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नवरात्रि पर करें ताकतवर मंत्रों से पूजन


आप सभी शुभचिंतकों को नवरात्रि महापर्व की 

हार्दिक शुभकामनाएं 🙏

माता जगदम्बा आपकी समस्त 

मनोकामनाएं पूर्ण करें।


दस दिव्य महाविद्या रहस्यमयी और प्रबल 

सकारात्मक 

ऊर्जा से ओतप्रोत ताकतवर मंत्र - 


काली, तारा महाविद्या, षोडशी भुवनेश्वरी।

भैरवी, छिन्नमस्तिका च विद्या धूमावती तथा।।

बगला सिद्धविद्या च मातंगी कमलात्मिका।

एता दश-महाविद्याः सिद्ध-विद्याः प्रकीर्तिताः


काली मंत्र-

ऊँ क्रीं क्रीं क्रीं ह्रीं ह्रीं ह्रीं हूं हूं दक्षिण कालिके 

क्रीं क्रीं क्रीं 

ह्रीं ह्रीं ह्रीं हूं हूं स्वाहा।।


तारा मंत्र-

ऐं ऊँ ह्रीं क्रीं हूं फट्।।


छिन्नमस्तिका मंत्र-

श्रीं ह्रीं क्लीं ऐं वज्रवैरोचनीयै हूं हूं फट् स्वाहा।।


षोडशी मंत्र-

ऊँ ऐं ह्रीं श्रीं क ए ह ल ह्रीं ह स क ह ल ह्रीं स क ल ह्रीं महाज्ञानमयी विद्या षोडशी मॉं सदा अवतु।।


भुवनेश्वरी मंत्र-

ऐं ह्रीं श्रीं।।


त्रिपुर भैरवी मंत्र-

हस्त्रौं हस्क्लरीं हस्त्रौं।।


धूमावती मंत्र-

धूं धूं धूमावती ठः ठः।।


बगलामुखी मंत्र- 

ऊँ ह्रीं बगलामुखी सर्वदुष्टानाम् वाचं मुखं पदं 

स्तम्भय-स्तम्भय जिह्वा कीलय-कीलय बुद्धि 

विनाशाय-विनाशाय ह्रीं ऊँ स्वाहा।।


मातंगी मंत्र-

ऊँ ह्रीं क्लीं हूं मातंग्यै फट् स्वाहा।।


कमला मंत्र-

ऐं ह्रीं श्रीं क्लीं सौः जगत्प्रसूत्यै नमः।।


दुर्गा सप्तशती से स्तुति श्लोक 


ज्ञानिनामपि चेतांसि देवि भगवती हि सा ।

बलादाकृष्य मोहाय महामाया प्रयच्छति ॥1॥


भावार्थ :

वे भगवती महामाया देवी ज्ञानियों के भी चित्त 

को बलपूर्वक खींचकर मोह में डाल देती हैं.

दुर्गे स्मृता हरसि भीतिमशेषजन्तोः स्वस्थैः स्मृता 

मतिमतीव शुभां ददासि । दारिद्रयदुःखभयहारिणि

 का त्वदन्या सर्वोपकारकरणाय सदार्द्र चित्ता ॥2॥


भावार्थ :

मां दुर्गे! आप स्मरण करने पर सब प्राणियों का भय

 हर लेती हैं और स्वस्थ पुरुषों द्धारा चिंतन करने पर

 उन्हें परम कल्याणमयी बुद्धि प्रदान करती हैं. 

दुःख, दरिद्रता और भय हरनेवाली देवी! आपके 

सिवा दूसरी कौन है, जिसका चित्त सबका उपकार 

करने के लिए सदा ही दयार्द्र रहता हो।


सर्वमङ्गलमङ्गल्ये शिवे सर्वार्थसाधिके ।

शरण्ये त्र्यम्बके गौरि नारायणि नमोऽस्तु ते ॥3॥


भावार्थ :

नारायणी! आप सब प्रकार का मंगल प्रदान करनेवाली मंगलमयी हैं, आप ही कल्याणदायिनी शिवा हैं. 

आप सब पुरुषार्थों को सिद्ध करने वाली, 

शरणागतवत्सला, तीन नेत्रों वाली गौरी हैं. 

आपको नमस्कार है.


शरणागतदीनार्तपरित्राणपरायणे ।

सर्वस्यार्तिहरे देवि नारायणि नमोऽस्तु ते ॥4॥


भावार्थ :

शरणागतों, दिनों एवं पीड़ितों की रक्षा में संलग्न

 रहनेवाली तथा सबकी पीड़ा दूर करनेवाली 

नारायणी देवी! आपको नमस्कार है.

सर्वस्वरूपे सर्वेशे सर्वशक्तिसमन्विते ।

भयेभ्यस्त्राहि नो देवि दुर्गे देवी नमोऽस्तु ते ॥5॥


भावार्थ :

सर्वस्वरूपा, सर्वेश्वरी तथा सब प्रकार की शक्तियों 

से संपन्न दिव्यरूपा दुर्गे देवी! सब भयों से हमारी 

रक्षा कीजिए, आपको नमस्कार है.

रोगानशेषानपहंसि तुष्टा रुष्टा तु कामान् 

सकलानभीष्टान् ।

त्वामाश्रितानां न विपन्नराणां त्वामाश्रिता 

ह्याश्रयतां प्रयान्ति ॥6॥


भावार्थ :

देवी! आप प्रसन्न होने पर सब रोगों को नष्ट कर 

देती हैं और कुपित होने पर मनोवांछित सभी 

कामनाओं का नाश कर देती हैं. जो लोग आपकी 

शरण में हैं, 

उनपर विपत्ति तो आती ही नहीं, आपकी शरण में 

गये हुए मनुष्य दूसरों को शरण देनेवाले हो जाते हैं।


सर्वाबाधाप्रशमनं त्रैलोक्यस्याखिलेश्वरि ।

एवमेव त्वया कार्यमस्मद्वैरि विनाशनम् ॥7॥


भावार्थ :

सर्वेश्वरि! आप तीनों लोकों की समस्त बाधाओं को 

शांत करें और हमारे शत्रुओं का नाश करती रहें।


ब्रह्मा, विष्णु, महेश त्रिदेव भी जिनकी स्तुति करते हैं । 

ऐसी मातृ शक्ति जो सब प्रकार का मंगल प्रदान करने 

वाली मंगलमयी कल्याण करने वाली, सब के मनोरथ 

को पूरा करने वाली, तुम्हीं शरण ग्रहण करने योग्य हो, 

तीन नेत्रों वाली यानी भूत भविष्य वर्तमान को प्रत्यक्ष 

देखने वाली हो, तुम्ही पार्वती, तुम्ही लक्ष्मी तुम्हीं 

सरस्वती हो अर्थात भगवान के सभी स्वरूपों के

 साथ तुम्हीं जुडी हो, ऐसी परमदिव्य शक्ति, 

आप को बारम्बार नमस्कार है। माता मेरे समस्त 

अवगुणों को नष्ट करके, अपनी कृपा स्वरूप, 

भक्ति प्रदान करो🙏


धर्म की जय हो, अधर्म का नाश हो प्राणियों में 

सद्भावना हो, विश्व का कल्याण हो। 🙏

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