हृदय में धधकती रंजिशों की दुनिया
कसमें झूठी, इत्र इरादे फरेबी में डूब निकले हैं
छिपा ली हैं सुबकियां, चस्में लगा के निकले हैं
तुमको लग रहा होगा वो कितने सुखी हैं
वो सिर्फ़ दुनिया को यही दिखाने ही निकले हैं
हम सब भी इस राज़ को बखूबी जानते हैं
क्योंकि हम सब भी किरदार ही निभाने निकलें हैं
न यह जीवन फिल्म हमारी,न हम इसके निर्माता
पता नहीं किसने चुना हमें,कौन है भाग्यविधाता
हम सब अपनी-अपनी दुकानें बांध के निकले हैं
निकले या निकाले गये रहस्य भूल कर निकले हैं
वो देखो! इंसान इंसानियत बेंच कर निकले हैं
खुद अपने जमीर-ए- आईनें तोड़ के निकले हैं
हाँ वो जख़्मी मुस्कुराहटों को ओढ़ के निकले हैं
अब नहीं मिलेगें कदमों के निशां,मैट के निकले हैं
क्या अस्तित्व बचेगा इंसानों का,ऐंठ के निकले हैं
हाँ हम सब अपनी पहचानें भूल कर निकले हैं
सच! निकले तो रोज बहुत पर खुद तक न पहुंचे हैं...
_ब्लॉगर आकांक्षा सक्सेना
02/06/2023, 11:42 PM
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ये मुखौटों की दुनिया 🎭
Reviewed by Akanksha Saxena
on
June 03, 2023
Rating: 5
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