23 जनवरी : आजादी के महानायक नेताजी श्री सुभाष चंद्र बोस जी की 125वीं जयंती
महान भारतवर्ष के गौरवशाली इतिहास के सीने में जो जख्म जिंदा हैं वह अंग्रेजों से ज्यादा देश के ही गद्दारों द्वारा निर्मित किए गए हैं। वरना आजादी के महानायक नेताजी श्री सुभाष चंद्र बोस जी को गुमनामी न मिलती। आखिर! कहां है हमारे नेताजी बोस....? हम बात कर रहे हैं आजादी के उन दर्दनाक दिनों की जब उस समय की बेरहम सरकार ने यह सूचना जारी की थी कि हमारे देश के महान क्रांतिकारी नेताजी श्री सुभाष चंद्र बोस जी ने कहा कि 99 साल में नेताजी जहां भी जिस हालत में मिलें तो हम उन्हें ब्रिटिश सरकार को सौंप देगें। क्योंकि यह वही लोग थे जो डिवाइड एंड रूल के समर्थक थे। आज सबको ज्ञात है कि आजादी की लड़ाई में आजाद हिंद फौज के पूरे 26,000 देशभक्त फौजियों ने शहादत दी है जो आज तक की सबसे बड़ी शहादत है।उसी आजाद हिंद फौज के संस्थापक और आजादी के महानायक नेताजी श्री सुभाष चंद्र बोस की आज 23 जनवरी 2021 को 125 वीं जयंती है। जिनकी पूरी जिंदगी गुमनामी के अंधेरे में खो गयी। आज पूरा देश उन्हें याद कर रहा है। उनके महान बलिदान को याद कर रहा है। मुझे पूरा विश्वास है कि ऐसी महान शख्सियत कहीं आज भी है, वह आज भी जिंदा होगें। क्योंकि उनकी आजाद हिंद फौज का फौजी सौ वर्ष से ज्यादा का होकर इस दुनिया से गया है, यह देवकृपा से एक रिकार्ड है। मुझे दुख इस बात का है कि जिसे मिलना चाहिए था भारत रत्न उसे गुमनामी मिली। ऐसा भयानक षड्यंत्र रचा गया। ऐसी गंदी राजनीति हुई है। पूरी विश्व की खूफिया ऐजेंसियों ने हथियार डाल दिये। सवाल वही कि आखिर! नेताजी श्री सुभाष चंद्र बोस जी कहां हैं? क्यों सरकारें मौन रहीं?यह जो मौन है यह गहरे षड्यंत्र की खबर है। पता नहीं कब यह सत्य पूरे देश के सामने उजागर होगा? जो भी हो पर षड्यंत्र के नकाब उठने ही चाहिये और सत्य की झांकी सबके सामने आनी चाहिए। आज के दिन मेरी यही कामना है कि नेताजी श्री सुभाष चंद्र बोस जी आप जहां भी हों आप सलामत हों। आप एक ऐसा सूर्य हैं जिसके अस्त की जानकारी पूरे विश्व को नहीं...... आप सदा उगते सूर्य रहेगें।
आपको पूरी आत्मा से सैल्यूट 🙏💐🇮🇳
__ब्लॉगर आकांक्षा सक्सेना
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इतिहास के सीने में जो जख्म जिंदा हैं वह अंग्रेजों से ज्यादा देश के ही गद्दारों द्वारा निर्मित किए गए हैं। वरना आजादी के महानायक नेताजी श्री सुभाष चंद्र बोस जी को गुमनामी न मिलती। आखिर! कहां है हमारे नेताजी बोस....?
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