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भगवान शिवज्योर्तिलिंगस्तवन स्त्रोत

 







भगवान शिवज्योर्तिलिंगस्तवन स्त्रोत - 

(शिवजी को दुग्ध- जलाभिषेक का तथ्य भी सुनिए) प्रचीन दिव्य ग्रंथ शिवपुराण में यह उल्लिखित है कि जब सर्वप्रथम देवताओं ने पहली बार शिवज्योर्तिलिंग का साक्षात्कार किया था तब उन्होंने इसी शिवज्योर्तिलिंगस्तवन स्त्रोत का पाठ किया था और जब भगवान शिव प्रकट हुए तो समस्त देवताओं को यह वरदान दिया कि जो भी इस स्तवन को सुनेगा या पढ़ेगा उसे उसी तरह मुक्त कर दूंगा जिस पल एक सांप अपनी केचुंल त्याग कर मुक्ति महसूस करता है।

तस्मात्सर्व प्रयन्तेत श्रृंणुयाद्वाचयेत्तथा ।
 पाप कच्चचुक मुसृज्य प्राप्नोति परमं पदम्

इस तरह लिंग के स्तवन का पुण्य जो नर सदा सुनता है वह पुन: इस संसार में उत्पन्न नहीं होता। वह शाश्वत स्थान को प्राप्त कर लेता है। समस्त प्रयास करके इस स्तवन को सुनना और सुनाना चाहिए। इससे पापों की केंचुली को छोड़कर व्यक्ति परम पद को प्राप्त कर लेता है।


अनादि देव देवेश । विश्वेश्वर। महेश्वर 
सर्वज्ञ ज्ञानविज्ञान प्रदायक नमोऽस्तुते
हे अनादि देव देवेश विश्वेश्वर महेश्वर सर्वज्ञ ज्ञानविज्ञान के प्रदायक आपको नमस्कार है । 

अनन्तकान्ति संपन्न अनंतासन संस्थित। 
अनन्तशक्ति सम्भोग परमेश्वर नमोस्तुते

आप अनन्तकान्ति से सम्पन्न हैं । आप अनंत आसन पर संस्थित है।आप अनंत शक्ति संभोग करने वाले हैं हे परमेश्वर आपको नमस्कार है।

परावरपरातीत उत्पत्तिकारण
 सर्वार्थ साधनोपाय विश्वेश्वर नमोऽस्तुते।

आप पर और अपर की अतीत हैं। उत्पति व स्थिति के कारण आप ही हैं। आप सभी साधनों के उपाय हैं। 
हे विश्वेश्वर आपको नमस्कार है

बहुरूप महारूप सर्वरूप नमोऽस्तुते
 पशुपाशर्णवातीत वरप्रद नमोऽस्तुते।

आप बहुत रूप वाले हैं। आप महारूप वाले हैं। समस्त रूप वाले हैं। आपको नमस्कार है। आप पशुपात युक्त सागर से भी अतीत है। आप वरदान देने वाले हैं। आपको नमस्कार है

स्वभाव निर्मलाभोग सर्वव्यापिन सदाशिव योगयोगिन्महायोगिन् योगेश्वर नमोऽस्तुते

आपका स्वभाव ही निर्मल भोग वाला है। आप सर्वव्यापी और सदाशिव हैं। आप योग व योगियों के महायोगी हैं। योगेश्वर हैं। आपको नमस्कार है

निरंजन निराधार स्वाधार निरूपप्लव:
 प्रसन्न परमेशान योगेश्वर नमोऽस्तुते

आप निरंजन हैं निराधार हैं अपने ही आधार से है आप प्रलय से रहित है । हे प्रसन्न परम ईशान हे योगेश्वर आपको नमस्कार है।

जिह्वा चपलभावेन वेदितव्योअसि यन्मया 
तत् क्षन्तव्यमनौपम्य कस्ते स्तौति गुणार्णवम्

हे प्रभु मेरे द्वारा जिह्वा की चपलता से जो कुछ भी आपको कहा गया हो उसे आप क्षमा कर देना
 आप गुणों के सागर की स्तुति कौन कर सकता है।

लिंगोत्पत्तिस्तवं पुण्यं य: श्रुणोति नरस्सदा 
नौत्पद्यते स संसार स्थानं प्राप् नोति  शाश्वतम्

तस्मात्सर्व प्रयन्तेत श्रृंणुयाद्वाचयेत्तथा ।
 पाप कच्चचुक मुसृज्य प्राप्नोति परमं पदम्

इस तरह लिंग के स्तवन का पुण्य जो नर सदा सुनता है वह पुन: इस संसार में उत्पन्न नहीं होता। वह शाश्वत स्थान को प्राप्त कर लेता है। इसलिये समस्त प्रयास करके इस स्तवन को सुनना और सुनाना चाहिए। इससे पापों की केंचुली को छोड़कर व्यक्ति परम पद को प्राप्त कर लेता है। 

लिंगमध्ये परं लिंग स्थितं प्रादेश संमितम् ।
 समाधि (सदाधि) स्तोत्र सम्पनौ द्दष्टयन्तौ शिवात्मकौ
नैव तत्काञ्चनं रौप्यं ताम्रं स्फाटिक मौक्तिकम लक्षमात्रस्थितं शान्तं केवलं तच्छिवात्मकम्

तयोअस्तुष्टौ महादेवो प्रददौ वरमुक्तमम् कारणत्वमनुक्त्वा च तत्रैवान्तरधीयत्

श्री शिव  अर्पणम् अस्तु

शिवज्योर्तिलिंगस्तवन स्त्रोत पूर्ण लयबद्धता के साथ कैसे गायें लिंक में देखें सुने- मंत्र या स्तवन पाठ के बाद क्या बोलना चाहिए, सुनें👇👇👇👇

https://youtu.be/KMYxiryKlN8

https://youtu.be/hvBhGiYSgys


ॐनम:शिवाय ॐमहागौरी नम:
आप सभी सनातनियों को शिवरात्रि महापर्व की हार्दिक बधाई और अनंत शुभकामनाएं 🙏💐

🙏💐🚩



हर हर महादेव 💐🙏🚩

यह महाशंख सिर्फ महाशिवरात्रि को ही पानी के ऊपर दिखता बाकि दिन 80 फीट नीचे। बंका भागपुर बांका जिले में मंदार पर्वत पर, बिहार 

Believed to be the Shankh of Shiva. This Shankh located in banka in Bihar is visible only around Mahashivratri as the water recedes. Locals believe that Mahadeva drank vish in this Shankh.

हर हर महादेव 🙏🚩💐

2 comments:

  1. Atul Prakash SaxenaMarch 1, 2022 at 5:16 PM

    ॐ नमः शिवाय हर हर महादेवाय नमः ॐ त्रि नेत्राय नमों नमः जय महाकालेश्वराय नमों नमः ������

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