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मुझे मंदिर का झूमर बना लो प्रभु -

Shri krishna Bhajan / श्री कृष्ण भजन

श्री कृष्ण जन्माष्टमी भजन
Shri krishna Janmastami Bhajan - ShriKrshna Kirtan 


भजन /सुमिरन की महिमा अनंत है।
सच कहूँ तो भजन वह दिव्य भावपुंज है जिसमें विलीन होने पर मुक्ति की भी इच्छा तुच्छ प्रतीत होती है। आज का यह भजन उस दशा का प्रतीक भाव है जब आज से सात साल पहले हम भगवान की नगरी वृंदावन में स्थित 'प्रेममंदिर' गये थे यह भजन तब ही लिखा था।उस पल का वर्णन क्या करू बड़ा ही सुन्दर मंदिर है - प्रेममंदिर के अंदर पांव रखते हुए वहां की भव्यता और दिव्यता के बारे में क्या कहूं शब्द नहीं मिल रहे। वहां भगवान श्रीराधेकृष्ण की अनुपम आलौकिक झांकी बड़ी ही मनोरम है और वहां मंदिर में टंगे अत्यंत सुन्दर रौशन झूमर को देखकर ऐसा लगा मानो कि इन झूमर के भाग्य का क्या भला वर्णन कौन लिख सकेगा? जिन्हें हर वक्त भगवान की नयनाभिराम झांकी को निहारने का हर पल सुअवसर मिलता है। यह विचार कर हमारा मन बरबस ही यह बोल पड़ा कि हे!नंदनंदन प्रभु मुझे भी अपने मंदिर का झूमर बना लो जिसे रात्रि कपाट बंद होने पर भी तुझे एकटक निहारने का सुअवसर मिलता रहता है। ऐसा लगता है मंदिर के अखंड दीपक, कलश, फूल, देहरी और मंदिर की झाडू सचमुच चैतन्य है जो नित भगवान के सेवा में समर्पित अंग हैं।श्रीभागवतजी में वर्णित है कि जहां भगवान का भजन - कीर्तन होता है वहीं भगवान का वास होता है। वह स्थान मंदिर है।मंदिर शब्द का अर्थ अर्थात् मंदिर शब्द में ‘मन’ और ‘दर’ की संधि विच्छेद करें, तो मन + दर होता है।मन अर्थात मन होता है। दर अर्थात द्वार होता है।मन का द्वार तात्पर्य यह है कि जहाँ हम अपना मन का द्वार खोलते हैं, वह स्थान मंदिर है।और अगर हम मन का संधि विच्छेद करें तो म + न होता है। म अर्थात मम = मैं___न अर्थात नहीं__जहाँ मैं नहीं !!अर्थात जिस स्थान पर जाकर हमारा ‘मैं’ यानि अंहकार ‘न’ रहे वह स्थान मंदिर है। मतलब हमारा पूर्ण रूपेण समर्पण। सर्व विदित है कि ईश्वर हमारे मन में ही विराजमान है इसी भाव जाग्रत और प्रभावी बनाने हेतु भगवान का नाम जाप और संकीर्तन करने से मन को गहरे सुकून की अनुभूति होती है। इन्हीं भाव को शब्दों में जोड़ कर एक भजन माला पिरोई है जो मन की ढ़ोलक पर भी बजने को सज्य है।कृपया बताना कैसे लगे मनोभाव....

हे! समस्त तीर्थों और सभी के मन मंदिर में वास करने वाले हे! करूणामयी सर्वशक्तिमान परमपिता परमात्मा कृपया इस शब्दपुष्पमाला को स्वीकार करें। हम सब पर अपना स्नेह आशीर्वाद सदा बनायें रखें।परमात्मा आप सभी की रक्षा करें। सभी भक्तों की मनोकामनाएं पूर्ण करें।💐🙏जय श्री राधेकृष्ण 🙏💐


अपने मंदिर का झूमर बना लो 

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मुझे मंदिर का झूमर बना लो प्रभु

दिनरात तेरे दर्शन करूंगी प्रभु


कपाट बंद ग़र जो हो जायेगें 

फिरभी तुझसे न दूर रहूंगी प्रभु



मुझे प्रार्थना का फूल बना लो प्रभु

तेरे चरणों के दर्शन करूंगी प्रभु


श्री कृष्ण हरे गोविंद हरे। श्री कृष्ण हरे गोपाल हरे।। 



मुझे अखंड दीपक बना लो प्रभु

हर पल तुझमें ही जलूंगी प्रभु


श्री कृष्ण हरे गोविंद हरे। श्री कृष्ण हरे गोपाल हरे।। 



मुझे कलश का जल बना लो प्रभु

आठों याम तेरे चरण पखारूँ प्रभु


मुझे अपना प्रेमी बना लो प्रभु

हर किसी का सम्मान करूंगी प्रभु


मुझे वो धूल बना दो प्रभु

जो भक्तों के चरणों को छूती प्रभु


श्री कृष्ण हरे गोविंद हरे। श्री कृष्ण हरे गोपाल हरे।। 



मुझे वो झाड़ू बना लो प्रभु

जो तेरे द्वार को साफ करती प्रभु



अपने मंदिर की चौखट बना लो प्रभु

सभी भक्तों के दर्शन करूंगी प्रभु


मुझे अपना सेवक बना लो प्रभु

उम्रभर तेरी सेवा करूंगी प्रभु


श्री कृष्ण हरे गोविंद हरे। श्री कृष्ण हरे गोपाल हरे।। 




मेरा इतना भाग्य जगा दो प्रभु

तेरा नाम कभी न भूलूंँ प्रभु🙏💐


श्री कृष्ण हरे गोविंद हरे। श्री कृष्ण हरे गोपाल हरे।। 


__ब्लॉगर आकांक्षा सक्सेना


🙏💐जय श्री राधेकृष्ण 🙏💐


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