भगवान श्री हरि विष्णु स्तुति
भगवान श्री हरि विष्णु जी की सुन्दर और शक्तिशाली स्तुति- 🙏🌹🐚📿🌿🌼🌸🌼🏵️🌿🌹☘️🌹🐚
अन्तर्भवेऽनन्त भवन्तमेव ह्यतत्त्यजन्तो मृगयन्ति सन्त: |
असन्तमप्यन्त्यहिमन्तरेण सन्तं गुणं तं किमु यन्ति सन्त : || (श्रीमदभागवत १०/१४/२८)
संसार में मनीषियोंद्वारा सत्य-तत्व की खोज की बात निर्दिष्ट है, जिसे प्राप्तकर मनुष्य सर्वथा कृतार्थ हो जाता है और सभी आराधनाएँ उसी में पर्यवसित होती है | निष्काम-उपासना से सत्यस्वरूप लक्ष्मीनारायण की प्राप्ति सम्भव है।
जगज्जालपालं - जो विश्व के रक्षक हैं
चलत्कण्ठमालं- जो अपने कंठ में चमकदार माला पहनते हैं
शरच्चन्द्रभालं - जिनका शरद ऋतु के चंद्रमा के समान मस्तक हैं
महादैत्यकालं- जो असुरों और दैत्यों के काल हैं
नभोनीलकायं - जिनकी काया नभ के नीले रंग के समान है
दुरावारमायं-जिनके पास भ्रम की अजेय शक्तियां हैं
सुपद्मासहायम् - जो देवी लक्ष्मी के साथ रहते हैं
भजेऽहं भजेऽहं - मैं उनको भजतीं हूँ
सदाम्भोधिवासं-जो हमेशा समुद्र में रहते हैं
गलत्पुष्पहासं-जिनकी फूल जैसी मुस्कान है
जगत्सन्निवासं - जो दुनिया में हर जगह रहते हैं
शतादित्यभासं-जिनके पास सौ सूर्यों की चमक है
गदाचक्रशस्त्रं - जिनके पास शस्त्र के रूप में गदा और पवित्र चक्र है
लसत्पीतवस्त्रं-जो पीले वस्त्र पहनते हैं
हसच्चारुवक्त्रं - जिनके चेहरे पर एक प्यारी मुस्कुान है
भजेऽहं भजेऽहं - मैं उनको भजतीं हूँ
रमाकण्ठहारं - जो लक्ष्मी के गले की माला हैं
श्रुतिव्रातसारं-जो वेदों के सार हैं
जलान्तर्विहारं - जो पानी के अंदर रहते हैं
धराभारहारं-जो पृथ्वी का भार हरते हैं
चिदानन्दरूपं - जिनके पास एक रूप है जो सदा प्रसन्न है
मनोज्ञस्वरूपं-जिनका रूप मन को आकर्षित करता है
ध्रुतानेकरूपं - जिन्होंने कई रूप धरे हैं
भजेऽहं भजेऽहं - मैं उनको भजतीं हूँ
जराजन्महीनं - जो जन्म और उम्र से मुक्त हैं
परानन्दपीनं-जो अनंत सुख से भरे हैं
समाधानलीनं - जो हमेशा शांति में रूचि रखते हैं, जिनका मन स्थिर रहता है
सदैवानवीनं- जो सदैव नवीन प्रतीत होते हैं
जगज्जन्महेतुं - जो इस संसार के जन्म का कारण हैं
सुरानीककेतुं-जो देव सेना के रक्षक हैं
त्रिलोकैकसेतुं - जो तीनों लोकों के बीच सेतु हैं
भजेऽहं भजेऽहं - मैं उनको भजतीं हूँ
कृताम्नायगानं - जो वेदों के गायक हैं
खगाधीशयानं-जो पक्षियों के राजा पर सवारी करते हैं
विमुक्तेर्निदानं-जो मुक्ति प्रदान करते हैं
हरारातिमानं-जो दुश्मनों का मान हरते हैं
स्वभक्तानुकूलं - जो अपने भक्तों के अनुकूल हैं
जगद्व्रुक्षमूलं-जो जगत बृक्ष की जड़ हैं
निरस्तार्तशूलं - जो सभी दुखों का संहार करते हैं
भजेऽहं भजेऽहं - मैं उनको भजतीं हूँ
समस्तामरेशं - जो सभी देवों के स्वामी हैं
द्विरेफाभकेशं- जिनके केश का रंग बड़ी काली मधुमक्खियों के जैसा है
जगद्विम्बलेशं - जो पृथ्वी को अपना एक कंण मानते हैं
ह्रुदाकाशदेशं-जिनके पास आकाश जैसा स्पष्ट शरीर है
सदा दिव्यदेहं-जिनकी देह दिव्य हैं
विमुक्ताखिलेहं-जो सभी प्रकार के भौतिक मोहों से मुक्त हैं
सुवैकुण्ठगेहं - जो बैकुंठ को अपना घर मानते हैं
भजेऽहं भजेऽहं - मैं उनको भजती हूं
सुरालिबलिष्ठं-जो सब देवताओं में बलवान है
त्रिलोकीवरिष्ठं-तीनों लोकों में वरिष्ठ हैं
गुरूणां गरिष्ठं - जो भारी लोगों में सबसे भारी हैं
स्वरूपैकनिष्ठं-जो एक ही रूप परमपिता परमात्मा में उजागर होते हैं
सदायुद्धधीरं- सदा युद्धधीरं जो हमेशा लड़ाइयों में वीर होते हैं
महावीरवीरं - जो वीरों के महानायक है़
महाम्भोधितीरं - जो आपको जीवनरूपी समुद्र के पार ले जाते हैं
भजेऽहं भजेऽहं - मैं उनको भजतीं हूँ
रमावामभागं - जो माता लक्ष्मी को अपने बाईं ओर रखते हैं
तलानग्रनागं -जो नग्न नाग पर विराजमान हैं
कृताधीनयागं - जो भक्ति पूजा और प्रसाद से प्राप्त किये जा सकते हैं
गतारागरागं - जो संसार के सभी प्रकार के मोहों से मुक्त और जिनकी भक्ति से सब मोह छूट जाते हैं
मुनीन्द्रैः सुगीतं - जो महान संतों के लिए शुद्ध संगीत हैं
सुरैः संपरीतं-जिन्हें सब देवों द्वारा सेवा दी जाती है
गुणौधैरतीतं - जो सब गुणों के परें हैं
भजेऽहं भजेऽहं - मैं उनको भजतीं हूँ
ॐ भगवान महाविष्णु अर्पणम् अस्तु🙏🌹
फलश्रुति
इदं यस्तु नित्यं समाधाय चित्तं
पठेदष्टकं कण्ठहारम् मुरारे:
स विष्णोर्विशोकं ध्रुवं याति लोकं
जराजन्मशोकं पुनर्विन्दते नो||
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🌹जय श्री लक्ष्मीनारायणभगवान की सदा ही जय🌹🙏
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