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भगवान श्री कृष्ण जन्मभूमि जन्माष्टमी फोटो





जन्माष्टमी का महापर्व है और विश्व भर के श्री कृष्ण भक्त इस पल का बेसब्री से इंतजार कर रहे हैं और जन्मभूमि मथुरा में दौड़े चले आ रहे हैं कि गोविंद श्री कृष्ण जी का अवतरण महापर्व प्रारम्भ हो और कब रात बारह बजे और नंद के घर आनंद भयो जय कन्हैयालाल के उद्घघोष से पूरा ब्रज मंडल नाच उठे। बता दें कि यह जो फोटो है यह आपको भगवान श्री कृष्ण जन्मभूमि के गर्भग्रह में ही मिलेगी और कहीं नहीं। बताया जाता है कि यही तस्वीर भगवान श्री कृष्ण जी की असली तस्वीर है और बाकि की दो तस्वीर का भी दावा किया जाता है कि यह तस्वीर भगवान श्री कृष्ण जी की हैं। वैसे तो भगवान श्री कृष्ण जी के अनगिनत मंदिर पूरी दुनिया में हैं पर यहां कुछ प्रसिद्ध मंदिरों के बारे में बताते हैं - मान्यता है कि इन तीर्थों में जाकर इंसान की हर मनोकामना पूर्ण होती है और अंत समय वह भगवान श्री कृष्ण जी के गोलोकधाम में निवास करता है।


1.मथुरा जन्मभूमि का मंदिर :

 श्रीकृष्ण का जन्म उत्तर प्रदेश की प्राचीन नगरी मथुरा के कारागार में हुआ था। उस स्थान पर वर्तमान में एक हिस्से पर मंदिर और दूसरे पर मस्जिद बनी हुई है। सबसे पहले ईस्वी सन् 1017-18 में महमूद गजनवी ने मथुरा के समस्त मंदिर तुड़वा दिए थे। तभी से यह भूमि भी विवादित हो चली है।

2.गोकुल का मंदिर : 

भगवान कृष्ण का जन्म मथुरा में हुआ था। उनका बचपन गोकुल, वृंदावन, नंदगाव, बरसाना आदि जगहों पर बीता। गोकुल मथुरा से 15 किलोमीटर दूर है। यमुना के इस पार मथुरा और उस पार गोकुल है। कहते हैं कि दुनिया के सबसे नटखट बालक ने वहां 11 साल 1 माह और 22 दिन गुजारे थे। वर्तमान की गोकुल को औरंगजेब के समय श्रीवल्लभाचार्य के पुत्र श्रीविट्ठलनाथ ने बसाया था। गोकुल से आगे 2 किमी दूर महावन है। लोग इसे पुरानी गोकुल कहते हैं। यहां चौरासी खम्भों का मंदिर, नंदेश्वर महादेव, मथुरा नाथ, द्वारिका नाथ आदि मंदिर हैं। संपूर्ण गोगुल ही मंदिर है।

3-बरसाना का राधा-कृष्ण मंदिर : 

मथुरा के पास ही बरसान है। बरसाना के बीचोबीच एक पहाड़ी है। उसी के ऊपर राधा रानी मंदिर है। राधा-कृष्ण को समर्पित इस भव्य और सुन्दर मंदिर का निर्माण राजा वीर सिंह ने 1675 में करवाया था। दरअसल, राधा रानी बरसाने की ही रहने वाली थी।

4-.वृंदावन का मंदिर : 

मथुरा के पास वृंदावन में रमण रेती पर बांके बिहारी का प्रसिद्ध मंदिर स्थित है। यह भारत के प्राचीन और प्रसिद्ध मंदिरों में से एक है। यहीं पर प्रेम मंदिर भी मौजूद है और यहीं पर प्रसिद्ध स्कॉन मंदिर भी है जिसे 1975 में बनाया गया था। यहां विदेशी श्रद्धालुओं की भी अच्छी-खासी तादाद है जो कि हिन्दू हैं। इसी बृज क्षेत्र में गोवर्धन पर्वत भी है जहां श्रीकृष्ण से जुड़े अनेक मंदिर है।

5-द्वारिका का मंदिर : 

मथुरा को छोड़कर भगवान श्रीकृष्ण गुजरात के समुद्री तट स्थित नगर कुशस्थली चले गए थे। वहां पर उन्होंने द्वारिका नामक एक भव्य नगर बसाया। यहां भगवान श्रीकृष्ण को श्री द्वारकाधीश कहा जाता है। वर्तमान में द्वारिका 2 हैं- गोमती द्वारिका, बेट द्वारिका। गोमती द्वारिका धाम है, बेट द्वारिका पुरी है। बेट द्वारिका के लिए समुद्र मार्ग से जाना पड़ता है। द्वारकाधीश मंदिर के अलावा आप गुजरात के दाकोर में स्थित रणछोड़राय मंदिर के दर्शन भी कर सकते हैं। हालांकि गुजरात में श्रीकृष्ण के और भी मंदिर है।

6-जगन्नाथ मंदिर :

 उड़ीसा राज्य में पुरी का जगन्नाथ धाम चार धाम में से एक है। मूलत: यह मंदिर विष्णु के रूप पुरुषोत्तम नीलमाधव को समर्पित है। कहते हैं कि द्वापर के बाद भगवान कृष्ण पुरी में निवास करने लगे और बन गए जग के नाथ अर्थात जगन्नाथ। यहां भगवान जगन्नाथ बड़े भाई बलभद्र और बहन सुभद्रा के साथ विराजते हैं।

7.श्रीकृष्ण मठ मंदिर, उडुपी :

 'उडुपी श्रीकृष्ण मंदिर' कर्नाटक में स्थित है जो एक हजार वर्ष पुराना है। इसका निर्माण संत माधवचार्य ने 13वीं सदी में करवाया था। यहां पर भगवान की आकर्षक मूर्ति को रत्नों और स्वर्ण रथ से सजाया गया है। लेकिन एक चीज है जो इस मंदिर को खास बनाती है, वो है इस मंदिर की पूजा पद्धति। जी  हां, पूरी पूजा की प्रार्थना और प्रक्रिया एक चांदी की परत वाली खिड़की से होती है जिसमें नौ छेद होते हैं जिन्हें “नवग्रह किटिकी” कहा जाता है। यह मंदिर लकड़ी और पत्थर से बना हुआ है। इस मंदिर के पास मौजूद तालाब के पानी में मंदिर का प्रतिबिंब दिखाई देता है। भक्ति के लिए ये मंदिर बेहद पवित्र माना जाता है।


8.अरुलमिगु श्री पार्थसारथी स्वामी मंदिर : 



8वीं सदी में बना यह मंदिर चेन्नई में स्थित है। यहां पर भगवान श्रीविष्णु की कई आकर्षक  मूर्तियां मौजूद हैं। यह मंदिर भी पूरे दक्षिण भारत में बहुत प्रसिद्ध है।

9.सांदीपनि आश्रम उज्जैन : 


मध्यप्रदेश के प्रसिद्ध तीर्थ उज्जैन में सांदीपनि आश्रम में भगवान श्रीकृष्ण के पढ़ाई की थी। इसीलिए यह स्थान भी बहुत महत्व रखता है। यहां भी श्रीकृष्ण का प्रसिद्ध मंदिर है।

10.पंढरपुर का विठोबा मंदिर : 

पंढरपुर का विठोबा मंदिर पश्चिमी भारत के दक्षिणी महाराष्ट्र राज्य में भीमा नदी के तट पर शोलापुर नगर के पश्चिम में स्थित है। इस मंदिर में विठोबा के रूप में भगवान श्रीकृष्ण की पूजा की जाती है। यहां भक्तराज पुंडलिक का स्मारक बना हुआ है।

11-श्रीनाथजी का मंदिर :


 राजस्थान के नाथद्वारा में श्रीनाथजी का मंदिर। यहां भगवान श्रीकृष्ण को श्रीनाथ कहते हैं। यह मंदिर वैष्णव संप्रदाय के वल्लभ सम्प्रदाय के प्रमुख तीर्थ स्थानों में सर्वोपरि माना जाता है। नाथद्वारा धान उदयपुर से लगभग 48 किलोमीटर दूर राजसमंद जिले में बनास नदी के तट पर स्थित हैं। जब क्रूर मुगल शासक औरंगजेब ने गोकुल का मंदिर तोड़ने का आदेश दिया तब  वल्लभ गोस्वामी यहां की मूर्ति लेकर नाथद्वारा में आ गए और यहां उस मूर्ति की पुन: स्थापना की। ये मंदिर 12वीं शताब्दी में  बनाया गया था

12-राधारमण मंदिर



राधा रमण मंदिर 500 साल पुराना है इसे गोपाल भट्ट गोस्वामी ने स्थापित किया गया था।

13-सांवलिया सेठ मंदिर, राजस्थान


यह गिरिधर गोपालजी का फेमस मंदिर है। यहां वे व्‍यापारी भगवान को अपना बिजनस पार्टनर बनाने आते हैं, जिन्‍हें अपने व्‍यापार में कठिनाई का सामना करना पड़ रहा होता है। राजस्थान के चित्तौड़गढ़ में भगवान श्रीकृष्ण का मंदिर है जिनका संबंध मीरा बाई से भी बताया जाता है। यहां मीरा के गिरिधर गोपाल को बिजनस पार्टनर होने के कारण श्रद्धालु सेठ जी नाम से भी पुकारते हैं और वह सांवलिया सेठ कहलाते हैं। पौराणिक कथाओं के अनुसार, सांवलिया सेठ ही मीरा बाई के वो गिरधर गोपाल हैं, जिनकी वह दिन रात पूजा किया करती थीं।

14-चौरासी खंबा मंदिर-

सन् 1018 ई. में महमूद गजनवी ने महावन पर आक्रमण कर चौरासी खंभा यानी नंद भवन को नष्ट-भ्रष्ट किया था पर पूरी तरह कर नहीं सका और एक भी खम्बे का बाल बांका न कर सका। यूं तो इस मंदिर को कई नामों से जाना जाता है जैसे नंद भवन, नंद महल। मगर जो नाम अधिक प्रचलित है वो है चौरासी खंबा मंदिर। मगर इस मंदिर का यह नाम क्यों पड़ा, इस बारे में बहुत कम लोग जानते हैं। तो आपको बता दें दरअसल इस मंदिर का नाम 84 खंबा मंदिर इसलिए रखा गया क्योंकि ये 84 खंबों पर टिका हुआ है। अगर मंदिर के आस पास रहने वालों की मानें तो इस मंदिर से कई अन्य मान्यताएं जुड़ी हुई हैं। एक के अनुसार भगवान श्री कृष्ण अपने माता-पिता को चार धाम की यात्रा का सुख गोकुल में ही देना चाहते थे, जिस के चलते उन्होंने भगवान विश्वकर्मा से उनके घर में 84 खंबे लगाने को कहा। विश्वकर्मा जी ने कहा कि इन खंबों को कलियुग में कोई गिन नही पाएगा।ऐसा कहा जाता है तब से ये मान्यता चली आ रही है कि जो जातक इस मंदिर के दर्शन करेगा उसे चार धाम की यात्रा का फल मिलेगा। और न ही कोई इन खंबों की गिनती कर पाएगा। जो कोई कोशिश करेगा, उसकी गिनती में या तो 1 खंबा कम आएगा या ज्यादा। यह मानव की 84 लाख योनियों का भी प्रतीक है कि भगवान श्रीकृष्ण के हो जाओ तो इन योनियों से मुक्ति हो जाये और भगवान के निजधाम में ही सदा निवास हो जाये।

14- भालका/ देहोत्सर्ग तीर्थ-



गुजरात स्थित सोमनाथ ज्योतिर्लिंग के पास प्रभास नामक एक क्षेत्र है जहां पर यदुवंशियों ने आपस में लड़कर अपने कुल का अंत कर लिया था। वहीं एक स्थान पर एक वृक्ष ने नीचे भगवान श्रीकृष्ण लेटे हुए थे तभी एक बहेलिए ने अनजाने में उनके पैरों पर तीर मार दिया जिसे बहाना बनाकर श्रीकृष्ण ने अपनी देह छोड़ दी।प्रभास क्षेत्र काठियावाड़ के समुद्र तट पर स्थित बीराबल बंदरगाह की वर्तमान बस्ती का प्राचीन नाम है। यह एक प्रमुख तीर्थ स्थान है। यह विशिष्ट स्थल या देहोत्सर्ग तीर्थ नगर के पूर्व में हिरण्या, सरस्वती तथा कपिला के संगम पर बताया जाता है। इसे प्राची त्रिवेणी भी कहते हैं। इसे भालका तीर्थ भी कहते हैं।

श्री कृष्ण गोविंद हरे मुरारी हे नाथ नारायण वासुदेव
आप सभी शुभचिंतकों को जन्माष्टमी महापर्व की अग्रिम बधाई और अनंत शुभकामनाएं ।भगवान श्री कृष्ण जी आपकी समस्त मनोकामनाएं पूर्ण करें । सबका अच्छा हो। जय यशोदा कान्हा जय नंद कान्हा जय श्री राधेकृष्ण 💐💐🙏💐💐

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