राममंदिर पर फैसला : नजरअंदाज ना की जाये आस्था
कश्मीर में पचास हजार मंदिर बंद करवा दिए गये.. हजारों तोड़ दिए गये... इधर भगवान श्री राम मंदिर पर वर्षों से अड़ंगा लगाया जा रहा - हिंदू धर्मस्थल ही निशाने पर क्यों?
टीबी डिबेट में एक शख्स कहते हैं कि अयोध्या में रामलला की मूर्तियां प्लॉन्ट की गयीं.. हम बिल्कुल साफ कहते हैं कि मुगल आक्रांता बाबर द्वारा पूरी की पूरी मस्जिद प्लॉन्ट की गयी..सबूत हैं खुदाई में मिले खम्भों पर कमल के फूल कलश के निशान.. और भी हजारों सबूत।आप यह नहीं समझते कि भगवान श्री राम का अवतरण पहले हुआ.. यह राम और कृष्ण के देश के नाम से जाना जाता है...पूरे विश्व में रामलीला, कृष्ण लीला का भव्य आयोजन होता है, पूरा विश्व श्री रामायण और श्री मद्भगवद गीता में अनंत निष्ठा रखता है.. और राम मंदिर अयोध्या में नहीं तो क्या रावलपिंडी में बनेगा... आप आस्था की बात करते हो... तो यह सुन लीजिए कि हाँ आस्था तो है और सदा सदा रहेगी... यह भी अहम पहलू है जिसे कोई नकार नहीं सकता।
टीवी डिबेट में उस एक शख्स ने यह भी कहा कि सुप्रीम कोर्ट का फैसला आस्था के आधार पर नहीं बल्कि सबूतों के आधार पर हो... हम बिल्कुल साफ कहते हैं कि भारत एक धार्मिक आस्तिक आस्थावान देश के नाम से सुविख्यात है तो आस्था को कैसे नजरअंदाज किया जा सकता है.. वो भी तब जब जल्लीकट्टू पर सुप्रीम कोर्ट ने आस्था को ही सर्वोपरि मानकर इस धार्मिक पुरातन खेल को इजाजत दे दी थी। आपको बता दें कि तमिल नाडु के ग्रामीण इलाक़ों का यह एक परंपरागत खेल है जो पोंगल त्यौहार पर आयोजित कराया जाता है और जिसमे बैलों से इंसानों की लड़ाई कराई जाती है। जल्लीकट्टू को तमिलनाडु के गौरव तथा संस्कृति का प्रतीक कहा जाता है। ये 2000 साल पुराना खेल है जो उनकी संस्कृति से जुड़ा है तो जब जलीकट्टू पर कोर्ट को आस्था दिखती है तो क्या भारत की आत्मा भगवान श्री राम पर आस्था को नजरअंदाज किया जा सकेगा, असंभव। इसलिए टीवी डिबेट पर बकबास करने वालों आप सब विश्व के समस्त हिन्दूओं व भगवान श्री नारायण भक्तों के आराध्य भगवान श्री राम जी व उनके जन्मस्थान अयोध्या पर अनरगल प्रलाप करना बंद कर दीजिएगा।
- कुछ लोग कहते हैें आखिर! तुम मंदिर के लिये इतनी संवेदनशील क्यों हो जाती हो?
मैं विनम्रता से उन सबको बताना चाहती हूँ कि मंदिरों में धूप दीप कपूर से आरती,हवन, हरि कथा, रामलीला,नवरात्रि पूजन, यज्ञ भगवान की पूजा से जिससे पूरा वातावरण शुद्ध और बीमारीमुक्त हुआ करता था..शंख और घंटियों को सुनकर, मंत्रोच्चार की ध्वनि कानों से आत्मा तक को पवित्र कर देती है -
(वैज्ञानिकों का कहना है कि जब घंटी बजाई जाती है तो वातावरण में कंपन पैदा होता है, जो वायुमंडल के कारण काफी दूर तक जाता है। इस कंपन का फायदा यह है कि इसके क्षेत्र में आने वाले सभी जीवाणु, विषाणु और हानिकारक सूक्ष्म जीव आदि नष्ट हो जाते हैं, जिससे आसपास का वातावरण शुद्ध हो जाता है)
और अक्सर देखा गया है कि मंदिर प्रांगण में तुलसी, बरगद, पीपल, अशोक के पवित्र पेड़ लगाये जाते हैं जिससे वातावरण में प्राणवायु की मात्रा बढ़े और चित्त शांत रहे और मंदिरों में आये दान से बड़ी मात्रा में भोजन प्रसाद बनता है और अनेकों अनेकों भक्तों सहित पीड़ित असहायों की भूख मिटाकर अनत:करण पवित्र हो जाता है.. और मंदिर के बाहर लगी धर्म ग्रंथों, मूर्तियों, श्रगांर, चुनरी, फूल, प्रसाद और चाट, पूड़ी,शर्बत, चाय, आदि के ठेलों दुकानों से बहुत लोगों को रोजगार मिलता है वहीं यात्रियों का पेट भी भरता है और पूरे क्षेत्र में सुन्दर दीपमाला, सजावटी रोशनी, रौनक व चहल-पहल रहती है.. जिससे उस क्षेत्र में रोशनी रहने से अपराध का खतरा कम रहता है और कश्मीर में सैकड़ों मंदिर तोड़े जा चुके हैं और पचास हजार मंदिर बंद पड़े हैं.. आप सोच सकते हैं कि वहां का वातावरण माहौल कितना भयावह हो गया होगा।
सोचिए! एक मंदिर अपने अंदर कितना जन कल्याणकारी सोच में रसा बसा होता है और हमारे मंदिरों में कभी कोई कट्टर सोच नहीं होती। वहीं आप मक्का के मामले में पता करें तो पायेगें कि वहां कोसों दूर से ही गैर मुस्लिम को खदेड़ दिया जाता है, वहां गैर मुस्लिम के जाने पर सख्त मनाही है, वो कहते हैं कि खुदा की कायनात है, खुदा सबका है, तो पूछिए! सबका कैसे जब सबको जाने ही नहीं दिया जाता।ये कैसी कट्टरता.. आपकी यह कैसी कट्टर आस्था फिर आप हम सब की आस्था पर कैसे सवाल कर सकते हैं?
सच कहूँ तो मंदिर की मूर्तियां हमें हमारे नारायण से जोड़ती हैं, हमें उनकी निकटता का, सानिध्य का, उनके कोटि:श आशीर्वादों व दिव्य सकारात्मक ऊर्जा का आभास करातीं हैं.. हमें ईश्वर से अनंत निश्वार्थ प्रेम करना सिखातीं हैं..सच कहूँ तो मंदिरों की महत्ता अनंत हैं....
अतैव, गृहराज्य मंत्री,
जी. किशन रेड्डी जी की बंद पड़े मंदिरों को खुलवाने व उनके जीर्णोद्धार कराने की भक्तिमय उज्ज्वल सोच के लिए गृहराज्य मंत्री जी वा आपके इस सराहनीय कदम के लिए ससम्मान आभार।
-ब्लॉगर आकांक्षा सक्सेना
http://www.sachkidastak.com/around-50000-temples-schools-closed-for-years-in-kashmir-to-be-restored-survey-ordered-mos-home-g-kishan-reddy/
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