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अफगानिस्तान का महाभारतकालीन कनेक्शन

         


भारत - तालिबान! सर यह फोटो अस्वीकार है। 

                                क्योंकि..... 👇👇



भारत और तालीबान वार्ता पर कट्टरता देखो तिरंगा नहीं यह तश्वीर विचलित करती है। अब सवाल उठता है कि 

क्या भारत को तालीबान (अफगानिस्तान)पर भरोसा करना चाहिए?? क्यों वर्षों पहले पीएम खुद पाकिस्तान गये थे शांति सुधार हेतु पर क्या पाकिस्तान सुधरा? यह बात भारत सरकार को गम्भीरता से विचारनी होगी। 

(इस फोटो में तालिबानी अंतरिम विदेश मंत्री आमिर खान मुत्तकी के साथ भारतीय विदेश मंत्रालय के JS (PAI) जेपी सिंह की मुलाक़ात है।)

सच तो जगज़ाहिर है कि अफगानिस्तान पहले एक हिन्दू राष्ट्र था। बाद में यह बौद्ध राष्ट्र बना और अब वह एक कट्टर इस्लामिक राष्ट्र है। धर्मांतरण और जनसंख्याबृद्धि के कारण।, 26 मई 1739 को दिल्ली के बादशाह मुहम्मद शाह अकबर ने ईरान के नादिर शाह से संधि कर उपगण स्थान अफगानिस्तान उसे सौंप दिया था। 17वीं सदी तक अफगानिस्तान नाम का कोई राष्ट्र नहीं था। खैर अब अफगानिस्तान पर तालीबानियों का कब्ज़ा है। जिसकी आज भारत मदद कर रहा है। बता दें कि महाभारत में अफगानिस्तान का उल्लेख, गांधार, कंबोज के कई राजाओं का उल्लेख मिलता है। जिनमें कंबोज के सुदर्शन और चंद्रवर्मन मुख्य हैं। गांधार : गांधारी गांधार देश के 'सुबल' नामक राजा की कन्या थीं। क्योंकि वह गांधार की राजकुमारी थीं, इसीलिए उनका नाम गांधारी पड़ा। यह हस्तिनापुर के महाराज धृतराष्ट्र की पत्नी और दुर्योधन आदि कौरवों की माता थीं। 

अफ़गानिस्तान का महाभारतकालीन कनेक्शन-


इसके मुताबिक अफगानिस्तान में एक 5000 साल पुराना विमान मिला है, जिसके बारे में कहा जा रहा है कि यह महाभारतकालीन हो सकता है। प्राचीन उड़न खटोले : हकीकत या कल्पना? वायर्ड डॉट कॉम की एक रिपोर्ट में दावा किया जा रहा है कि प्राचीन भारत के पांच हजार वर्ष पुराने एक विमान को हाल ही में अफ‍गानिस्तान की एक गुफा में पाया गया है।

वायर्ड डॉट कॉम, रसियन और केएसवीआर रिपोर्ट के अनुसार - इसी अफ़गानिस्तान के कंधार यानि गंधार क्षेत्र की एक गुफा में महाभारत कालीन पौराणिक विमान मौजूद है। जब अमेरिकी सैनिक इस गुफा में इस विमान के निकट पहुंचे थे तब इलेक्ट्रॉनिक मैग्नेटिक फील्ड के कारण पूरे 8 अमेरिकी सैनिक गायब हो गए जो आज तक वापस नहीं आये।बाद में इसकी जांच में पहुंची टीम के 40 सदस्य और जर्मन शेफर्ड कुत्ते सभी गायब हो गए। यह विमान एक ‘टाइम वेल’इलेक्ट्रोमैग्नेटिक शॉकवेव्‍स से सुरक्षित क्षेत्र में फंसा हुआ है अथवा इसके कारण सुरक्षित बना हुआ है। कहा यह भी जाता है कि हिटलर को इन सबकी जानकारी थी और उसने प्राचीन हिन्दू धर्म ग्रंथों का अनुवाद कराके कई महत्वपूर्ण जानकारियां हासिल कर ली थीं और आज हिटलर भी गायब है। हिटलर तक की बॉडी किसी को नहीं मिली। यही बात दबी जुबान से नेताजी बोस के लिए भी कही जाती है कि वो भी टाईम ट्रैवल में गायब हैं। बता दें कि संस्कृत के प्राचीन ग्रंथों में करीब 113 विमानों का जिक्र मिलता है जिनके लिये टाईम ट्रैवल नॉर्मल सी बात थी। उनकी शक्ति की कोई सीमा नहीं थी। 



अफगानिस्तान में रिवाज़ था कि पहले भारतीय राजा पृथ्वीराज चौहान की समाधि को चार जूते मारो तब अंदर हराम'खोर मोहम्मद गौरी की मज़ार में दाखिल हो। समाधि के पास जूते देखे जा सकते हैं। बाद में मीडिया में कहा गया था कि शेरशाह राणा जिसने फूलनदेवी को मारा था। वह जेल से चुपचाप अफगानिस्तान भाग गया जहाँ उसने यह नज़ारा देखा तो उसका राजपुताना खून खौल उठा और वह चुपचाप पृथ्वीराज चव्हाण की समाधि से अस्थियां निकालकर भारत ले आया जिसका वीडियो भी बनाया।भारत लौटकर उसने अपनी मां की मदद से गाजियाबाद के पिलखुआ में पृथ्वीराज चौहान का मंदिर बनवाया और अस्थियों को वहां सुरक्षित रख दिया। लोगों ने यह भी अपील की हुई है कि भारत सरकार को इन अस्थियों की जांच करवानी चाहिये जो सत्य बाहर आये। खैर 800 वर्ष से हिन्दू राजा पृथ्वीराज चौहान की समाधि का अपमान जारी रहा। पर कुछ लोगों की अपील पर भारत सरकार ने इस विषय पर संज्ञान लिया था। सच तो यह है कि नेताओं को समझना चाहिए कि अफगानिस्तान हिन्दुओं के लिए किस हद तक क्रूर रहा। तथा तालीबानी व्यापारी तो हो सकते हैं पर हिन्दू हितेषी कतई नहीं। रही बात पृथ्वीराज चौहान पर बनी फिल्म की तो उसे भी कई कट्टर इस्लामिक मुल्कों ने बेन कर दिया है।

 तालीबान के राज में अफगानिस्तान भुखमरी की कगार पर है।

बता दें कि भारतीय विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता अरिंदम बागची ने एक बयान जारी कर बताया है कि भारत ने दान  स्वरूप 20,000 मिट्रिक टन गेहूं, 13 टन दवायें, कोविड वैक्सीन के 5 लाख डोज और सर्दियों के कपड़े की एक बड़ी खेप अफगानिस्तान भेजी है ताकि वहां के लोगों की जरूरतें पूरी की जा सकें। इसकी तालीबानी नेता अनस हक्कानी ने कहा कि अब यह बहुत स्पष्ट है कि अफगानिस्तान में सरकार बनाने के बाद अब शांति और विचार-विमर्श का समय आ गया है। अब हमारे पास दुनिया के लिए विशेष रूप से पड़ोसी देशों के लिए इस्लामिक अमीरात ऑफ अफगानिस्तान की नीति है और इसमें भारत भी शामिल है। अब सवाल उठता है कि क्या भारत और तालीबान यानि अफगानिस्तान का मेलजोल सही होगा या यह भी भविष्य के लिए राष्ट्र के लिए बड़ा खतरा सिद्ध होगा। क्योंकि तालीबानी आतंकवादी रहे हैं जो अब सत्ता पर काबिज़ है। 

अजीब बात है कि एक तरफ कश्मीर, आतंक से दहक रहा है वहीं दूसरी तरफ़ तालिबानियों से मीटिंग? यह कहां तक उचित है? हो सकता है विदेश नीति की तरफ से यह सही हो पर देश के आज के हालात इस को स्वीकार नहीं कर सकते सर। 

तालीबानी तो खुल कर आतंक के साथ हैं। यह बात भारत सरकार को गम्भीरता से लेनी चाहिए। 

वैसे इस मीटिंग को देखकर चीन के कान खड़े हो गए और  चीनी राजदूत ने ऐलान किया कि चीन सरकार अफगानिस्‍तान में परियोजनाओं की शुरुआत करने और सहयोग बढ़ाने के लिए इकदम तत्पर है।


अफगानिस्‍तान में तालिबान राज आने के बाद पहली बार भारतीय दल के काबुल पहुंचने पर चीन चौकन्‍ना हो गया है। भारतीय विदेश मंत्रालय के संयुक्त सचिव जेपी सिंह के तालिबानी विदेश मंत्री आमिर खान मुत्‍ताकी और उप विदेश मंत्री शेर मोहम्‍मद अब्‍बास स्‍टानेकजई से मीटिंग के ठीक बाद अफगानिस्‍तान में चीन के राजदूत डिंग यिनान हरकत में आ गए। चीनी राजदूत ने अफगान उप विदेश मंत्री स्‍टानेकजई से मुलाकात की। उन्‍होंने कहा कि चीन सरकार अब अफगानिस्‍तान में परियोजनाओं को शुरू करने और सहयोग को बढ़ाने के लिए तैयार है।तालिबानी प्रवक्‍ता की ओर से जारी बयान में कहा गया है कि चीनी राजदूत के साथ बैठक अफगानिस्‍तान-चीन के बीच ऐतिहासिक संबंधों, द्विपक्षीय सहयोग और अफगानिस्‍तान में पूरे नहीं हुए प्रॉजेक्‍ट को फिर से शुरू होने पर केंद्रित थी। तालिबानी मंत्री ने चीन से अफगानिस्‍तान के नूरिस्‍तानी प्रांत में लगी आग पर काबू पाने में मदद के लिए अनुरोध किया। चीन ने कहा कि वह तत्‍काल अपनी सरकार से इसका अनुरोध करेगा।

अफ़ग़ानिस्तान पर तालिबान के क़ब्ज़े और तालिबानी सरकार के आने के बाद भारत की तरफ़ से पहला आधिकारिक दौरा। संयुक्त सचिव (PAI) जेपी सिंह के नेतृत्व में भारतीय दल काबुल में। अफ़ग़ानिस्तान के नागरिकों को मानवीय सहायता पहुँचाना मक़सद। दल की तालिबानी अधिकारियों से भी होगी मुलाक़ात। पर



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