फांसी नहीं तो वोट नहीं - ब्लॉगर आकांक्षा सक्सेना
#फांसी #नहीं तो #वोट #नहीं
[जब जुल्म की इंतहा हो जाये तो उसकी जड़ें उखाड़ने के लिए हर सुनियोजित कदम धर्म है।
- ब्लॉगर आकांक्षा सक्सेना]
साहिब! आप हमेशा कहते हो वोट दो ये कर देगें कश्मीर में शांति कर देगें, कश्मीरी पंडितों को न्याय देगें, सबको रोजगार देगें, मंदिर बना देगें,बुंदेलखंड को पानी देगें,पलायन रोक देगें,सेना को मजबूत और स्वतंत्रता देगें,महिलाओं को सुरक्षा देगें बस जिता दो... जीतने के पांच साल बाद... फिर से यही सब दोहराते आये हो... बस यही क्रम चलता चला आ रहा.... आमजन अपनी दैनिक समस्याओं के लिए आपको चुनाव पर चुनाव जिताता आ रहा... और आप.... उनकी फूल सी कन्याओं की इतनी निर्ममता - बर्बरता से की गई हत्या के आरोपी उन दरिंदों जानवरों को फांसी देने में संकोच कर रहे हैं....!! क्या आपको शांति पुरस्कारों को प्राप्त करने की इतनी अभीप्सा है कि बच्चियों का क्रंदन रूंदन सब निरूत्तर प्रश्न हो निढाल खड़े हैं? क्या देश के इतिहास के शौर्य गाथा के पन्ने उड़कर, बताने आयेगें कि महाभारत और रामायण में नारी सम्मान में क्या हुआ था? क्या वेद-पुराणों के पन्ने कन्या पूजन की महत्ता स्वंय बतलाने आयेगें? काश! कि वह दिव्य पन्ने जीवंत हो उठें और वह सब शूरवीर धरती पर फिर से अवतरित हों जायें। क्योंकि अब यह अन्यायरूपी जहर सिर के ऊपर बह रहा है तो अब मुझे यह कहने में बिल्कुल संकोच नही कि आप हैवानों को फांसी ना देकर, आजीवन कारावास देने पर अड़े रहो... तो हम भी आजीवन वोट ना देने की शपथ लेते हैं। खैर! आपको एक वोट से क्या फर्क पड़ेगा है ना...पर मुझे तो तसल्ली होगी कि उन बच्चियों की आत्मा मुझसे उतनी नाराज़ तो नहीं होगीं।
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