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शास्त्री जी की मौत की साजिश किसने रची?


11 जनवरी - शास्त्री जी का पार्थिव शरीर हद से ज्यादा फूला हुआ था व शरीर पर काले धब्बे और कपड़े खून से लथपथ तथा उनकी टोपी पर षड्यंत्र के पर्याय वो खूनी धब्बों की मौजूदगी। आज भी यह टोपी शास्त्री परिवार पर मौजूद है। सवाल उठता है कि इतना कुछ हो गया और देश के महान प्रधानमंत्री लाल बहादुर शास्त्री जी पोस्टमार्टम तक करवाना किसी ने उचित नहीं समझा आखिर! क्यों? आखिर! किसने रचा होगा एक महान प्रधानमंत्री की मौत का वो भयंकर षड्यंत्र? कितना दु:खद है कि पूरा शास्त्री परिवार देश की सरकारों से विनम्र निवेदन करते-करते थक गया पर आज तक यह गुत्थी सुलझ न सकी.... खाली पुष्पांजलि देकर नेता लोग  अपनी-अपनी उपस्थित दर्ज करवा लेते हैं या कहूं कि खानापूर्ति कर लेते हैं पर ढ़ाक के वही तीन वाली कहावत चरितार्थ होती रहती है.......

खाने में जहर और जान मोहम्मद का नाम

लाल बहादुर शास्त्री की मौत पर एक दावा जो और किया जाता है, वह यह है कि उनके खाने में शायद जहर मिला दिया गया था. जिसकी वजह से उनकी मौत हो गई थी. कुलदीप नैय्यर ने अपनी किताब ‘बियॉन्ड द लाइन’ में लिखा है, ‘दरवाजा खटखटाये जाने से मेरी आंख खुली. कॉरीडोर में खड़ी महिला ने मुझसे कहा, ‘तुम्हारे प्रधानमंत्री मौत का सामना कर रहे हैं.’ मैंने जल्दी से कपड़े बदले और एक भारतीय अधिकारी के साथ थोड़ी दूर स्थित रूस की देहाती शैली में बनी उस आरामगाह की ओर चल पड़ा जिसमें शास्त्री जी आराम कर रहे थे. मैंने देखा सोवियत संघ प्रमुख अलेक्सी कोसीगिन बरामदे में ही खड़े हैं उन्होंने हमें देख दूर से ही हाथ हिला कर जता दिया कि शास्त्री जी की मृत्यु हो चुकी है. कमरे की कारपेट वाले फर्श पर शास्त्री जी की चप्पल बिल्कुल सलीके से रखी हुई थी, ऐसा लग रहा था जैसे उसे उन्होंने पहनी ही नहीं थी. कमरे के एक कोने में स्थित ड्रेसिंग टेबल पर एक थर्मस उल्टा पड़ा था, जिसे देखकर लग रहा था कि शास्त्री जी ने उसे खोलने की खूब कोशिश की थी.

lal bahadur shastri dead body

पूर्व प्रधानमंत्री लाल बहादुर शास्त्री की डेड बॉडी.

कुलदीप नैय्यर लिखते हैं कि शास्त्री जी की मौत की सूचना भेजकर मैं वापस उनके सहयोगियों की कमरे में पहुंचा ताकि उनकी मृत्यु की परिस्थितियों पर विस्तार से बात हो सके. इधर उधर से जुटाई गई सभी जानकारियों में जो सामने आया वह यह था कि स्वागत समारोह से शास्त्री जी लगभग रात 10 बजे अपने विश्राम स्थली पहुंचे. उन्होंने वहां अपने निजी सहायक रामनाथ से खाना मांगा जो भारतीय राजदूत पीएन कॉल के घर से तैयार होकर आया था और उस खाने को बनाया था कॉल के बावर्ची जान मोहम्मद ने. जबकि इससे पहले प्रधानमंत्री लाल बहादुर शास्त्री के खाने का इंतजाम उनके निजी सहायक रामनाथ ही किया करते थे.

हालांकि यहां यह भी जानने लायक बात है कि सोते समय शास्त्री जी को दूध पीने की आदत थी. उन्होंने अपने सहायक रामनाथ से दूध मांगा और दूध पिया. फिर रामनाथ से ही पानी मांगा और रामनाथ ने ड्रेसिंग टेबल पर रखे थर्मस फ्लास्क में से उन्हें पानी दिया और फिर उस थर्मस फ्लास्क को बंद कर दिया. रात के तकरीबन 1 बज कर 20 मिनट पर लाल बहादुर शास्त्री रामनाथ के दरवाजे पर आए. उन्होंने रामनाथ का दरवाजा खटखटाया और पूछा डॉक्टर साहब किधर हैं? इस बीच लाल बहादुर शास्त्री बुरी तरह से खास रहे थे और उनका पूरा शरीर कंपकंपा रहा था जिसके बाद रामनाथ ने उन्हें थामा और जल्दी से उनके कमरे में ले जाकर उन्हें बिस्तर पर लिटा दिया.

लाल बहादुर शास्त्री की मौत के बाद रूस के अफसरों ने संदेह के आधार पर रूस के कुक अहमद सत्तारोव समेत तीन लोगों को पकड़ लिया था. जिनमें जान मोहम्मद भी शामिल था. हालांकि इसके कुछ समय बाद जान मोहम्मद को राष्ट्रपति भवन में नौकरी मिल गई थी और दूसरी ओर लाल बहादुर शास्त्री के साथ गए ताशकंद डॉ चुघ और उनके पूरे परिवार का 1977 में एक ट्रक एक्सीडेंट हो गया, जिसमें सिर्फ उनकी एक बेटी बची जो अपाहिज हो गई और पूरे परिवार की मौत हो गई. वहीं शास्त्री जी के निजी सहायक रामनाथ का भी कुछ समय बाद कार एक्सीडेंट हो गया जिसमें उनके पैर काटने पड़े और बाद में उन्होंने अपनी याददाश्त खो दी. लाल बहादुर शास्त्री के परिवार का कहना था कि रामनाथ ने कार एक्सीडेंट से पहले शास्त्री जी की पत्नी ललिता शास्त्री से कहा था, ‘अम्मा बहुत दिन का बोझ था, आज सब बता देंगे.’।



 तदुपरांत तात्कालीन प्रधानमंत्री शास्त्री के परिवार ने पहले भी ताशकंद की यात्रा के दौरान उनकी मुलाकात नेता जी से हो सकने का दावा किया था।शास्त्री के पोते संजय नाथ सिंह जो उस वक्त 9 साल के थे।उन्होंने बताया था कि मृत घोषित किए जाने से पहले एक घंटे पहले ही लाल बहादुर शास्त्री ने किसी से बात की थी। जिसके बाद उन्होंने कहा था कि वे भारत आकर एक ऐसी बात का खुलासा करेंगे जिससे विपक्षी बाकी सब भूल जाएंगे।

बता दें कि आज देश के दूसरे महान प्रधानमंत्री और ‘जय किसान, जय जवान’ का नारा देने वाले स्व. लाल बहादुर शास्त्री जी की आज 56वीं पुण्यतिथि है।
देश के पहले पीएम जवाहरलाल नेहरू के निधन के बाद एक सवाल पूरे देश के मन में था, 'अगला प्रधानमंत्री कौन' बने? दो हफ्ते बाद पूर्व गृह मंत्री लाल बहादुर शास्त्री भारत के दूसरे प्रधानमंत्री बने। लाल बहादुर शास्त्री का जन्म सन् 1904 में उत्तर प्रदेश के मुगलसराय में हुआ था पर विडम्बना देखो! कि मुगलसराय में उनके नाम पर कुछ भी नहीं न ही संग्रहालय न कुछ। आज ही के दिन सन् 1966 में उज्बेकिस्तान के ताशकंद में उनका देहांत हुआ था। लाल बहादुर शास्त्री की मौत जिन परिस्थितियों में हुई, उसकी वजह से आज भी इसको लेकर कई रहस्य बरकरार हैं। अपनी सादगी के लिए मशहूर शास्त्री जी ने कई मौकों पर साबित किया कि वह भारत के सबसे विनम्र प्रधानमंत्रियों में से एक थे। आइए आपको बताते हैं...


1. भारत के गृह मंत्री रहते हुए एक बार लाल बहादुर शास्त्री को कलकत्ता से दिल्ली के लिए फ्लाइट पकड़नी थी। फ्लाइट शाम की थी और सड़क पर जाम की वजह से शास्त्री का समय से एयरपोर्ट पहुंचना लगभग असंभव था। इसलिए, पुलिस कमिश्नर ने फैसला किया कि वह शास्त्री की गाड़ी की बजाय साइरन वाली गाड़ी भेजेंगे, ताकि सड़कें क्लियर हो सकें। हालांकि, लाल बहादुर शास्त्री ने इस प्रस्ताव को यह कहते हुए खारिज कर दिया कि इससे कलकत्ता के लोगों को लगेगा कि कोई विशिष्ट व्यक्ति सड़क पर निकला है।

प्रधानमंत्री बनने के बाद, एक बार शास्त्री को किसी राज्य का दौरा करना था। हालांकि, कुछ अर्जेंट काम की वजह से आखिरी समय में उन्हें यह दौरा रद्द करना पड़ा। राज्य के मुख्यमंत्री ने जब शास्त्री से दौरा रद्द न करने की विनती की क्योंकि, उन्होंने  पीएम के लिए फर्स्ट क्लास प्रबंध कर रखे थे, तो शास्त्री ने कहा, 'आपने एक थर्ड क्लास व्यक्ति के लिए फर्स्ट क्लास प्रबंध क्यों किए?'

3. सन् 1965 में भारत और पाकिस्तान के बीच युद्ध जारी थी और देश में खाद्य संकट गंभीर स्तर पर पहुंच गया था। उसपर भी अमेरिका अनाज का निर्यात बंद करने की धमकी दे रहा था। ऐसे समय में शास्त्री जी ने अपने परिवार से  कुछ दिनों तक एक वक्त का खाना न खाने के लिए कहा। शास्त्री जी ने कहा, 'कल से एक हफ्ते तक शाम को चूल्हा नहीं जलेगा'। उन्होंने कहा कि बच्चों को दूध और फल दिए जा सकते हैं लेकिन बड़े एक वक्त भूखे रहें। यह सुनिश्चित करने के बाद कि उनका अपना परिवार एक समय के भोजन के बिना जिंदा रह सकता है, उन्होंने ऑल इंडिया रेडियो के जरिए देश के लोगों से भी कम से कम हफ्ते में एक बार भोजन छोड़ने की अपील की। कुछ हफ्तों तक रेस्तरां और अन्य खाने की दुकानों ने सख्ती से इस नियम का पालन भी किया।

4. एक बार की बात है जब शास्त्री जी प्रधानमंत्री थे तो उनके बेटे ने ड्राइव पर जाने के लिए पिता के दफ्तर की गाड़ी का इस्तेमाल कर लिया। अगले ही दिन शास्त्री जी ने सरकार के खाते में उतनी राशि जमा करवाई, जितना खर्चा गाड़ी का निजी इस्तेमाल करने में हुआ था।

5. यह कहा जाता है कि जब सन् 1966 में लाल बहादुर शास्त्री का निधन हुआ, उस वक्त भी उनके नाम पर कोई घर या जमीन नहीं थी। उनके जाने के बाद एक लोन था जो उन्होंने पीएम बनने के बाद एक फिएट गाड़ी खरीदने के वास्ते सरकार से लिया था। शास्त्री जी के निधन के बाद, बैंक ने उनकी पत्नी से ललिता शास्त्री से लोन चुकाने के लिए कहा, जो उन्होंने फैमिली पेंशन से चुकाया।

शत् शत् नमन 🙏💐वंदेमातरम्

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