमा चिरागे क्या बुझे जिसकी हिफाज़त खुद हवा करे।
जयहिंद🙏💐🇮🇳
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