सत्ता से असत्ता की ओर एक साधक
मैं जब भी ऋषितुल्य संवेदनशील और सशक्त सीएम शिवराज सिंह चौहान जी को देखती हूँ तो कह सकती हूँ कि वह सिर्फ़ एक नेता नहीं बल्कि युवा नेताओं के लिए श्रेष्ठ "मार्गदर्शक" हैं....हाँ पर युवाओं को यह देखना होगा कि किसी ऋषितुल्य महान विभूति की मात्र नकल करने से उनकी सिद्धियां नही साधी जा सकतीं। इसके लिए स्व:साधना, स्व:संधान मौलिकता का भाव तुम्हें स्वंय ही जगाना होगा। मैं तुमसे कहती हूँ कि बारीकि से तुम सीएम शिवराज जी के कर्मों में झलकता ऋषितुत्व देखो और उसमें जिजीविषा के अक्षुण्ण भाव की विराटता देखो।
चूँकि, जब भी मैं उनकी योजनाओं के बारे में पढ़ती हूं और उनके क्रियान्वयन के प्रति उनकी तत्परता और निष्पक्षता को देखतीं हूं तो मुझे सुकून मिलता है कि देश में आज भी महान नेता मौजूद हैं। जिसने कर्मों में सत्ता के प्रति असत्ता का भाव निहित है। जब उन्होंने कहा कि बुजुर्गो की तीर्थ यात्रा, हवाई यात्रा होगी। यह है विनम्रता की वो ऊँचाई जो एक सफल लीडर को चिन्हित करती है। जब मैं कहती हूँ लीडर तो मेरा मतलब है जिसके पास "विजन" है जिसके पास ढ़ेर सारे "जन" हैं। वो एक महान समाजसेवी और समाजसेवी का मतलब है "एक साधक"। हाँ मैं यहां पूरी जिम्मेदारी से कहती हूँ कि वह एक "सफल साधक" सिद्ध हुए हैं ।फिर, जब भी मैं उनकी सम्मानित पत्नी को देखती हूँ तो सोचतीं हूँ कि सत्ता की लोलुपता से अलिप्तता का भाव लिए उन्होंने शायद ही कभी कोई हृदयविदारक विवादित बयान दिया हो।_ब्लॉगर आकांक्षा सक्सेना 08/01/2023 03:13PM
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