शुभ दशहरा : विभीषण घर का भेदी, सत्य का पहरी
आज दशहरा है - दशहरा मतलब सत्य की जीत का दिन। दशहरा (विजयादशमी या आयुध-पूजा) का एक प्रमुख त्योहार है। अश्विन (क्वार) मास के शुक्ल पक्ष की दशमी तिथि को इसका आयोजन होता है। भगवान श्री राम ने इसी दिन रावण का वध किया था। जबकि रावण महाज्ञानी था। वह हर किसी के लिए स्वर्ग तक जाने वाली सीढ़ी का निर्माण करवा रहा था। वह समुद्र का पानी मीठा कर देना चाहता था। वह स्वर्ण यानि सोने में सुगंध डालना चाहता था। उसने समस्त ग्रह नक्षत्रों व काल को भी अपने आधीन कर रखा था। वह चारों वेदों का ज्ञाता व भगवान शिव का महाभक्त था। उसने भगवान शिव को प्रसन्न करने के लिए अपने दस शीष काट कर उनके सामने रख दिए थे। उसने भगवान शिव को प्रसन्न करने के लिए तांडव स्त्रोत गाया जो आज भी अमर है। उसके ज्ञान की कोई सीमा नहीं थी। उसकी नगरी पूरी स्वर्ण सोने की थी। मंदोदरी जैसी महान पत्नी थी उसकी जो उसके लिए अमृत लेने के लिए चाँद तक जा पहुंची थीं। सबकुछ था रावण पर ज्ञान भी धन भी समस्त सिद्धियां भी पर उसकी वासना से उपजा अंहकार परनारी पर कुदृष्टि व अपहरण ने उसका सारा वैभव मिट्टी कर दिया। वह अंहकार के वशीभूत होकर सत्य और असत्य , धर्म व अधर्म का भेद न कर सका, उसको उसके इसी अंहकार ने मारा और भगवान श्री राम ने उसे तारा क्योंकि वह तारणहार हैं। बता दें कि चारों वेदों को कंठस्थ कर लेने वाली शिक्षा किसी को महान नहीं बनाती। ज्ञान किसी को सर्वश्रेष्ठ नहीं बना सकता। सर्वश्रेष्ठ बनाते हैं हमें हमारे श्रेष्ठ संस्कारयुक्त कर्म, स्वंय के विवेकपूर्ण अंतरात्मा की आवाज से लिये गये निर्णय। शिक्षा से संस्कार महान हैं जो भगवान श्री राम और माता सीता दोनों के परिवारों में थे। एक तरफ मर्यादापुरुषोत्तम और मातासीता का धैर्य व पवित्र पति प्रेम वहीं दूसरी तरफ भरत का भाई प्रेम और महान चरित्र देखो तो दूसरी तरफ़ उर्मिला का त्याग, तीसरी तरफ हनुमान जी की अनन्य भक्ति तथा विभीषण का सबकुछ छोड़ धर्म के पक्ष में आ जाना पर समाज कहता है कि घर का भेदी विभीषण पर मैं कहूंगी कि सत्य, धर्म और न्याय का पहरी विभीषण । सचमुच ये सब देव हैं जिसकी महानता शब्दों में वर्णित ही नहीं की जा सकती। यह त्योहार प्रेम, भक्ति, शक्ति और संस्कार स्थापना का महापर्व है। आज ही के दिन माता देवी दुर्गा ने नौ रात्रि एवं दस दिन के युद्ध के उपरान्त महिषासुर पर विजय प्राप्त की थी। उन्होंने साबित किया कि महिला अबला नहीं वह जब जागती है तो विनाशकारी हो सकती है और महिषासुर जैसों पापियों को भी मौत के घाट उतार सकती है। इसे असत्य पर सत्य की विजय के रूप में मनाया जाता है। आज विजयादशमी पर शस्त्र पूजा की परंपरा है।सचमुच कितने सुन्दर हैं हमारे त्योहार जो हमें हमारे महान पूर्वजों से मिले जो हमें हमेशा सही सीख देते हैं। आंखें खोलते हैं। सत्य पर चलना सिखाते हैं। सुख शांति समृद्धि का मार्ग प्रशस्त करते हैं।🌸🌸🌸
हे! महिषासुर मर्दिनी माता शक्ति और हे! भगवान श्री राम आप सभी का मंगल करें। सभी के सभी सपने पूरे करें। सभी को सेहतमंद रखें सभी को दीर्घआयु प्रदान करें। सभी की उन्नति करें, सभी की तरक्की करें। सबका भला करें। सारी दुनिया का अच्छा हो।
सत्यमेव जयते जयमाता की जय श्री सियाराम 🙏🙏💐💐
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