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अंडरवियर छाप बद्जुबानी -


राजनीति का गिरता स्तर - 

   निंदा नहीं, कार्रवाई ...

अबकी बार के लोकसभा चुनाव 2019 में बयानबाजी या कहें कि बद्जुबानी अपनी सारी हदें लांघ गयी है और नेताओं का अचारसंहिता उल्लंघन करने का भी रिकॉर्ड अपना इतिहास रचने को आतुर है। 

जिसका एक रूप कल सोमवार देखने को मिला जब आजम खां ने जोकि अपने कार्यों से  ज्यादा अपनी बद्जुबानी के कारण जाने जाते हैं जोकि आज फिर एक बार अपनी चुनावी सभा में सपा के राष्ट्रीय महासचिव आजमखां अपने आपे से बाहर हो गए हैं और यही बिगड़ते बोल उन्हें आज फिर ले डूबे। वह अपनी जनसभाओं में प्रधानमंत्री, मुख्यमंत्री से लेकर प्रत्याशी और जिले के अधिकारियों तक को अपशब्द कहने से कभी नहीं चूकते हैं। 

          उनके इन बिगड़े बोल और आचार संहिता उल्‍लंघन में  चुनाव आयोग ने संज्ञान लेते हुए मायावती और केंद्रीय मंत्री और भाजपा नेता मेनका गांधी पर 48 घंटे का बैन लगाया है। वहीं समाजवादी पार्टी के नेता आजम खान पर 72 घंटे का बैन लगा है। वहीं  योगी आदित्यनाथ समेत सभी पर सख्ती करदी है। यही वजह है कि 13 दिन में आजम के खिलाफ़ जिले के विभिन्न थानों में नौ मुकदमे दर्ज हो चुके हैं। वहीं, आठ मुकदमों तो आपत्तिजनक बयानों को लेकर दर्ज हुए हैं, जबकि एक मुकदमा अनुमति से अधिक देर तक रोड शो निकालने का है। इतने मुकदमे दर्ज होने के बाद विरोधी दल अब उनके चुनाव लड़ने पर रोक लगाने या फिर उनके भाषणों पर प्रतिबंध लगाने की मांग कर रहें हैं। बता दें कि  पिछले लोकसभा चुनाव में भी चुनाव के समय आजम खां द्वारा भड़काऊ और आपत्तिजनक बयानबाजी करने पर सात मुकदमे हुए थे। चुनाव आयोग ने उनके भाषण देने पर ही रोक लगाई हुई थी ।उनपर पहला मुकदमा दर्ज- शहर कोतवाली में पहला मुकदमा दर्ज हुआ। यह मुकदमा कांग्रेस अल्पसंख्यक विभाग के प्रदेश उपाध्यक्ष फैसल खां लाला की शिकायत पर हुआ। इसमें आरोप है कि सपा नेता 29 मार्च को सपा कार्यालय पर भाषण दिया था, जिसमें वह जनता को जिलाधिकारी, अपर जिलाधिकारी, उप जिलाधिकारी सदर और नगर मजिस्ट्रेट के खिलाफ़ भड़का रहे थे। भाषण में आजम ने कहा कि इन चारों अधिकारियों को रामपुर का माहौल खराब करने के लिए भेजा गया है। ये अधिकारी रामपुर को खून से नहाना चाहते हैं। वहीं दूसरा आठ अप्रैल-टांडा थाना क्षेत्र जनता राइस मिल मैदान में हुई जनसभा में प्रधानमंत्री, मुख्यमंत्री और प्रशासनिक अफसरों के खिलाफ आपत्तिजनक भाषण देने पर मुकदमा दर्ज किया गया। इस जनसभा में आजम ने कहा था कि संवैधानिक कुर्सियों पर बैठे लोग मुजरिम हैं। एक दिन के सजा याफ्ता कल्याण सिंह को गर्वनर बना दिया। इसके अलावा प्रधानमंत्री को मुसलमानों का कातिल और धर्म का ठेकेदार कहा और मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ पर अमर्यादित टिप्पणी करते हुए नीच शब्द का इस्तेमाल किया। तथा तीसरा10 अप्रैल- मिलक कोतवाली क्षेत्र के ग्राम खाता नगरिया में जनसभा में भड़काऊ भाषण देने पर मुकदमा दर्ज हुआ। आरोप है कि इस भाषण में आजमखां ने जाति-धर्म की बात की। संवैधानिक पदों पर बैठे लोगों और अधिकारियों के खिलाफ अमर्यादित टिप्प्पणी की थी। इसी क्रम में 13 अप्रैल-खजुरिया थाना क्षेत्र के अहरो गांव में जनसभा में जिलाधिकारी के खिलाफ आपत्तिजनक टिप्पणी करने पर खजुरिया थाने में मुकदमा दर्ज किया गया। और 14 अप्रैल-शाहबाद कोतवाली में भाजपा प्रत्याशी एवं फिल्म अभिनेत्री जयाप्रदा के खिलाफ आपत्तिजनक टिप्पणी करने पर मुकदमा। आरोप है कि एक दिन पहले शाहबाद में पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव की मौजूदगी में आजम खां ने जयाप्रदा के लिए बेहद शर्मनाक बयान दिया कि वह जो अंडरवियर पहनती हैं, वह खाकी रंग का है।


राजनीति का स्तर गिरा नहीं डूब चुका है बिल्कुल... 
रिकार्ड तोड़ बद्जुबानी - 

सोचने वाली बात यह है कि जब हमारे आपके चुने हुए जनप्रतिनिधि- नेताओं की मानसिकता अंडरवियर छाप है तो हम हमारे देश का बेहतर कल क्या मंगलग्रह पर ढूंढ़ने जायेगें। फिर कहते है कि यह बात हमने महिला नहीं पुरूष को कही तो आपकी नजरों में महिला और पुरूष किसी की इज्ज़त नहीं ....  शर्मनाक....


किसी भी पार्टी का जनप्रतिनिधि हो ग़र महिला या पुरुष किसी के साथ बद्जुबानी करे उसपर कठोर कार्रवाई होनी चाहिए क्योंकि इज्ज़त तो महिला और पुरुष दोनों की होती है। 



...आखिर! चुनाव जीतने के लिये आप लोग राजनीति का स्तर गिरा नहीं सचमुच डुबा रहे हो। गल्ती तो हम ही मतदाताओं की है कि हमें हमारा वोट देशहित में सही प्रत्याशी को देना चाहिये वरना इस राजनीति के बेहद खतरनाक परिणाम झेलने के लिए सज्य रहो। 



        - ब्लॉगर आकांक्षा सक्सेना

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